ज़िम्बाब्वे की आज़ादी के बाद अब यह देश अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। पिछले कुछ समय से यह देश कई गलत कारणों की वजह से खबरों में रहा है। ज़िम्बाब्वे सरकार की चीन की कम्युनिस्ट सरकार के साथ बढ़ती नज़दीकियों के कारण हाल ही में वहाँ की सरकार ने अफ़्रीका के सबसे महत्वपूर्ण Natural Reserves में से एक Hwange National Park में एक चीनी कंपनी को Mining करने के लिए अनुमति दे दी। देखते ही देखते यह बहुत बड़ी अंतर्राष्ट्रीय खबर बन गयी क्योंकि इस Reserve में ना सिर्फ लुप्त होने की कगार पर आ चुके Black Rhinos रहते हैं, बल्कि यह reserve 100 स्तनधारी जानवरों और पक्षियों की 400 प्रजातियों का घर भी है।
इस Reserve में Rhino की देखभाल के लिए मौजूद कर्मचारियों ने जब कुछ अनजान लोगों को वहाँ देखा, तो वे दंग रह गए। पहले तो उनको लगा कि ये लोग रास्ता भटक गए हैं, लेकिन बाद में जब उन्होंने पूछताछ की, तो उन लोगों ने बताया कि वे चीनी कंपनी Zhongxin Coal Mining Group से जुड़े हुए हैं, और उनके पास इस क्षेत्र में खदान करने की सरकारी अनुमति है। उन सभी लोगों के पास अनुमति के प्रमाण के रूप में राष्ट्रपति Emmerson Manangagwa द्वारा पारित कुछ दस्तावेज़ भी थे।
Vice News से बातचीत में Bhejane Trust से जुड़े Trevor Lane कहते हैं कि सरकार द्वारा किसी कंपनी को National Park में Mining करने देना गलत है। उनके मुताबिक यह National Park की सौंदर्यता के साथ-साथ Ecological balance और पर्यटन पर बेहद नकारात्मक प्रभाव डालेगा। इतने सारे पशु-पक्षियों के घर में यह सब करना ना सिर्फ नैतिक तौर पर गलत है बल्कि पर्यावरण के लिए भी घातक है। जैसे ही यह खबर अंतर्राष्ट्रीय Headline बनी, सभी दिशाओं से ज़िम्बाब्वे सरकार की आलोचना होने लगी, जिसके बाद सरकार ने इस reserve में सभी Mining क्रियाओं पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया। हालांकि, इस आदेश के बाद भी ज़मीन पर कभी Mining नहीं रुकी। सब हैरान थे कि क्या ज़िम्बाब्वे सरकार खुद ही Mining नहीं रोकना चाहती या अब वह रोक पाने की स्थिति में नहीं रही!
हालांकि, इसका जवाब इतना भी मुश्किल नहीं है। ज़िम्बाब्वे सर से पैर तक चीनी कर्ज़ में डूबा हुआ है, और चीनी कर्ज़ जाल में फँसने के कारण अब यह देश चाहकर भी चीन के हितों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले सकता। मुगाबे के समय में जब देश में श्वेत अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किए जा रहे थे, तब इस देश को अमेरिका और अन्य पश्चिमी लोकतान्त्रिक देशों द्वारा नकार दिया गया था। उसके बाद इस देश को चीन के रूप में नया “साथी” मिला। इसके बाद से ही चीन इस देश के कृषि सेक्टर से लेकर Mining और व्यापार क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश करता आया है। ज़िम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था में गहराई तक शामिल होने के कारण इस देश पर आज चीन का कर्ज़ भी कई गुना बढ़ गया है।
वर्ष 2000 के बाद से ही पश्चिमी देश इस अफ्रीकन देश पर प्रतिबंध लगाते आए हैं। उसके बाद से ही चीन इस देश के रेलवे, military academy, parliament building और सड़क मार्ग जैसे प्रोजेक्ट्स में निवेश करता आया है। चीन ने देश में 2800 Megawatts बिजली उत्पादक क्षमता वाला thermal power plant लगाने का भी वादा किया है, जो ज़िम्बाब्वे में काफी हद तक बिजली की कमी को दूर कर देगा, लेकिन ज़िम्बाब्वे को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है, और वह है बड़ी मेहनत से कमाई हुई आज़ादी, और संप्रभुता!
कई अफ्रीकी देशों की तरह ही ज़िम्बाब्वे में भी चीनी सरकार Mandarin थोपने में लगी है। इस देश में काम कर रही चीनी कंपनियाँ देश के संसाधनों को लूटने में लगी हैं और इस देश की परवाह किए बिना अपनी जेब भरने पर पूरा ध्यान दे रहीं हैं। चीन के कर्ज़ जाल में फंस चुका यह देश अब चीन के खिलाफ कुछ बोल भी नहीं पा रहा है।