अर्नब गोस्वामी vs परमबीर सिंह: आखिर क्यों परमबीर सिंह अर्नब के खिलाफ अपनी जंग को नहीं जीत सकते?

शुरू परमबीर सिंह ने किया था खत्म अर्नब करेंगे!

अर्नब

रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्नब गोस्वामी और महाराष्ट्र के वर्तमान प्रशासन के बीच की लड़ाई ने अब एक नाटकीय मोड़ लिया है। रिपब्लिक टीवी ने आधिकारिक तौर पर मुंबई पुलिस के वर्तमान कमिश्नर परमबीर सिंह के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दर्ज किया है, और आरोप सिद्ध होने पर परमबीर सिंह से 200 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “सोमवार को रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि, महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस ने अदालत में यह बात स्वीकार कर ली है कि टीआरपी मामले में दर्ज की गई एफ़आईआर में रिपब्लिक टीवी का नाम शामिल नहीं है। इसलिए रिपब्लिक टीवी मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ और मैनेजिंग डायरेक्टर अर्नब गोस्वामी ने अपने क़ानूनी सलाहकार समूह फीनिक्स लीगल को निर्देश दिया है कि वह परमबीर सिंह पर 200 करोड़ रुपए की मानहानि का मुकदमा दर्ज कराएं।”

परंतु समस्या आखिर है किस बात की? दरअसल, कुछ हफ्तों पहले मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह ने एक विशेष कॉन्फ्रेंस की थी। इस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कुछ चैनल पर टीआरपी की धांधली में लिप्त रहने का आरोप लगाया था। इस कॉन्फ्रेंस में इस मामले के बारे में बात करते हुए परमबीर सिंह ने रिपब्लिक का नाम लिया, अपितु उसे प्रमुख आरोपी के तौर पर सिद्ध करने का प्रयास भी किया।

यह खबर जब सुर्खियों में आई, तो रिपब्लिक ने परमबीर सिंह को आड़े हाथों लेते हुए अपने आरोप सिद्ध करने को कहा। परमबीर सिंह के प्रेस कॉन्फ्रेंस के पश्चात जारी हुई विज्ञप्ति के अनुसार, “मुंबई पुलिस के वर्तमान कमिश्नर परमबीर सिंह ने हमारे विरुद्ध झूठे मामले दर्ज कराये हैं, क्योंकि हमने उन्हें सुशांत सिंह राजपूत के मामले में ढीला-ढाला रवैया बरतने के लिए आड़े हाथों लेने का साहस किया है। रिपब्लिक मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दायर करेगी। बार्क की रिपोर्ट में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि टीआरपी के लिए रिपब्लिक ने धांधली की है। परमबीर सिंह पूरी तरह से बेनकाब हो चुके हैं, क्योंकि BARC ने रिपब्लिक के बारे में अपनी रिपोर्ट में कुछ भी नहीं लिखा है। या तो परमबीर को हमें लिखित में माफीनामा सौंपना चाहेंगे नहीं तो उन्हें अदालत में हमारा सामना करने की लिए तैयार होना चाहिए”  –

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इसके पश्चात रिपब्लिक ने कई ऐसे साक्ष्य पेश किए, जिससे स्पष्ट होता है कि उन्हें एक सुनियोजित योजना के अंतर्गत महाराष्ट्र सरकार फंसाना चाहती है। यह कोई हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने पालघर पर रिपब्लिक की आक्रामक रिपोर्टिंग को लेकर अर्नब गोस्वामी को काफी सताया और उन्हे अनेकों बार तलब किया।

इसके अलावा अर्नब गोस्वामी के विरुद्ध मुंबई पुलिस ने सुशांत सिंह राजपूत मामले पर भी काफी आक्रामक रिपोर्टिंग करने के लिए घेरने का प्रयास किया, और ऐसे अवसर पर अर्नब के विरोधियों को मानो खुलके बोलने का अवसर मिल गया। लेकिन अर्नब गोस्वामी ने भी कोई कच्ची गोलियां नहीं खेली थी। उन्होंने इंडिया टुडे को भी आड़े हाथों लेते हुए उस एफ़आईआर पर भी प्रकाश डाला, जिसके अनुसार परमबीर सिंह ने रिपब्लिक को टीआरपी में धांधली करने का आरोप लगाया था। एफ़आईआर के अंग्रेज़ी, मराठी और हिन्दी संस्करणों की प्रतियाँ साझा करते हुए रिपब्लिक ने इंडिया टुडे पर दुर्भावना के अंतर्गत रिपब्लिक को बदनाम करने का आरोप लगाया, और साथ साथ ही ये भी बताया कि एफ़आईआर में रिपब्लिक का नहीं, बल्कि इंडिया टुडे का नाम आया है।

बता दें कि अर्नब की आक्रामक रिपोर्टिंग के कारण ही बॉलीवुड के स्याह पहलू के विरोध में लोगों ने अपनी आवाज़ उठानी शुरू की। ऐसे में जो लड़ाई परमबीर सिंह ने शुरू की है, उसे अपने स्टाइल में खत्म करने में अर्नब गोस्वामी अब कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, जिसका सबसे अधिक नुकसान महाराष्ट्र के वर्तमान प्रशासन को ही होगा।

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