रेकिन घाटी के काला टॉप को पुनः भारत में समाहित करने के बाद अब भारत ने चीन से होने वाली किसी भी संभावित भिड़ंत के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका है। इतना ही नहीं, भारतीय सेना ने सर्दी में भी चीन के किसी भी घुसपैठ से निपटने के लिए आवश्यक शस्त्र, संसाधन और राशन की व्यवस्था भी शुरू कर दी है। इससे साफ है कि, चाहे वह बॉर्डर पर झड़प हो या फिर युद्ध हो, भारत के इरादों और उनके पराक्रम को अब कोई रोक नहीं सकता।
भारत का पलड़ा इस समय चीन पर कितना भारी है, इसपर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने प्रकाश डाला है। लेफ्टिनेंट जनरल दुआ उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक्स की प्लानिंग का हिस्सा रहे थे। द क्विंट से अपनी बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल दुआ ने बताया कि, सितंबर का महीना भारत के लिए बहुत अहम है। यदि भारत ने इसे पार कर लिया, तो फिर अक्टूबर से मार्च के बीच यदि चीन ने हमला करने का प्रयास भी किया, तो भारत उसे कहीं का नहीं छोड़ेगा।
लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने यह बात यूं ही नहीं कही है। दरअसल चीन द्वारा 29 अगस्त की रात को किए गए हमले के बाद भारतीय सेना ने अपनी स्पेशल फ़्रंटियर फोर्स के बलबूते एलएसी पार किया और रेकिन घाटी के काला टॉप फीचर को चीन के कब्जे से छुड़ाने में सफलता प्राप्त की। इस शानदार उपलब्धि के कारण भारत अब चीन के विरुद्ध न केवल लाभकारी स्थिति में है, बल्कि चीन के विरुद्ध समय आने पर एक नया मोर्चा खोलकर उसे धुल चटाने में भी सक्षम भी होगा।
लेकिन भारतीय सेना केवल रेकिन घाटी के विजय से ही संतुष्ट नहीं है। वर्तमान गतिविधियां बता रही हैं कि, शायद वह चीन को ठीक वैसे ही सबक सिखाने के लिए तैयार हो रहा है, जैसे 1971 में उसने पाकिस्तान को सिखाया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार काला टॉप के आसपास के अहम पोस्ट्स पर अब भारत तिब्बत बॉर्डर पुलिस तैनात हो चुकी है, विशेषकर उन पोस्ट्स पर, जो पहले खाली रहा करते थे।
इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में कुछ ऐसे निर्णय लिए गए हैं, जिससे लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ की बातों को काफी बल भी मिल रहा है। टाइम्स नाऊ और फाइनेंशियल एक्स्प्रेस की रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय सेना ने पिछले कुछ दिनों में सर्दी के लिए योग्य फ्यूल, विंटर गियर, Special Nutrient Diet के अनुसार राशन, और विशेष स्नो टेंट्स को एलएसी में स्थित भारतीय सेना के पोस्ट्स पर भेजना शुरू कर दिया है।
पर बात यहीं पर खत्म नहीं होती। राशन और विंटर गियर के अलावा बॉर्डर रोड संगठन को भी सड़क निर्माण का काम युद्ध स्तर पर करने को कहा गया है। ऐसे में इस बात से बिलकुल इंकार नहीं किया जा सकता कि, भारतीय सेना को अंदेशा है कि चीन 1962 की तरह एक बार फिर सर्दियों में हमला कर सकता है। लेकिन जैसा लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने अपने साक्षात्कार में कहा है, इस बार चीन द्वारा सर्दियों में हमला उसी की सेना के लिए बहुत हानिकारक होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत पूरी तरह से चीन के किसी भी हमले के लिए निपटने के लिए तैयार है।
इसके अलावा यह बात भी सामने आई कि, भारतीय सेना की यह नीति केवल लद्दाख तक ही सीमित नहीं होगी, बल्कि उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम समेत एलएसी पर स्थित हर भारतीय पोस्ट के लिए लागू होगी। सच कहें तो यह समय भारत के लिए किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं है। इस समय सरकार सेना की हरसंभव सहायता के लिए तैयार खड़ी है और पूरा विश्व भारत के साथ है। ऐसे में चीन का एक गलत कदम उसकी पूरी कम्युनिस्ट सत्ता का सर्वनाश करने के लिए काफी होगा।
प्रसिद्ध अमेरिकन टीवी सीरीज़ गेम ऑफ थ्रोन्स का एक संवाद काफी चर्चा में है, “Winter is Coming”। इस सीरीज़ की दृष्टि से इस संवाद का अर्थ है – शत्रु की शामत आने वाली है। अगर वर्तमान में चीन की हालत देखें, तो यह संवाद उनकी स्थिति पर बिलकुल सटीक बैठता है। ऐसा इसलिए क्योंकि, चीन की शामत आ चुकी है और भारत उसे उसकी औकात बताने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है।