अमेरिकी चुनाव की बात करें या UK की राजनीति हर जगह एक महत्वपूर्ण पहलू यह सामने आया है कि भारतीय समुदाय का वर्चस्व राजनीति में बढ़ा है। भारतीयों का अमेरिका से भी ज्यादा अधिक प्रभाव ब्रिटेन में है। पिछले वर्ष UK के चुनाव में यह बात और भी स्पष्ट हो गई थी, जब भारतीय समुदाय के समर्थन से बोरिस जॉनसन को जीत हासिल हुई थी।
किंतु यह बदलाव इसलिए आया है क्योंकि अब भारतीय समुदाय एकजुट होकर अपनी शक्ति का एहसास करा रहा है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी की UK, अमेरिका आदि पश्चिमी देशों में की गई रैलियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पारंपरिक रूप से पाकिस्तान सऊदी अरब इजरायल जैसे देश अपने डायस्पोरा को एकजुट करके पश्चिमी देशों की विदेश नीति को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे थे। इसके विपरीत पिछली भारतीय सरकारों ऐसा करने में असफल रहती थी। कश्मीर पर पश्चिमी देशों की नीति निर्धारित करने में यह भी एक प्रभावी कारण रहा था।
किंतु अब परिदृश्य बहुत बदल गया है। आज भारतीय समुदाय पश्चिमी देशों में किसी भी अन्य देश के मुकाबले बहुत मजबूत है। विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान की बात की जाए तो इस मामले में इन दोनों की कोई तुलना ही नहीं है। UK की बात करें तो वहां एक ओर पाकिस्तानी समुदाय इस्लामिक आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और भारतीय समुदाय UK की रक्षा के लिए लगातार प्रयासरत है। पिछले वर्ष लंदन ब्रिज पर हुए आतंकी हमले में मारा गया आतंकी उस्मान खान पाकिस्तानी मूल का था एवं उसे मारने वाले पुलिस अधिकारी नील बसु भारतीय मूल के थे।
यह कोई एक घटना नहीं है, रिपोर्ट बताती है कि भारतीय समुदाय विशेषतः हिन्दू समुदाय पाकिस्तानी मूल के लोगों की अपेक्षा अधिक खुले विचारों वाले होते हैं। यही कारण रहा है कि ब्रिटेन में भारतीयों के प्रति लोग सकारात्मक विचार रखते हैं। इतना ही नहीं पिछले कुछ वर्षों में भारतीयों ने जो एकजुटता दिखाई है उसका असर राजनीति में खुलकर दिख रहा है।
ब्रिटिश मंत्रिमंडल के तीन प्रमुख मंत्री भारतीय मूल के हैं। ब्रिटिश मंत्रिमंडल में UK के वित्त मंत्री ऋषि सुनक, जिनकी हाल ही में कोरोना फैलाव के बाद बड़े आर्थिक पैकेज के ऐलान के कारण काफी तारीफ हुई थी, इनके अलावा व्यवसाय सचिव आलोक शर्मा प्रभावी मंत्री हैं। लेकिन सबसे उल्लेखनीय हैं प्रीति पटेल जो ब्रिटेन की गृहमंत्री हैं। उन्होंने ऐसी माइग्रेशन पॉलिसी बनाई जिसके चलते पाकिस्तानी मूल के प्रवासियों को ब्रिटेन आने की अनुमति मिलना मुश्किल हो गया है।
यह पॉलिसी उन आवेदनकर्ताओं को मदद करेगी जो विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं एवं पढ़ाई के लिए इंग्लैंड आने की अनुमति चाहते हैं। इसके चलते पाकिस्तान और अन्य कट्टर इस्लामिक देशों से माइग्रेशन अपने आप कम हो जाएगा।
UK में इस्लामिक कट्टरपंथ को लेकर चिंता बढ़ती जा रही थी। इसमें भी पाकिस्तानी मूल के लोग ऐसी घटनाओं में अधिक संलिप्त पाए जाते थे। एक रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी मुसलमानों की अपेक्षा भारतीय लोग विशेष रूप से हिंदू समुदाय शिक्षा के क्षेत्र में स्कूली स्तर से ही आगे रहता है। पाकिस्तानी मूल के बच्चे 11 वर्ष की आयु के पहले पढ़ाई में बहुत ही कमजोर होते हैं। 11 से 15-16 वर्ष की उम्र में उनमें सुधार होना शुरू होता है। किंतु यह देख गया है कि ये बच्चे 16 से 18 वर्ष की आयु में पढ़ाई में कमजोर हो जाते हैं।
विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में जहां पाकिस्तानी मुसलमानों एकसाथ बड़ी संख्या में रहते हैं, वहाँ यह ट्रेंड अधिक देखने को मिलता है। कई लोग शिक्षा एवं बेरोजगारी को ही ब्रिटेन में बढ़ते आतंकवाद का मुख्य कारण मानते हैं। तर्क जो भी दिया जाए तथ्य यह है कि पाकिस्तानी मूल के लोग आतंकी विचारधारा के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
हालांकि, ब्रिटेन में बहुत से लोग इस बात से सहमत नहीं हैं। इसी वर्ष जनवरी में एक खबर आई थी कि ब्रिटिश पुलिस ने लंदन में पोस्टर चिपकाकर यह कहा था कि जो लोग मुसलमानों को यह संदेश देते हैं कि मुसलमानों में आतंकी विचारधारा इसलिए है क्योंकि ब्रिटेन में वह प्रताड़ित हैं, वह भी केवल कट्टरपंथियों को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके बाद कई मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस तर्क का उपयोग अधिकांश पाकिस्तानी मूल के ऐसे मुसलमानों द्वारा किया जाता है, जो ब्रिटेन में इस्लामिल आतंक के कारण अपनी घटती लोकप्रियता को लेकर चिंतित हैं। साथ ही यह घटना बताती है कि आम ब्रिटिश ही नहीं सरकारी तंत्र भी कट्टरपंथियों और उनके संरक्षकों से परेशान है, भले ही इसे खुलकर स्वीकार नहीं किया जा रहा।
इसके विपरीत रिपोर्ट यह बताती है कि किसी भी अन्य समुदाय की अपेक्षा ब्रिटिश भारतीय समुदाय आर्थिक क्षेत्र में बहुत ही शानदार प्रदर्शन करता है। पाकिस्तानी मुसलमानों की अपेक्षा भारतीयों में बेरोजगारी डर आधी है। ब्रिटेन में पाकिस्तानीयों की कुल आबादी का 6.6% हिस्सा ही उच्च प्रबंधकीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में कार्यरत है। इसके मुलाबले भारतीय आबादी का 15.4% हिस्सा उच्च जीविका कमाता है। जबकि भारतीय समुदाय संख्या में अधिक हैं।
गृहमंत्री प्रीति पटेल की माइग्रेशन पॉलिसी और नील बसु जैसे भारतीयों की उपस्थिति ब्रिटेन को कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद से लड़ने में सहायता पहुँचा रही है। जहाँ एक ओर यूरोप कट्टरपंथी इस्लाम की आग से डरा हुआ है,वहीं ब्रिटेन अपनी लड़ाई भारतीयों के साथ मिलकर सफलतापूर्वक लड़ रहा है। इन तथ्यों के आधार पर यह तो कहा ही जा सकता है कि जब तक ब्रिटेन में भारतीय समुदाय प्रभावी है, ब्रिटेन का इस्लामीकरण नहीं हो सकता है।