रवि किशन और जया बच्चन- दोनों एक्टर एक ही Industry से हैं, लेकिन एक ही विषय पर विचार इतने अलग कैसे?

दाल में कुछ तो काला है...

बॉलीवुड

PC: Zee News

आज संसद में एक बार फिर सांसदों के बीच घमासान वाक युद्ध हुआ। नहीं नहीं, ये वाकयुद्ध भारत की अर्थव्यवस्था या कांग्रेस के ‘असहिष्णुता’ राग को लेकर नहीं, बल्कि बॉलीवुड में ड्रग्स के सेवन को लेकर हुआ।  सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु और रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के पश्चात अब ये मुद्दा पूरे राष्ट्र का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है, और इसी बीच जया बच्चन और रवि किशन के बीच बॉलीवुड में ड्रग्स के सेवन को लेकर हुआ वाक युद्ध ने बॉलीवुड के दो अलग पक्षों को सबके सामने लाकर रख दिया है।

इसी विषय पर जाने-माने अभिनेता एवं गोरखपुर से लोकसभा में भाजपा का प्रतिनिधित्व कर रहे रवि किशन ने सोमवार को इस विषय पर अपना मत रखते हुए केंद्र सरकार से इस मामले को गंभीरता से लेने और बॉलीवुड से ड्रग्स के कलंक को हटाने की बात की। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा, “नशीले पदार्थों की तस्करी और उसके सेवन ने हमारे युवा वर्ग को बर्बाद करके रखा है। चीन और पाकिस्तान द्वारा नेपाल जैसे देशों के रास्ते भारत में ड्रग्स की तस्करी की जा रही है। यहां तक कि कई फिल्मी सितारे भी ड्रग्स का सेवन करते दिखाई दे रहे हैं। कई युवा अभिनेताओं को अपना आदर्श मानते हैं, और यदि वही ड्रग्स का सेवन करते दिखाई देंगे, तो क्या उदाहरण पेश होगा? सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की आवश्यकता है, और एनसीबी इस दिशा में अच्छा काम कर रही है”।

जहां एक छोटी सी बात का बतंगड़ बनाने में दो सेकंड भी नहीं लगते, वहाँ पर रवि किशन ने दलगत राजनीति और लाइमलाइट बटोरने की जुगत से बचते हुए ड्रग्स की समस्या के बारे में न केवल चर्चा की, अपितु इसके लिए उचित समाधान भी गिनाने का प्रयास किया। परंतु वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी थे, जो समस्या का सामना करने के बजाए समस्या को सामने लाकर उसके समाधान के लिए अपील करने वालों को ही निशाने पर लेने लगे, और ऐसीही कुछ पूर्व अभिनेत्री और राज्यसभा में समाजवादी पार्टी का नेतृत्व कर रही जया बच्चन।

अपने व्याख्यान में जया ने कहा, “मनोरंजन उद्योग हर रोज 5 लाख रोजगार देता है और अप्रत्यक्ष तौर पर 50 लाख लोगों को आजीविका देता है। ऐसे समय में जब स्थिति निराशाजनक है और रोजगार सबसे खराब स्तर पर है, लोगों का ध्यान हटाने के लिए सोशल मीडिया के जरिए हमें कोसा जा रहा है। ऐसा इसीलिए है क्योंकि इण्डस्ट्री को सरकार का समर्थन नहीं मिल रहा है। जिन लोगों ने उद्योग के जरिए नाम कमाया है, उन्होंने इसे एक नाली (गटर) कहा है। मैं पूरी तरह से असहमत हूं। मैं इनसे खुद को अलग करती हूं। मुझे उम्मीद है सरकार ऐसा करने वालों को रोकेगी। उद्योग में ऐसे लोग हैं, जो सबसे ज्यादा टैक्स देने वालों में शामिल हैं और उन्हें परेशान किया जा रहा है। कुछ लोगों (बुरे काम करने वाले) के कारण आप पूरे उद्योग की छवि को धूमिल नहीं कर सकते। मैं वास्तव में शर्मिंदा हूं कि एक लोकसभा सांसद ने फिल्म उद्योग के खिलाफ बात की। जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं”।

कहते हैं, कभी भी संदेशवाहक या दूत को संदेश देने के लिए अपमानित नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन जया बच्चन ने बिना रवि किशन का नाम लिए उन्हें जिस प्रकार से अपमानित किया है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि किस प्रकार से बॉलीवुड के एलीट वर्ग के सितारे इस समय किसी भी प्रकार की जवाबदेही से बचना चाहते हैं। वे सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु पर एक शब्द अपने मुंह से नहीं निकालेंगे, वे अपने ही उद्योग की एक सदस्य के साथ महाराष्ट्र के वर्तमान प्रशासन की बदसलूकी पर मौन व्रत धारण कर लेंगे, परंतु यदि इसी दोगले स्वभाव के लिए कोई उन पर उंगली उठाए, तो उसे अपमानित करने में वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

रवि किशन ने केवल ड्रग्स के विषय पर सख्त एक्शन लेने के लिए अपील की और बॉलीवुड के सितारों को इस लड़ाई में जुड़ने के लिए आगे आने को कहा। परंतु जया बच्चन ने जिस प्रकार से इस अपील को ठुकराने का प्रयास किया, उससे एक बार फिर सिद्ध होता है कि बॉलीवुड में दो अलग अलग गुट हैं – एक जो शक्तिशाली होने के बावजूद किसी प्रकार की ज़िम्मेदारी नहीं उठाना चाहते, और दूसरा, जो जिम्मेदार हैं, सशक्त हैं, परंतु उनके पास वो शक्ति नहीं है जिससे वह अपना प्रभाव जमा सके।

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