यूपी को दिल्ली की तरह ही जलाना चाहते थे विरोधी, योगी ने इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया

रोहिंग्या योगी

कहते हैं, चोर चोरी से जाये हेराफेरी से न जाये। सीएए के विरोध के नाम पर पूर्वोत्तर दिल्ली को दंगों की आग में झोंकने के बाद भी  विपक्ष और अर्बन नक्सलियों के गठजोड़ का शायद अभी मन नहीं भरा था। तभी हाथरस हत्याकांड में अपने लिए एक सुनहरा अवसर भाँपते हुए विपक्ष और अर्बन नक्सलियों के गठजोड़ ने पूरी तैयारी की थी, जिससे हाथरस को भी विरोध के नाम पर हिंसा और आगजनी में झोंका जाये। पर वे भूल गए थे कि यह दिल्ली नहीं, उत्तर प्रदेश है, और यहाँ अरविंद केजरीवाल का नहीं, योगी आदित्यनाथ का शासन है।

हाल ही में इंटेलिजेंस एजेंसियों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। जागरण और CNN न्यूज़ 18 की रिपोर्ट्स के अनुसार, “एजेंसियों के हाथ जो सबूत लगे हैं उसके मुताबिक इस केस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को बदनाम करने की साजिश थी। एजेंसियों को यह भी सबूत मिले हैं कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और इस्लामिक देश (Islamic Country) इसके लिए फंडिंग कर रहे थे। इसके अलावा जस्टिस फॉर हाथरस के नाम से एक वेबसाइट बनाई गई थी। वेबसाइट पर विरोध-प्रदर्शन की आड़ में देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका बताया गया था। इतना ही नहीं अफ़वाहें फैलाने के लिए मीडिया (Media) और सोशल मीडिया (Social Media) के दुरुपयोग के भी अहम सुराग मिले हैं”।

तो आखिर हाथरस में पीड़िता के न्याय के नाम पर दंगे भड़काने से किसी को क्या लाभ मिलता? इससे अपराध करने वालों को लाभ मिलता, जिनका जीवन पिछले कई वर्षों में योगी प्रशासन ने बदतर कर रखा है। न अपराधी स्वच्छंदता से कमीशनखोरी कर सकते हैं, न ही वे अपराध को बेखौफ होकर अंजाम दे सकते हैं, और तो और, अब वे खुलेआम दंगे कर अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर बच कर नहीं निकल सकते। हर मोर्चे पर एक सतर्क सैनिक की भांति योगी प्रशासन ने भारत तोड़ने वालों की मंशाओं पर ज़बरदस्त पानी फेरा है। शायद इसीलिए विपक्ष, अर्बन नक्सली और असामाजिक तत्वों के गठजोड़ ने हाथरस हत्याकांड को पलटवार के लिए एक सुनहरा अवसर मानते हुए एक फूलप्रूफ प्लान तैयार किया था, जिससे उत्तर प्रदेश में जातिवाद का विष पुनः घोलकर राज्य को अस्थिर बनाना चाहता थे। वहीं, घटना के बारे में सफ़ेद झूठ बोलना हो, या फिर पीड़ित परिवार को बरगलाने की कोशिश करना, मीडिया के वामपंथी गुट ने शिष्टाचार की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

ये प्लान कितना विषैला था, इससे संबन्धित जांच एजेंसियों के रिपोर्ट के एक अंश के अनुसार, “हाथरस के पीड़ित परिवार को सरकार के खिलाफ भड़काने की साजिश का भी पर्दाफाश हुआ है, सबूत के तौर पर कई ऑडियो टेप प्राप्त हुए। जांच एजेंसियों ने ऑडियो टेप का संज्ञान लेते हुए इस विषय में जांच पड़ताल शुरू कर दी है, और इस कथित ऑडियो टेप में कुछ राजनीतिक दलों के साथ ही कुछ पत्रकारों की भी आवाज मिली है। इसके अलावा पीड़ित परिवारों को सरकार के खिलाफ भड़काने के लिए पचास लाख से लेकर एक करोड़ तक का लालच दिया जा रहा है।”

लेकिन योगी आदित्यनाथ शायद ने एक भी मौका न गँवाते हुए घटनाक्रम में लापरवाही बरतने वाले सभी प्रमुख अफसरों को निलंबित कर दिया, और फिर एसआईटी की जांच भी बिठाई। विपक्ष अपनी मनमानी न कर पाये, इसलिए एसआईटी जांच पूरी होने तक उन्होंने विपक्ष और मीडिया की गाँव में एंट्री पर पूरी तरह रोक लगा दी। परंतु वे इतने पर नहीं रुके, क्योंकि योगी प्रशासन ने घटना से संबन्धित सभी पक्षों के नार्को टेस्ट करवाने के साथ-साथ सीबीआई की जांच कराने का भी ऐलान कर दिया। इससे न केवल हाथरस को आग में झोंकने की योजना भी फ्लॉप रही, बल्कि मीडिया के पास योगी सरकार को घेरकर उनपर दबाव बनाने का अवसर भी हाथ से फिसल गया।

इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने स्वयं आक्रामक रुख अपनाते हुए विपक्ष की पोल खोलते हुए कहा, “जिन्हें विकास अच्छा नहीं लग रहा है, वह जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं। इन दंगों की आड़ में उन्हें राजनीतिक रोटियां सेंकने का अवसर मिलेगा,इसलिए वे नित नए षड्यंत्र करते हैं, इन षड्यंत्रों के प्रति पूरी तरह आगाह होते हुए हमें विकास की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना है”।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि विपक्ष – अर्बन नक्सली – असामाजिक तत्वों के गठजोड़ ने उत्तर प्रदेश को जलाने की पूरी व्यवस्था कर ली थी, लेकिन योगी सरकार ने उन्हें एक भी मौका न देते हुए सच्चाई को सामने लाने का मार्ग भी प्रशस्त किया, और विपक्ष एक बार फिर कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं बचा है।

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