यूरोप में कोरोना की दूसरी वेव का खतरा अब और ज़्यादा गहरा गया है। फ्रांस में इस साल का दूसरा लॉकडाउन लागू कर दिया गया है और जर्मनी के हालात भी कुछ ठीक नहीं है। बेशक कोरोना का सबसे ज़्यादा असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा है, लेकिन अलग-अलग देशों में कोरोना जन्म दर पर भी बेहद गहरा असर डाल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना के कारण यूरोप में जन्म दर में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। एक तरफ यूरोप में मृत्यु दर में बढ़ोतरी और जन्म दर में गिरावट दर्ज की जा रही है, तो वहीं यूरोप के देशों में आप्रवासन भी बढ़ रहा है, जिसके कारण इस बात का डर बढ़ गया है कि आने वाले कुछ दशकों में यूरोप की Demography में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
उदाहरण के लिए इसी वर्ष कोरोना के फैलाव के बाद मार्च और अप्रैल महीने में फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और UK जैसे देशों में एक सर्वे किया गया था, जिसमें यह सामने आया था कि यूरोप के अधिकतर Couples कोरोना के कारण बच्चा पैदा करने के विचार को भविष्य के लिए टालने को ही बेहतर समझ रहे थे। सर्वे में शामिल फ्रांस और जर्मनी के करीब 50 प्रतिशत Couples ने यह स्वीकारा था कि उन्होंने अभी बच्चे पैदा नहीं करने का मन बनाया है। इसी प्रकार स्पेन के 50 प्रतिशत Couples का भी यही विचार था। साथ ही स्पेन के करीब 30 प्रतिशत Couples को बच्चे पैदा करने के विचार को हमेशा के लिए टालने के पक्ष में थे। विशेषज्ञ मानते हैं कि महामारी और खराब आर्थिक हालत इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण हो सकते हैं। स्पष्ट है कि यूरोप में जन्मदर की समस्या कोरोना से पहले ही काफी गंभीर थी, जो कि अब और ज़्यादा खतरनाक साबित हो सकती है।
साफ है कि यूरोप में आने वाले समय में आबादी में negative growth rate देखने को मिल सकती है। लेकिन यूरोप के लिए इससे भी बड़ा खतरा उसकी immigration policy है।
यूरोपीय देशों की लचर प्रवासी नीति के कारण हर साल बड़ी संख्या में अफ्रीका और पश्चिम एशिया से लोग आकर इन देशों में शरणार्थियों का दर्जा ले लेते हैं। वर्ष 2018 में EU के 27 सदस्य देशों ने करीब 6 लाख 72 हज़ार बाहरी लोगों को नागरिकता प्रदान की थी। आज EU की कुल आबादी का करीब 5 प्रतिशत हिस्सा ऐसे लोग हैं, जो बाहर से आकर बसे हैं। ऐसे में अब इन देशों में सामाजिक टकराव बढ़ रहा है, जिसके नतीजे में आतंकवाद जैसी गंभीर घटनाएँ अब यूरोप की दिनचर्या का हिस्सा बनती जा रही हैं।
अगर यूरोप में ऐसे ही बाहरी लोगो के आने का सिलसिला बढ़ता चला गया, और क्षेत्रीय आबादी की तादाद घटती चली गयी, तो यह कुछ ही दशकों में यूरोप में बड़े पैमाने पर Demography को बदलकर रख देगा। ऐसे में समझ में आता है कि आज फ्रांस के राष्ट्रपति Emmanuel Macron जिस प्रकार कट्टरपंथ इस्लाम के खिलाफ लड़ाई छेड़े हुए हैं, वह ना सिर्फ फ्रांस को अपराध मुक्त करने अथवा फ्रांस समेत पूरे यूरोप के सामाजिक ताने-बाने को बचाकर रखने के लिए बेहद अहम है। अगर आज Macron अपनी इस लड़ाई में सफ़ल होते हैं, तो पूरा यूरोप सफ़ल होगा और Macron की विफलता में ही पूरे यूरोप की विफलता छुपी हुई है। ऐसे में आज यूरोप के सभी देशों का यह कर्तव्य बनता है कि वे खुलकर Emmanuel Macron का समर्थन करें और अपने भविष्य को अंधकार में जाने से बचाएं!