“वो ‘गांधी’ जो जेल जाने से डर गया” प्रशांत भूषण द्वारा 1 रुपये की जुर्माना राशि भरा जाना अन्य फर्जी एक्टिविस्टों के लिए एक सबक है

चलो जुर्माना देकर प्रशांत भूषण ने माना तो कि उनकी गलती थी

प्रशांत भूषण

pc: नवभारत टाइम्स

आखिरकार सुप्रीम कोर्ट और अधिवक्ता प्रशांत भूषण के बीच चल रही तनातनी पर पूर्ण विराम लग गया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के समक्ष सज़ा के रूप में दो विकल्प रखे – या तो अदालत की अवमानना का अपराध स्वीकार कर लें और 1 रुपये का जुर्माना दें, या फिर 3 महीने कारावास की सज़ा झेलें। और प्रशांत भूषण ने पहला विकल्प ही चुना।

इसे कई वामपंथियों ने प्रशांत भूषण के अभियान को लोकतंत्र की विजय के तौर पर दिखाने का प्रयास किया। उदाहरण के लिए, सबा नक़वी ने ट्वीट किया, “प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट से जीत गए। यदि आप सही हैं, तो आप पहले पलक नहीं झपकाएंगे!” तो वहीं निधि राज़दान ने ट्वीट किया, सिर्फ 1 रुपये का जुर्माना लगा। प्रशांत भूषण को अडिग रहने के लिए बधाइयाँ!”

प्रशांत भूषण को आखिर 1 रुपये का जुर्माना किस बात के लिए देना पड़ा? दरअसल भूषण के दो ट्वीट्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया। एक ट्वीट में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े द्वारा एक बाइक पर बैठे हुए फोटो खिंचवाने को लेकर की गई विवादित टिप्पणी पर थी  और दूसरे ट्वीट में तो सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट की प्रतिबद्धता पर ही उन्होंने सवाल उठा दिया था।

अब ऐसे में प्रश्न ये उठता है कि, क्या वाकई में प्रशांत भूषण द्वारा एक रुपये दिये जाने से उनकी या उनके विचारधारा की विजय हुई है? बिलकुल भी नहीं!! सुप्रीम कोर्ट ने भूषण के समक्ष एक रुपये का जुर्माना या 3 माह कारावास का निर्णय रखकर एक तीर से दो निशाने साधे। यदि भूषण 3 माह का कारावास स्वीकार करते, तो उनकी हठधर्मिता सिद्ध हो जाती, कि चाहे कुछ भी हो जाये, पर वो अपने किए के लिए क्षमा नहीं मानेंगे। यदि वो 1 रुपये का जुर्माना स्वीकार कर लेते, तो ये सिद्ध हो जाता कि, उन्होंने अपराध किया है और वो इस बात को स्वीकारते भी हैं।

ऐसे में उन्होंने एक रुपये का जुर्माना स्वीकार कर यही सिद्ध किया है कि, उनके लिए विचारधारा या उसूल कोई मायने नहीं रखते, क्योंकि अपनी सहूलियत के हिसाब से वो जब चाहे उसे तोड़ सकते हैं। इस बात के लिए सोशल मीडिया पर उन्हें बहुत ट्रोल किया गया। “#ShowSomeSpineDontPayFine” यानि थोड़ा दम दिखाओ जुर्माना मत चुकाओ ट्विटर पर ट्रेंडिंग मुद्दा बन गया। प्रशांत भूषण कुछ दिनों पहले तक दावा कर रहे थे कि वो सज़ा भुगतने को तैयार हैं। पर न ही वो माफी मांगेंगे और न ही वो अपने आरोपों को स्वीकारेंगे। पर अब एक रुपये का जुर्माना चुकाने के साथ ही, उनके ये सारे दावे हवा हो गए। इसपर अभिनेता मनोज जोशी ने चुटकी लेते हुए ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट भी औकात के हिसाब से फाइन लगाता है।”

भूषण जुर्माना चुकाकर अपने आप को गांधी के सच्चे अनुयाई के तौर पर दिखाना चाहते थे, पर वो वास्तव में कितने सफल हुए, यह इतिहासकार अनुज धर के इस तंज़ से ही पता चलता है। अनुज धर ने भूषण को आईना दिखाते हुए ट्वीट किया, “जब इतिहास जब कभी पुनरावृत्ति करता है, तो ज़्यादातर ही नौटंकी देखने को मिलती है। सुप्रसिद्ध गांधी फिल्म का एक दृश्य।”

https://twitter.com/anujdhar/status/1300442647069224961?s=20

सच कहें तो सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण पर एक रुपये का जुर्माना लगाकर न केवल उन्हें और उनके पीआईएल गिरोह की औकात बताई है, बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि, प्रशांत भूषण जैसे लोग सिर्फ बातों के शेर हैं। जब विचारधारा को यथार्थ में आत्मसात करने की बात आती है, तो प्रशांत जैसे कथित गांधीवादी अपनी बगलें झाँकते नज़र आते हैं।

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