क्या अमेरिका और चीन युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं? माइक पॉम्पियो और यूएस NSA का बयान तो इसी ओर इशारा कर रहा

अमेरिका

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार तो सभी ने देखा परंतु इन दोनों महाशक्तियों के बीच अभी भी वास्तविक युद्ध नहीं हुआ है। परंतु जिस तरह से अमेरिकी अधिकारियों के बयान आ रहे हैं उससे तो यह लगता है कि आने वाले किसी भी समय में चीन के खिलाफ युद्ध की रणभेरी बज सकती है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से लेकर अमेरिकी NSA इसी बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि ‘अब बहुत हुआ सम्मान, करो CCP का काम तमाम।’

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार Robert O’Brien ने कहा है कि अब समय आ गया है कि ‘दुनिया यह स्वीकार कर ले कि चीन बातचीत या समझौतों से नहीं बदलने वाला है’। उन्होंने कहा कि ‘अब किसी अन्य रस्तों पर विचार कर के कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है, हम यह बहुत पहले से करते आ रहे हैं’।

यह बयान युद्ध के अलावा किसी अन्य परिपेक्ष्य में देखना एक बड़ी भूल होगी क्योंकि अब अमेरिकी NSA के बयान से यह स्पष्ट हो चुका है कि चीन के साथ अब युद्ध के सिवा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा है। चीन पर कब्जा जमाए बैठी CCP उन्हीं भूतों की तरह बर्ताव कर रही है जो बातों से नहीं, बल्कि लातों से मानते हैं। यानि CCP को उसकी औकात दिखाने के लिए अब युद्ध करना आवश्यक हो चुका है।

उन्होंने लद्दाख और ताइवान का उदाहरण भी दिया और बताया कि कैसे चीन बावजूद अपनी आक्रामकता को कम नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि, “चीन ने आक्रमकता दिखाते हुए भारत के साथ लगे Line of Actual Control को अपना क्षेत्र बता कर उसका नियंत्रण अपने हाथ में लेने की कोशिश की। चीन ताइवान में भी आक्रामकता दिखा रहा जहां PLA की नौसेना और वायु सेना लगातार सैन्य ड्रिल कर ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।“

उन्होंने चीन की OBOR को भी इसी नीति का हिस्सा बताते हुए कहा कि चीन अन्य देशों की मजबूरी का फायदा उठाकर कभी न चुकाने वाले कर्ज देकर उन्हें अपने ऋण जाल में फँसाता है और फिर उनसे UN में CCP की नीतियों का साथ देने के लिए मजबूर करता है।

सिर्फ NSA ही नहीं, बल्कि अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी चीन पर हमला किया और कहा कि “एक मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु CCP की वजह से हो चुकी है, फिर भी वह आक्रामकता दिखाने से बाज नहीं आ रहा है और भारत से साथ बॉर्डर पर लगातार सैनिकों को जमा कर रहा है।“ उन्होंने आगे कहा कि, “कोरोना की वजह से विश्व की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है और भारत के बॉर्डर पर 60,000 से अधिक चीनी सैनिक जमा हो चुके हैं।“ वह QUAD देशों की बैठक के बारे में इंटरव्यू दे रहे थे। उन्होंने कहा कि QUAD जिसमें विश्व के चार बड़े लोकतन्त्र देश, चार ताकतवर अर्थव्यवस्था वाले देश जिनमें से सभी ने चीन के खतरे को झेला है, अब ये देश और उनकी जनता समझ चुकी है कि सभी ने CCP के खतरे को अधिक दिनों तक नजरंदाज किया है, अब और नहीं। उनके कहने का स्पष्ट मतलब था कि अब सोने का नहीं बल्कि एक्शन लेने का समय है और CCP को उसके कुकर्मों की सज़ा देना अतिआवश्यक है। QUAD समूह के देश चीन के खिलाफ एक्शन लेने में सबसे प्रखर रहे हैं, चाहे वो पूर्वी चीन सागर में जपान हो, या कोरोना के मामले पर ऑस्ट्रेलिया, या फिर लद्दाख बॉर्डर सीमा पर भारत। अब ये सभी देश मिलकर चीन के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं।

यह किसी से छुपा नहीं है कि चीन किस तरह से अन्य देशों को इनफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए लोन देता है और फिर उन परियोजनाओं को बनाने के लिए चीनी लेबरों को ही काम दिलवाता है। जब उस देश का कर्ज इतना बढ़ जाता है कि वह न चुकाने की स्थिति मे पहुंच जाता है तो चीन उसकी संप्रभुता पर हमला कर अपने पक्ष में नीतियों का पालन करवाता है। चीन अन्य देशों को surveillance systems बेचकर तथा अपनी टेक कंपनियों के जरीये भी अन्य देशों की प्राइवेसी को लगातार भंग करता है।

यह किसी भी हाल में अमान्य होना चाहिए। कोरोना के बाद कई देश चीन के खिलाफ खड़े हो चुके हैं और अमेरिका उन सभी देशों की मदद कर रहा है, चाहे वो ऑस्ट्रेलिया हो, या जापान, या ताइवान। अमेरिका और ताइवान ने हाल ही में 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर का एक रक्षा सौदा पक्का किया है जिसके तहत अमेरिका Taiwan को Patriot Advance Capability – 3 (PAC-3) मिसाइल मुहैया कराएगा। अमेरिका की ये मिसाइल दुनिया की सबसे बेहतरीन डिफेंस सिस्टम में से एक है। यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू जहाजों को पल भर में मार गिराने में सक्षम है। इससे पहले अमेरिका ने ताइवान को 180 मिलियन अमेरिकी डॉलर में 18 MK-48 Mod6 टॉरपीडो और संबंधित उपकरणों की बिक्री को मंजूरी दी थी। अमेरिका शुरू से ही Taiwan को चीन के खिलाफ मजबूत कर रहा है। दक्षिण चीन सागर में वियतनाम और फिलीपींस को आगे बढ़ाने की शह भी अमेरिका ने ही दी है। अमेरिका आसियान देशों को चीन के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए पूरी मदद कर रहा है।

अब अमेरिका के NSA और विदेश मंत्री के तरफ से इस तरह के बयान दिखाता है कि अब अमेरिका का चीन के साथ युद्ध हो कर रहेगा। पिछले तीन चार सालों में चीन के खिलाफ बोलने में अमेरिका ने बिल्कुल भी गुरेज नहीं किया है। इसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार हैं।

जापान से विवाद हो या फिर दक्षिण चीन सागर पर चीन का बढ़ता प्रभुत्व, अमेरिका मुखरता से चीन के खिलाफ खड़ा रहा है। परंतु अब चीनी हरकतें बढ़ चुकी है जिसका उत्तर सिर्फ और सिर्फ CCP से युद्ध ही दिखाई दे रहा है। अब समय बदल चुका है और अधिकतर देशों को CCP के खतरे का अंदाजा हो चुका है। अब इस CCP विरोधी लहरों पर सवार होकर अमेरिका चीन के खिलाफ पूरी तैयारी कर चुका है और आने वाले किसी भी समय युद्ध का बिगुल बज सकते हैं।

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