PUBG पर प्रतिबन्ध चीनी टेक सेक्टर के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी, ये चीनी निवेशकों को तोड़कर रख देगा

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भारत के App बाज़ार से चीनी apps का सफाया जारी है। भारत सरकार ने CCP द्वारा की जाने वाली जासूसी का एक जरिया बन चुके इन Apps को भारत में जड़ से उखाड़ने का मानो प्रण ही ले लिया है। इसी कड़ी में 2 सितंबर को भी मोदी सरकार ने चीन से जुड़ी 118 mobile applications को प्रतिबंधित करने के फैसला लिया। भारत सरकार ने कहा है कि यह फैसला भारतीय साइबरस्पेस को और अधिक सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे पहले भारत 59 अन्य चीनी एप्स को भी प्रतिबंधित कर चुका है, जिनमें Tiktok जैसी बड़ी app भी शामिल थी। भारत सरकार का हालिया फैसला 29-30 अगस्त को लद्दाख में चीन द्वारा आक्रामकता दिखाये जाने के बाद लिया गया है। भारत द्वारा लिए गए इस फैसले से ना सिर्फ चीनी App सेक्टर को आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि यह दुनियाभर की Gaming industry में चीनी निवेशकों को अछूत भी बना देगा।

उदाहरण के लिए 2 सितंबर को प्रतिबंधित की गयी चीनी Apps में सबसे बड़ा नाम PUBG का था जिसे चीनी कंपनी Tencent ने बनाया था। Sportskeeda के अनुसार वर्ष 2018 में इस चीनी कंपनी ने PUBG का विकास करने वाली दक्षिण कोरियाई कंपनी Bluehole, जिसे आज Krafton के नाम से जाना जाता है, उसके 10 प्रतिशत शेयर्स को खरीद लिया था। इसी के बाद वर्ष 2018 में PUBG का मोबाइल वर्ज़न बनाया गया था, जिसे पूर्णतः Tencent द्वारा develop किया गया था। बता दें कि अभी भारत सरकार ने PUBG के mobile version को ही प्रतिबंधित किया है, जिसे चीनी कंपनी Tencent द्वारा बनाया गया था। भारत सरकार ने अपने इस फैसले से यह साफ संकेत दिया है कि अगर किसी भी gaming कंपनी में चीनी निवेशकों का पैसा लगा होगा , तो वह भारत में ज़्यादा दिनों तक नहीं टिक पाएगी।

भारत सरकार ने जिस प्रकार चुन-चुन कर चीनी निवेश वाली Apps को प्रतिबंधित किया है, उससे दुनियाभर की Gaming Industry में बड़ा संकेत जाएगा। अब अगर किसी को भी भारत के 135 करोड़ के मार्केट में अपनी जगह बनानी है, तो उसे चीनी निवेश से दूर ही रहना होगा। सोचिए अगर PubG ने mobile वर्ज़न चीनी कंपनी Tencent के जरिये ना बनाकर खुद बनाया होता और उसे भारत में Distribute किया होता, तो आज Pubg पर Ban की नौबत ना आती। इस प्रकार भविष्य में Gaming Industry से तो चीनी निवेशकों का पत्ता साफ होने वाला है, क्योंकि कोई भी game developer नहीं चाहेगा कि चीनी निवेश की वजह से वह भारत जैसे विशाल बाज़ार को अपने हाथों से जाने दे।

और सिर्फ Gaming Industry ही नहीं, बल्कि भारत सरकार खिलौनों के क्षेत्र में, इनफ्रास्ट्रक्चर से लेकर रेलवे क्षेत्र में और साथ-साथ एनर्जी सेक्टर में भी चीनी apps को चुन-चुन कर निशाना बना रही है। माना जा रहा है कि भारत सरकार के इस बड़े फैसले के बाद भारत जैसे अन्य लोकतान्त्रिक देश भी ऐसे ही कदम उठाने के लिए प्रेरित होंगे।

चीनी Apps पर बैन लगाने का मकसद चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचाना तो बिलकुल नहीं है। इसका सबसे बड़ा मकसद चीन के उस जासूसी उद्योग पर चोट करना है, जिसके माध्यम से CCP दुनियाभर के लोगों को प्रभावित करने की कोशिश करती है। चीन National Intelligence Law के अनुसार, चीनी कंपनियों को खुफिया गतिविधियों में भागीदारी सहित देश के राष्ट्रीय हितों का समर्थन करने में CCP के साथ सहयोग करना आवश्यक है।  इस कानून में तो यह भी है कि अगर कोई कंपनी चीन की सरकार को मदद करती है तो उसे पुरस्कार भी दिया जाएगा। यानि चीन कई छोटे बड़े एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर कई देशों का डेटा जमा करता है और लोगों की प्राइवेसी में सेंध लगाता है। हालांकि, भारत सरकार को अब भारत के साइबर स्पेस को पूरी तरह चीन-प्रूफ बना चुकी है।

भारत सरकार द्वारा लिया गया हालिया फैसला कोरोना के बाद के विश्व में Gaming को हमेशा के लिए बदलने वाला है। भारत अपने दम पर पूरी Gaming industry को चाइना-फ्री करने में लगा है, और जल्द ही चीनी निवेशक दुनियाभर के game developers के लिए अछूत सिद्ध हो जाएंगे।

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