कांग्रेस के वो 23 बगावती नेता जिन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को आंतरिक चुनावों को लेकर पत्र लिखा था वो एक बार फिर पार्टी से इतर लाइन ले सकते हैं औऱ एक बार फिर राष्ट्रीय मुद्दों पर पीएम के खिलाफ बयान देने वाले राहुल गांधी को लेकर नई बगावती प्रतिक्रिया दे सकते हैं। इन नेताओं का मानना है कृषि कानून से लेकर चीन के मुद्दों पर राहुल गलत बयानी कर रहे हैं जिससे पार्टी की छवि को नुकसान हो रहा है और ये बयान बीजेपी के लिए ही फायदेमंद साबित हो रहे हैं। ये दिखाता है कांग्रेस के अंदर ही अब राहुल की असंवेदनशीलता पर सवाल उठ गए हैं।
दरअसल, टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस नेताओं ने कुछ महीने पहले ही पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी की खिलाफत करते हुए पार्टी में आमूल-चूल परिवर्तनों की बात कही थी। अब वही 23 नेता राहुल गांधी के असंवेदनशील रवैए और बेतुके बयानों को निशाने पर लेने की योजना बना रहे हैं। इन नेताओं का मानना है कि जिन मुद्दों पर पार्टी को जनता के बीच खुलकर बोलना था और अपनी आवाज उठानी थी उस पर पार्टी खामोश रही है जिसके चलते प्रतिद्वंदी बीजेपी को फायदा हुआ है।
एक अन्य नेता ने तो ये भी कहा है कि इन कृषि से जुड़े मामलों पर पार्टी को जिस तरह से विरोध करना चाहिए था वो दिखा ही नहीं। उन्होंने राहुल के उस बयान को भी निशाने पर लिया जिसमें राहुल ने कहा था कि, अगर कांग्रेस की सरकार होती तो 15 मिनट में चीन की सेना को बाहर फेंक देते। गौरतलब है कि पार्टी नेताओं को उनका ये बयान बेहद ही बेतुका लगा है। इसके साथ ही पार्टी के 23 नेताओं में ये बात भी सामने आई है कि प्रधानमंत्री मोदी पर बिना किसी मुद्दे को बेबुनियाद आरोप लगाना भी कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचा रहा है।
इन मुद्दो में कई नेताओं में मतभेद भी है लेकिन महत्वपूर्ण बात ये भी है कि कांग्रेस की मुख्य लाइन से अलग इन 23 नेताओं ने अपना कोर ग्रुप बना लिया है जिसमें पार्टी की गलतियों को सीधे निशाने पर ले रहे हैं। इसमें एक बात गौर करने वाली ये भी है कि जब पार्टी के वरिष्ठ नेता पार्टी आलाकमान के खिलाफ कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, तो उस दौर में भी इन नेताओं ने पार्टी की नीतियों के खिलाफ बगावत की है जो उनके पार्टी में बदलावों के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है साथ ही राहुल के खिलाफ उनकी निराशा पर भी ध्यान आकर्षित करता है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी लगातार नवनिर्मित कृषि कानून के मुद्दे पर बीजेपी और मोदी सरकार को घेर रहे हैं। इसके साथ ही जहां सरकार और सेना के बयान साफ बता रहे हैं कि चीन भारतीय सेना के सामने घुटने टेक चुका है, तो दूसरी ओर राहुल गांधी सरकार पर चीन और लद्दाख के मुद्दे पर हमला बोल रहे हैं जो कि उनकी असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा को दर्शाता है। ये बेहद बेतुकी बात ही है कि देश के विपक्ष का नेता कहे की मैं 15 मिनट में चीन की सेना को बाहर फेंक देता।
इन नेताओं ने जब पहली बार पत्र लिखा था तो राहुल गांधी काफी गुस्से में आ गए थे और इन नेताओं पर बरस पड़े थे तो संभव है कि अब वो पहले राहुल गांधी को ही साइडलाइन करने की जुगत में हैं। संभवतः वो जानते हैं कि पार्टी में अगर चुनाव हो भी गए तो कुछ महीनों बाद दोबारा राहुल गांधी ही उन पर थोप दिए जाएंगे। इन कारणों के चलते कई विश्लेषकों का ये भी मानना है कि राहुल को किनारे करके पार्टी में आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो सकता है और इसीलिए अब वो राहुल की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं जो असल में है ही नहीं।
पार्टी के वरिष्ठ नेता भी अब इस बात को समझते हैं कि पाकिस्तान, चीन या अन्य किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर इतनी हल्की बयानवाजी करना कांग्रेस के लिए नुकसानदायक है और इसीलिए पार्टी को नुकसान हो भी रहा है। कांग्रेस के बगावती जी-23 नेताओं ने एक बार पत्र लिखकर अपनी काफी भद्द पिटाई थी। इसके बावजूद वो दूसरे पत्र को सार्वजनिक करने की तैयारी कर रहे हैं, जो दिखता है कि अब ये या तो पूर्णतः पार्टी में परिवार के खिलाफ विरोध की बयार चलाएंगे या आलाकमान द्वारा साइडलाइन किए जाएंगे दोनों ही स्थितियों में पार्टी की बुरी छीछालेदर तय है।