लद्दाख की सर्दी में PLA के बच्चे जम जाएंगे, इसलिए जल्द से जल्द चीन भारत को पीछे धकेलना चाहता है

अरे ओ PLA! कुछ दिन तो गुज़ारों हमारे सियाचिन में!

भारतीय

पूर्वी लद्दाख पर कब्जा जमाने के इरादे से आए पीएलए के सैनिकों को किस प्रकार से मुंह की खानी पड़ी है, इसके लिए कोई विशेष शोध करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अब चीन ने भारतीय सैनिकों पर दबाव बढ़ाने के लिए कुछ ऐसे दांव चले है, जिनके बारे में पढ़कर आपके मन में पाकिस्तानी सैनिकों के लिए काफी इज्ज़त बढ़ जाएगी।

ये बात हमने यूं ही नहीं कही है, बल्कि चीनी मीडिया का वर्तमान बर्ताव ही इसको बढ़ावा दे रहा है। अभी हाल ही में ग्लोबल टाइम्स के प्रमुख संपादक हू शीजिन ने एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, “इन ड्रोन्स के साथ मोर्चे पर तैनात हमारे पीएलए के सैनिक गरमागरम भोजन का आनन्द ले सकते हैं, खासकर तब जब मोर्चे पर सर्दी के मौसम का आगमन हो जाये। हम हिंदुस्तानी सैनिकों के लिए केवल सहानुभूति जता सकते हैं, जिन्हें ठंडे, डिब्बाबंद खाने से संतोष करना पड़ता है, और सर्दी के अलावा कोरोना वायरस के खतरे से भी जूझना पड़ सकता है”।

जी हाँ, ये ग्लोबल टाइम्स के प्रमुख संपादक ने ही ट्वीट किया है। इसी को कहते हैं, “चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये”। एलएसी पर हर जगह चीन की धुलाई हो रही है, भारत ने कई अहम मोर्चों पर चीन से अपनी भूमि के अहम हिस्से वापिस छीने हैं, और उसके बाद भी चीन को लगता है कि ऐसा प्रोपेगैंडा प्रकाशित करके भारतीय सैनिकों को हतोत्साहित कर देगा। लेकिन हु शीजिन के आत्मविश्वास की भी दाद देनी पड़ेगी, उन्होंने ये वीडियो 11 सितंबर को प्रकाशित की है, जब 53 वर्ष पहले हमारे वीर जवानों ने नाथू ला के मोर्चे पर चीनी सैनिकों के आक्रमण का न केवल मुंहतोड़ जवाब दिया था, बल्कि उन्हें पटक पटक के धोया भी।

दरअसल, कुछ दिनों पहले भारतीय सेना ने यह निर्णय सार्वजनिक किया था कि वह सर्दियों में भी चीन से मोर्चा लेने के लिए पूरी पूरी तरह तैयार है। भारतीय सेना की क्षमता के बारे में प्रकाश डालते हुए सेवानिर्वृत्त अफसर, लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने बताया, “सितंबर का महीना भारत के लिए बहुत अहम है। यदि भारत ने इसे पार कर लिया, तो फिर अक्टूबर से मार्च के बीच यदि चीन ने हमला करने का प्रयास भी किया, तो भारत उसे कहीं का नहीं छोड़ेगा”।

इसके अलावा टाइम्स नाउ और फाइनेंशियल एक्स्प्रेस की रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय सेना ने पिछले कुछ दिनों में सर्दी के लिए योग्य फ्यूल, विंटर गियर, Special Nutrient Diet के अनुसार राशन, और विशेष स्नो टेंट्स को एलएसी में स्थित भारतीय सेना के पोस्ट्स पर भेजना शुरू कर दिया है। राशन और विंटर गियर के अलावा बॉर्डर रोड संगठन को भी सड़क निर्माण का काम युद्ध स्तर पर करने को कहा गया है।

ऐसे में इस बात से बिलकुल इंकार नहीं किया जा सकता कि, भारतीय सेना को अंदेशा है कि चीन 1962 की तरह एक बार फिर सर्दियों में हमला कर सकता है। लेकिन इस बार भारत पूरी तरह से चीन के किसी भी हमले के लिए निपटने के लिए तैयार है। इसीलिए अब चीन ने अपने हास्यास्पद प्रोपेगैंडा का इस्तेमाल शुरू कर दिया है, लेकिन जिन भारतीय सैनिकों को चीनी सैनिकों के चिंदी अस्त्र नहीं डिगा पाये, उन्हे क्या यह हास्यास्पद प्रोपेगैंडा डरा पाएगा?

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