समय बदल रहा है, और इसी भांति लोग भी बदल रहे हैं। अब पहले की भांति कोई भी व्यक्ति सनातन धर्म को अपमानित कर बच नहीं सकता, जिसका हालिया उदाहरण हमें ग्रेट ब्रिटेन में देखने को मिला। एक स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल पुस्तक में जब हिन्दू आतंकवाद के बेबुनियाद सिद्धान्त को बढ़ावा देने की बात सामने आई, तो आक्रोशित भारतवंशियों ने मोर्चा संभाल लिया, और उस पुस्तक को हटवाकर ही दम लिया।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, “GCSE (General Certificate of Secondary Education) से सम्बद्ध एक प्रकाशक ने हाल ही में एक धार्मिक विश्लेषण से संबन्धित पुस्तक को हटा लिया, जिसके कारण भारतवंशियों में काफी आक्रोश फैला हुआ था। वेस्ट मिडलैंड्स में स्थित Langley स्कूल के वेबसाइट से ‘GCSE Religious Studies: Religion Peace and Conflict’ नामक पुस्तक सोमवार तक डाउनलोड की जा सकती थी, परंतु अब ऐसा नहीं है”।
इस पुस्तक में ऐसा क्या था, जिसके कारण भारतवंशियों, विशेषकर हिन्दुओं में इतना आक्रोश उमड़ पड़ा? इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या 4 पर लिखा था, “धार्मिक पुस्तकें बताती हैं कि धर्म की रक्षा के लिए युद्ध को उचित ठहराना आवश्यक है। एक क्षत्रिय के तौर पर अर्जुन को याद दिलाया गया कि सत्य के लिए शस्त्र उठाना उचित है। अगर कारण उचित और स्पष्ट है, तो हिन्दू शस्त्र उठाएंगे। कुछ हिन्दुओं ने तो अपनी आस्था की रक्षा के लिए आतंकवाद का भी सहारा लिया है”।
लेकिन इस पृष्ठ से यूके में रह रहे भारतवंशी, विशेषकर हिन्दू समुदाय क्रोधित हो गया। हिन्दू फोरम ऑफ ब्रिटेन की अध्यक्ष तृप्ति पटेल ने कहा, “यह एक राजनीतिक दांव खेला गया है, हिन्दुओं और भारत को नीचा दिखाने के लिए। जिसने भी ये काम किया है उसने जानबूझकर किया है”।
इसके अलावा तृप्ति पटेल और HFB के ही उपाध्यक्ष रमेश पाटनी ने क्वालिटी चेकर AQA एवं qualifications regulator ‘Ofqual’, को पत्र लिखते हुए इस पुस्तक को हटाने की मांग की, जिसमें इस पुस्तक के बारे में कहा गया, “आपने धर्म के अर्थ का गलत मतलब निकाला है, और उसे आतंकवाद से जोड़ने का पाप किया है। अर्जुन के बारे में आपकी व्याख्या भी गलत है। ऐसे भ्रामक तथ्य भोले बच्चों को हिन्दू धर्म के बारे में गलत बातें बताएँगे”।
अत: भारी जनविरोध के चलते AQA और Langley स्कूल को ये पुस्तक हटानी ही पड़ी। AQA के प्रवक्ता ने अपनी सफाई में कहा, “सोशल मीडिया पर जो वर्कबुक वायरल हुई है, वो न तो हमने स्पष्ट तौर पर स्वीकृत की है, और न ही हमारी स्वीकृति से उसपर लोगो लगाया है। हमने पुस्तक के प्रकाशक से बात की है, जिन्होंने तत्काल प्रभाव से इस पुस्तक को हटाया है”।
Langley स्कूल ने भी इस विषय पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्हें आभास नहीं था कि इस पुस्तक में ऐसा विवादित कंटैंट भी हो सकता है, और वे इस भूल के लिए बेहद शर्मिंदा भी है। एक समय होता था जब लोग सनातन धर्म के बारे में कुछ भी उल्टा सीधा बोल सकते थे और लिख सकते थे और फिर वे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर बच जाते थे। परंतु अब ऐसा और नहीं चलेगा, और जिस प्रकार से जनविरोध के चलते यूके के स्कूल को वह हिन्दू विरोधी पुस्तक हटानी पड़ी है, वह इसी बदलते सोच का परिचायक है।