“लव जिहाद के खिलाफ लड़ाई असम से शुरू होगी”, BJP नेता हिमंता बिस्वा सरमा

इसे जानते तो कई हैं लेकिन इस पर चर्चा कोई नहीं करना चाहता!

असम में आगामी चुनाव के लिए भाजपा ने कमर कस ली है और पार्टी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसी कड़ी में असम के वित्त मंत्री और पूर्वोत्तर में अनाधिकारिक तौर पर भाजपा के सर्वेसर्वा माने जाने वाले हिमन्ता बिस्वा सरमा ने अब एक ऐसी समस्या के विरुद्ध मोर्चा संभाला है, जिसे जानते तो कई हैं लेकिन इस पर चर्चा कोई नहीं करना चाहता, यानि लव जिहाद।

पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में हिन्दू और गैर-मुस्लिम लड़कियों को मुस्लिम लड़कों द्वारा बहला-फुसलाकर इस्लाम में परिवर्तित कराने के मामले सामने आए हैं। परंतु प्रेम के नाम पर निरंतर बढ़ रहे इस कट्टरपंथ के विरुद्ध कड़े कदम उठाना तो दूर, कोई चर्चा भी नहीं करना चाहता और अगर योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार को छोड़ दें, तो अधिकतर राज्यों के लिए यह चिंताजनक बात भी नहीं है।

लेकिन हिमन्ता बिस्वा सरमा, असम को लेकर ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहते। डिब्रूगढ़ में भाजपा के महिला मोर्चे की एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे असम की सभ्यता खतरे में आ रही है। हर चुनाव में हम अजमल की मजहबी फौज के हाथों लगभग पाँच क्षेत्र खोते जा रहे हैं”। यहाँ उनका निशाना असम के कट्टरपंथी पार्टी एआईयूडीएफ़ और उसके मुखिया बदरुद्दीन अजमल की ओर था।

हिमन्ता बिस्वा सरमा ने आगे बताया, “असम की पवित्र भूमि से हमें लव-जिहाद के विरुद्ध एक नए और निर्णायक युद्ध की शुरुआत करनी होगी। अगर भाजपा पुनः सत्ता में आती है तो हम शपथ लेते हैं कि यदि किसी भी लड़के ने अपनी धार्मिक पहचान छुपाकर असम की बहू-बेटियों को हाथ लगाने का प्रयास भी किया, तो उसे ऐसी सज़ा दी जाएगी कि वो अपने आप में एक मिसाल बने। अजमल की मजहबी फौज के कारण फेसबुक पर कई लड़कियां धोखेबाज़ी का शिकार हो रही हैं। हम शपथ लेते हैं कि यदि अजमल की फौज ने हमारी लड़कियों को हाथ भी लगाया, तो उन्हे मृत्युदंड के अलावा कुछ भी नहीं मिलेगा।” बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार असम में लगभग 34 प्रतिशत मुसलमान है, जबकि 61.4 प्रतिशत से अधिक हिन्दू निवास करते हैं।

परंतु हिमन्ता केवल वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने बदरुद्दीन जमाल पर और अधिक हमलावर होते हुए कहा, “लव जिहाद के कारण असम की बेटियों के लिए मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है। धोखेबाज़ लड़कों के कारण कई लड़कियों को तलाक की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। भाजपा ये संकल्प लेती है कि जब भी ऐसी मजहबी ताकत हमारी बहू बेटियों पर हाथ डालने का प्रयास करेगी, उन्हे कठोरतम दंड प्राप्त होगा।  यदि लोग एक नहीं हुए, तो समाज का संरक्षण असंभव है। इसीलिए 2021 के विधानसभा चुनाव, हमारी असमी संस्कृति को बचाने के लिहाज़ से बेहद अहम है। यदि हम 65 प्रतिशत से अधिक लोग अजमल की मजहबी फौज के विरुद्ध एक नहीं हुए, तो हमारे सपनों का असम नहीं बचेगा। अगर इस सांस्कृतिक युद्ध में हम पराजित हुए, तो 15 वर्ष के बाद असम का अस्तित्व नहीं बचेगा”।

सच कहें तो अब लव जिहाद के विरुद्ध लड़ाई में योगी आदित्यनाथ अकेले राजनेता नहीं रहे। अब उनका साथ देने के लिए पूर्वोत्तर से हिमन्ता बिस्वा सरमा भी आ चुके हैं, और यदि सब कुछ सही रहा, तो जल्द ही भारत की सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान का बिगुल पूर्वोत्तर, विशेषकर असम में भी फूंका जाएगा।

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