शेर के आने पर गीदड़ की हालत कैसी होती है, इसका एक बढ़िया उदाहरण अभी बंगाल में देखने को मिला। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से पहले मेघालय और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय बंगाल की राजनीति में सक्रियता से भागीदारी निभाने का मन बना चुके हैं। अब उनके इस फैसले से तृणमूल काँग्रेस के नेताओं के चेहरों से हवाइयाँ उड़ने लगी है, इसलिए तृणमूल नेता तथागत रॉय को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक गिरने को तैयार हैं।
अभी हाल ही में तथागत रॉय ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने वर्तमान ममता प्रशासन पर बंगाल को नर्क बनाने के लिए जिम्मेदार बताया था। उन्होंने ट्वीट किया, “भारत में बंगाल नाम का कोई राज्य नहीं है। अपने तथाकथित प्रगतिवादी सोच के कारण पश्चिम बंगाल अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारकर पश्चिम बांग्लादेश बनने की राह पर चल चुका था। भला हो कि दिल्ली में एक लौहपुरुष है जिसके कारण ये बात पूरी तरह सच नहीं हुई। जय हिन्द!”
There is no state in India called ‘Bengal’.
West Bengal,through its so-called ‘progressive thoughts’ has shot itself in the feet and would have been halfway today to becoming West Bangladesh.
It is only the fear of the Iron Man in New Delhi that prevents it.
Jai Hind.— Tathagata Roy (@tathagata2) September 7, 2020
इस एक ट्वीट ने मानो पश्चिम बंगाल की राजनीति में खलबली मचा दी, जिसमे सबसे ज्यादा तिलमिलाहट तृणमूल काँग्रेस को ही हुई। शिक्षा मंत्री पार्था चैटर्जी तो कुछ ज़्यादा ही बौखला गए और अपनी बौखलाहट को उन्होंने कुछ इस तरह ट्वीट किया, “बंगाल एक ऐसी भूमि है, जहां लोगों को बेहद सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। तथागत जैसे व्यक्ति ने बेहद निकृष्ट बयान दिये हैं और उन्हें एक बार बंगाल की राजनीति में उतरने से पहले अपने दूषित मस्तिष्क का कुछ करना चाहिए”
Bengal is a land where respect for people is paramount! @tathagata2 has made some wild obnoxious comments and he should really reconsider the idea of entering Bengal politics with such a polluted mindset!https://t.co/IZ5V0X33xu
— Partha Chatterjee (@itspcofficial) September 7, 2020
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पार्था चैटर्जी के इस ट्वीट में तथागत रॉय के प्रति बंगाल प्रशासन की कुंठा स्पष्ट झलकती है। दरअसल, तथागत रॉय के आगमन से पहले भाजपा पश्चिम बंगाल में ममता को चुनौती अवश्य दे रही थी, लेकिन अभी उसमें थोड़े और ताकत की ज़रूरत थी। अब तथागत रॉय के आने से सभी समीकरण बदल से गए हैं।
तथागत रॉय शुरू से ही एक प्रखर नेता के तौर पर जाने जाते हैं जो अपने हिन्दू होने पर खुल कर गर्व करते हैं। ये रॉय ही थे, जिन्होंने गुजरात दंगों के दौरान मोदी का समर्थन किया था और उन्हें “साहसी नेता” कहा था। इसके अलावा तथागत शुरू से ही कम्युनिस्टों तथा ममता बनर्जी के प्रखर विरोधी रहे हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि तथागत रॉय के बढ़ते प्रभाव से टीएमसी के हाथ पाँव फूलने लगे हैं। तृणमूल के इस राजनीतिक दर का प्रभाव आने वाले चुनावों में निश्चित रूप से देखने को मिलेगा।