हाथरस के मामले में जो हुआ, वो निस्संदेह शर्मनाक था। लेकिन जिस प्रकार से मीडिया आग में घी डालते हुए भ्रामक रिपोर्टिंग को बढ़ावा दे रही है और राजनेता घटनास्थल पर पहुँचकर अराजकता को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहें है, उससे कठुआ के प्रपंच को दोहराए जाने के संकेत मिल रहे हैं। इसीलिए मामले को हल्के में न लेते हुए योगी सरकार ने एक अहम निर्णय में अनावश्यक मीडिया कवरेज, विशेषकर भ्रामक रिपोर्टिंग पर तब तक लगाम लगाई है, जब तक एसआईटी की जांच पूरी नहीं हो जाती।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार यूपी पुलिस ने तब तक हाथरस में आवाजाही पर पाबन्दियाँ लगाई है, जब तक एसआईटी की जांच प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। बता दें कि खबरों के अनुसार हाथरस के बुल्गाद्धि ग्राम में खेतों में काम करने गई एक लड़की के साथ बलात्कार हुआ और उन लोगों ने उसपर घातक हमला भी किया। हमले में लड़की का गला घोंटा गया, और कुछ दूरी तक उसे घसीटा भी गया, जिसके कारण लड़की की गर्दन और उसकी रीढ़ की हड्डी को काफी नुकसान हुआ, लड़की 10 – 15 दिन तक अस्पताल में भर्ती थी, और अंत में 30 सितंबर को उसने दम तोड़ दिया।
लेकिन इस बीच भ्रामक रिपोर्टिंग और विपक्षी नेताओं की गिद्ध राजनीति के कारण स्थिति बद से बदतर होने लगी। हाथरस की पीड़िता के लिए न्याय मांगने के नाम पर अराजकता फैलाने के लिए काँग्रेस और तृणमूल काँग्रेस के नेता डेरा डालने लगे। इसके अलावा इस घटना में जातिवाद का रंग भी घोला जाने लगा, जिससे कठुआ कांड दोहराए जाने की बू आने लगी।
परंतु बात यहीं पे नहीं रुकी। मीडिया का एक धड़ा इस हद तक भ्रामक रिपोर्टिंग करने लगा कि वे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पीड़िता के अन्त्येष्टि को भी झूठा सिद्ध करने लगे। इंडिया टुडे पर पीड़िता के परिवार वालों से सरकार विरोधी बयान निकलवाने तक के आरोप लगने लगे। योगी सरकार ने मामला सुर्खियों में आते ही उसे एसआईटी जांच को सौंपा, परंतु इसके बावजूद मीडिया ये अफवाहें फैलाने में व्यस्त थी कि योगी सरकार इस मामले को दबा रही है।
ऐसे में योगी आदित्यनाथ को कड़े फैसले लेने के लिए बाध्य होना पड़ा। वे भली-भांति जानते थे कि यदि इस मामले ने कठुआ की भांति तूल पकड़ा, तो सरकार के लिए आगे की राह काफी मुश्किल हो जाएगी। उन्होंने अपने ट्वीट्स से ये भी स्पष्ट किया कि आरोपियों के दोषी सिद्ध होने पर उनको ऐसा दंड दिया जाएगा, जो आने वाले समय में ऐसे नीच प्रवृत्ति के लोगों के लिए एक मिसाल सिद्ध होगी –
हाथरस में बालिका के साथ घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दोषी कतई नहीं बचेंगे।
प्रकरण की जांच हेतु विशेष जांच दल का गठन किया गया है। यह दल आगामी सात दिवस में अपनी रिपोर्ट देगा।
त्वरित न्याय सुनिश्चित करने हेतु इस प्रकरण का मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा।
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) September 30, 2020
सच कहें तो इस समय योगी आदित्यनाथ ने एक तीर से दो शिकार किए हैं। भ्रामक रिपोर्टिंग पर लगाम लगाकर उन्होंने न केवल हाथरस मामले से जुड़े विरोध प्रदर्शन को एक हिंसक रूप धारण करने से बचाया है, अपितु विपक्षियों द्वारा योगी विरोधी वातावरण तैयार करने की मंशाओं पर भी पानी फेर दिया है।