बीजिंग का विंटर ओलंपिक एक ऐतिहासिक इवेंट होगा जिसमें केवल चीन ही भाग लेगा

ओलंपिक

चीन की 2022 विंटर ओलंपिक में एक बार फिर वैश्विक बेइज्ज़ती होने वाली है क्योंकि पूरी दुनिया में चीन विरोधी एजेंडे के काऱण चीन अब इस खेल के महाकुंभ में भी अकेला पड़ता दिख रहा है। विंटर ओलंपिक को लेकर ब्रिटेन ने संकेत दिया है कि उसके खिलाड़ी इसमें हिस्सा नहीं लेंगे। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया भी अपने खिलाड़ियों को चीन में होने वाले विंटर ओलंपिक में न भेजने की योजना बना रहा है। चीन अब अपने ही कुकृत्यों के कारण ऐसी स्थिति में पहुंच गया है जहां वो केवल अकेला है और उसके विरोधियों की ताकत सौ गुना ज्यादा है।

दरअसल, चीन में विंटर ओलंपिक को लेकर कुछ वक्त पहले ही प्रिंस विलियम ने बयान दिया था कि ब्रिटेन को इनका बायकॉट करना चाहिए। इसको लेकर अब ब्रिटेन के विदेश सचिव डॉमेनिक राब ने कहा है कि प्रिंस की इस बात पर अमल किया जा सकता है क्योंकि चीन लगातार हॉन्ग कॉन्ग से लेकर शिनजियांग तक मानवाधिकारों का हनन कर रहा है और सबसे ज्यादा अत्याचार उइगर मुस्लिमों पर ही कर रहा है। ऐसे में ये संभावनाएं बनने लगी हैं कि ब्रिटेन इस बड़े इवेंट से किनारा कर ले क्योंकि इसका आयोजन चीन में हो रहा है।

केवल ब्रिटेन ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया भी इसे बायकॉट की योजना बना रहा है क्योंकि वहां की सरकार ने ये बात कही है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे को नजरंदाज करते हुए ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी चीन में होने वाले विंटर ओलंपिक के आयोजन में न जाएं। सरकार ने इसके पीछे सुरक्षा कारणों को एक बहुत बड़ी वजह बताया है। साथ ही ऑस्ट्रेलिया भी उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर चीन की खिलाफत कर रहा है क्योंकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और प्रशासन इन लोगों के साथ जानवरों से भी बुरा बर्ताव कर रहे हैं।

ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर ने इसको लेकर कहा कि अब चीन को ये बताने का वक्त आ गया है कि बहुत हो गया अब अपनी ये मानवाधिकार विराधी नीति छोड़ो। इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलियाई विदेश सचिव ने कहा कि कूटनीति और खेल नीति को दूर रखना चाहिए लेकिन यहां मुद्दा ज्यादा बड़ा है। विदेश सचिव का ये बयान स्पष्ट कर रहा है कि विंटर ओलंपिक में चीन इस बार अकेला पड़ सकता है।

दरअसल, चीन अपने यहां हॉन्ग कॉन्ग और शिनजियांग में लगातार हिंसक कार्रवाइयां कर रहा है जिसमें मानवाधिकारों के सारे नियमों की धज्जियां उड़ गई हैं। तिब्बत में बौद्ध, शिनजियांग में उइगर समेत ईसाईयों तक पर चीन में जुल्म ढाया जा रहा है। इसके चलते मानवाधिकार समूह विश्व ओलंपिक संघ से मांग कर चुके हैं कि चीन से विंटर ओलंपिक की मेजबानी छीन ली जाए क्योंकि चीन के अत्याचारों के बावजूद उसे मेजबानी देना किसी तोहफे से कम नहीं होगा। हालांकि, संघ ने इन बातों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया लेकिन अब मानवाधिकार की बात करने वाले इस समूह ने सभी देशों से मांग की थी कि वो अपने खिलाड़ियों को चीन में विंटर ओलंपिक के लिए न भेजें।

गौरतलब  है कि चीन को कोरनावायरस के कारण सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है जिसके चलते अमेरिका, जापान जैसे देश पहले से उससे ही खफा हैं। भारत का पिछले 5 महीनों से चीन के साथ सीमा पर विवाद जारी है। वहीं, इस मुद्दे पर भारत का पक्ष भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका क्वाड के सदस्य हैं। ऐसी संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं कि ये सभी देश चीन से दूरी बनाते हुए विंटर ओलंपिक में न जाएं जो कि चीन के लिए एक बहुत बड़ा झटका हो सकता है।

चीन ने ये सारी मुश्किलें खुद विश्व के लिए पैदा की थीं, लेकिन इनके कारण ही अब पूरा विश्व उसके खिलाफ खड़ा नजर आ रहा है और वो वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ गया है जिसका साथ देने वाला कोई भी नहीं है।

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