चीन को QUAD से इतना भय लग रहा है कि वह बौखलाहट में अब उसे खरी-खरी सुनाने में लगा है। अपने मलेशिया के दौरे के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा QUAD और कुछ नहीं, बल्कि वाशिंगटन द्वारा एक Indo Pacific आधारित NATO स्थापित करने का ख्वाब है, और ये क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए किसी खतरे से कम नहीं होगा।
जब से QUAD ने टोक्यो में मंत्रियों की बैठक को सफलतापूर्वक आयोजित किया है, तभी से चीन के हाथ-पाँव फूलने लगे हैं। इससे पहले वह इस आइडिया का मज़ाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था। 2018 में जब वांग यी से पूछा गया था कि QUAD का भविष्य क्या है, तो उन्होनें इसका उपहास उड़ाते हुए कहा था कि यह समुद्र पर झाग समान है, जो जल्द ही गायब हो जाएगा।
अब वांग यी ने QUAD को लेकर कहा है कि, “दरअसल यह संगठन शीतयुद्ध वाली मानसिकता को बढ़ावा देना चाहता है, जहां सत्ता के लिए गुटबाजी देखने को मिलती है। इससे यूनाइटेड स्टेट्स अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहता है, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है। अगर ये सफल हुआ, तो हम ऐतिहासिक तौर पर कई वर्ष पीछे चले जाएंगे”।
वांग यी, यूं ही इतने डरे हुए नहीं हैं। QUAD को अब एक आधिकारिक रूप दिया जा रहा है, और भविष्य में यह चीन के किसी भी गुंडागर्दी का मुंहतोड़ जवाब देने में काफी सक्षम होगा। चीन को भय है कि QUAD उसके लिए वही भूमिका निभा सकता है जो NATO ने USSR के परिपेक्ष्य में निभाई थी, और ऐसे में वांग यी का भय भी इसी ओर इशारा भी करता है।
काफी समय से पश्चिमी जगत अपने हितों को लेकर कई गुटों में बंटा हुआ था, जिसके कारण इंडो पैसिफिक क्षेत्र को मुक्त रखने जैसे मुद्दे बैकसीट पर जा चुके थे। लेकिन जिस प्रकार से चीन के विरुद्ध एक समान विचारधारा से QUAD सहित कई गुट बने हैं, चाहे वह भारत-फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया का गठजोड़ हो, या दक्षिण एशिया में भारत-अमेरिका का गठजोड़ हो याASEAN में भारत-जापान का गठजोड़ हो। अब ये स्पष्ट हो रहा है कि QUAD केवल अपने सदस्य देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका दायरा भी बढ़ेगा और निशाने पर होगा केवल चाइना।
NATO की स्थापना की गई थी उत्तरी अटलांटिक पर अमेरिका का वर्चस्व बनाए रखने के लिए, परंतु अब उसका उद्देश्य लगभग पूर्ण हो चुका है। अब रूस पहले की भांति अमेरिका के लिए खतरा नहीं रहा। वहीं, दूसरी तरफ चीन की बढ़ती हेकड़ी और गुंडई के कारण अब NATO के समान एक संगठन स्थापित करने की आवश्यकता आन पड़ी है, जिसके लिए अमेरिका और उसके साथी पहले से ही कमर कस चुके हैं।
इससे पहले दक्षिण पूर्वी एशिया ट्रीटी संगठन को इसी उद्देश्य से स्थापित किया गया था, परंतु कोई ठोस परिणाम न मिलने के कारण ये जल्द ही गायब हो गया। परंतु QUAD के पास एक ठोस कारण है – चीन के साम्राज्यवाद को कुतरना। जिस प्रकार से इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन अन्य देशों और वैश्विक शांति के लिए एक खतरे के रूप में उभर रहा है, उससे निपटने के लिए QUAD ही इस समय एक प्रभावशाली विकल्प के तौर पर सामने आ रहा है।
QUAD निस्संदेह एक सफलतम प्रयोग के तौर पर सिद्ध होगा, क्योंकि भले ही अमेरिका इसका नेतृत्व कर रहा हो, परंतु उसने अन्य सदस्य देशों यानि भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए भी समान रूप से अवसर प्रदान किए हैं। चीन यह बात भली भांति जानता है और समझता भी है, इसीलिए अब वह QUAD के अस्तित्व पर सवाल खड़े करना चाहता है, लेकिन उसे भी पता है कि यह पैंतरा ज़्यादा दिन नहीं चलेगा।