चीन हर देश को बिजनेस के जरिए ही प्रभावित करता है। अमेरिका के वॉलस्ट्रीट के बिजनेसमैन भी इस लिस्ट में शामिल हैं। इन एलीट क्लास के बिज़नेसमैन्स के सीधे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध हैं और इस कारण अब वॉलस्ट्रीट जनरल के बिजनेसमैन्स के खिलाफ ट्रंप ने भी मोर्चा खोलते हुए सख्त बयान दिया है और इन बिजनेसमैन्स को चीन का सिपहसालार बताया है। चीन पर ये आरोप हमेशा ही रहे हैं कि वो अपने बिजनेस मॉडल के तहत अमेरिका के बिजनेसमैन्स के माध्यम से अमेरिकी व्यापार को प्रभावित करता है।
व्यापारियों से सीधा जुड़ाव
एक रिपोर्ट के मुताबिक वॉलस्ट्रीट के ग्लोबल बिजनेसमैन्स के ची़न की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ काफी मजबूत करार हैं। चीन ने वॉलस्ट्रीट के बैंकिंग सेक्टर्स और फाइनेंस को समझा है कि वो क्या चाहता है। चीन की ओर से लगातार यहां निवेश किया जाना, व्यापारियों को चीन में व्यापार से जुड़ी सुविधाएं देना, चीन की एक बड़ी रणनीति रही है। वॉलस्ट्रीट के दो बड़े बिजनेस गोल्डमैन साक्स और जेपी मॉर्गन का चीन के साथ अरबों का संबंध है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वॉलस्ट्रीट के पांच बड़े बैंकों में चीन का करीब 70.8 बिलियन डॉलर्स का निवेश हैं जिसे कोई भी खोना नहीं चाहेगा। ऐसे में चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड नीतियां बिगड़ने पर ये सभी चीन की तरफदारी कर अमेरिका की मुश्किलें बढ़ा देते हैं।
बिजनेसमैन से सीधा रिश्ता
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इन बिजनेसमैन्स के साथ दोस्ती का रिश्ता बना लेती है। कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के बच्चे वॉलस्ट्रीट की कंपनियों में उच्च पदों पर बैठकर अमेरिका और चीन के बीच रिश्तों को प्रभावित करते हैं जिससे सारा लाभ चीन को मिलता है। अमेरिकी बिजनेस बैंक गोल्डमैन साक्स को लेकर तो एक खबर भी सामने आई थी कि वो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के बच्चों, भतीजों और रिश्तेदारों को अधिकतम वेतन वाले बड़े पद की नौकरियां दे रहे थे जबकि उनकी योग्यता को कोई तवज्जो नहीं दी गई थी। ये ही लोग बड़ी आसानी से चीन के साथ व्यापार से जुड़े करार कर लेते हैं।
ट्रंप जानते हैं सारी चाल
ट्रंप ये चाल अच्छे-से समझते हैं लेकिन वॉलस्ट्रीट की ताकत के सामने उनके हौसले भी थोड़े ढीले पड़ जाते हैं क्योंकि केवल ट्रंप ही नहीं बल्कि उनके पहले के राष्ट्रपति ओबामा, क्लिंटन, बुश के कार्यकाल के दौरान भी जब कभी चीन से व्यापार की नीतियों को बदलने की खबरें आती थी तो वॉलस्ट्रीट के बिजनेसमैन्स की तरफ से राष्ट्रपति के सलाहकारों और कांग्रेस को यही संदेश दिया जाता था कि चीन से व्यापारिक नीतियों को तल्ख करना अच्छा फैसला नहीं होगा।
ये सारे वो मामले हैं जो बताते हैं कि वॉलस्ट्रीट के ये बिजनेसमैन्स किस तरह से अमेरिका में रहते हुए चीन के बड़े पार्टनर बन गए हैं और यही लोग चीन के समर्थन में एजेंडा चलाकर अमेरिका को प्रभावित करते हैं। ये बिजनेसमैन अमेरिका में कैंपेन और अपने जनरल्स के जरिए सरकार और कांग्रेस पर बीजिंग के साथ नर्म रुख रखने का दबाव बनाते हैं। वॉलस्ट्रीट के ही कुछ कर्मचारी तो व्हाइट हाउस तक अपनी पकड़ बना चुके हैं और अपने रसूख के जरिए अमेरिकी सरकार के निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
चीन के प्रति अपार निष्ठा
ये एक बड़ा कारण है कि अमेरिका-चीन के बीच चले ट्रेड वॉर के दौरान वॉलस्ट्रीट चीन के साथ खड़ा दिखाई दिया था। जहां से चीन के साथ व्यापार को कम करने नहीं बल्कि और अधिक विस्तार देने की बातें उठीं थीं। वहीं इस ट्रेड वॉर के दौरान वॉलस्ट्रीट के बिजनेसमैन चीनी नेताओं का समर्थन कर रहे थे और चीनी नेता अमेरिकी नेताओं से वार्ता के पहले वॉलस्ट्रीट के बिजनेसमैंस से मिले थे जो चीन के प्रति उनकी निष्ठा को दिखाता है।
चीन की ये नीति केवल अमेरिका के साथ नहीं… बल्कि विश्व के सभी देशों में ऐसी ही है। जहां वो अपना प्रभाव जमाने के लिए उस देश के महत्वपूर्ण लोगों और बिजनेसमैन को निवेश के दम पर झुकाता है और फिर निवेश के जरिए ही उस देश को कमजोर करने की नीति पर काम करता है। ट्रंप शुरू से ही चीन के खिलाफ बयान देते रहे हैं। चीन के साथ लगाकर बढ़ते गतिरोध के चलते वॉलस्ट्रीट को नुकसान हो रहा है। ऐसे में ट्रंप अगर इन चुनावों में जीत हासिल करते हैं तो उसके बाद वॉलस्ट्रीट के बिजनेसमैन का चीन प्रेम उन पर ही भारी पड़ेगा।