लोकसभा सांसद और नेशनल कॉन्फ्रेस के नेता फारूक अब्दुल्ला कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निष्क्रिय होने के बाद से ही लगातार उसे दोबारा लागू करने की बात करते रहे हैं। अब उन्होंने एक बार फिर कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करने की बात कही है लेकिन अब अपने बयानों में वो पाकिस्तान का उल्लेख नहीं कर रह हैं। अब उनकी जुबान पर चीन का नाम आता है जो दिखाता है कि उन्होंने अब अपना सर्वेसर्वा चीन को मान लिया है और अब वो चीन के सहारे ही अनुच्छेद 370 से जुड़ा एजेंडा चलाते रहेंगे।
दरअसल, ऐसे वक्त में जब चीन की पीएलए के खिलाफ भारतीय सैनिक 16 हजार फीट की ऊंचाई पर खड़े हैं, तो फारूक अब्दुल्ला ने चीन के समर्थन में ही एक बयान दे दिया है। फारूक अब्दुल्ला ने हाल ही में इंडिया टुडे से बातचीत में चीन के समर्थन से अनुच्छेद 370 को बहाल करने की बात कही है। जिसे एक और विवादित बयान के रूप में देखा जा रहा है। इस दैरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की चीन नीति की आलोचना की है। उन्होंने कहा, जहां तक चीन का सवाल है मैंने तो कभी चीन के राष्ट्रपति को यहां नहीं बुलाया। हमारे वज़ीर–ए– आज़म(प्रधानमंत्री), ने उन्हें गुजरात में बुलाया, उन्हें झूले पर भी बिठाया, उन्हें चेन्नई भी ले गए, वहां भी उन्हें खूब खिलाया मगर उन्हें वह पंसद नहीं आया और उन्होंने आर्टिकल 370 को लेकर कहा कि हमें यह कबूल नहीं है और जब तक आप आर्टिकल 370 को बहाल नहीं करेंगे, हम रुकने वाले नहीं हैं, क्योंकि अब यह खुल्ला मामला हो गया है। अल्लाह करे कि उनके इस ज़ोर से हमारे लोगों को मदद मिले और अनुच्छेद 370 और 35A बहाल हो।”
गौरतलब है कि चीन के साथ लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर बढ़ती तनातनी के बावजूद फारूक अब्दुल्ला मदद के लिए चीन की तरफ देख रहा हैं, ऐसा लगता है इनकी मानसिक हालत ठीक नहीं है तभी तो कभी पाकिस्तान तो कभी चीन से मदद के लिए प्रयास कर रहे।
बता दें कि पाकिस्तान को लेकर फारूक का रवैया हमेशा से ही नर्म रहा है। पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों की मौत पर पर्दे के पीछे से सरकार का विरोध करना हो या फिर कश्मीर में पत्थरबाजों के समर्थन में बयानबाजी करना… फारूक अब्दुल्ला का पाक प्रेम हमेशा से ही सार्वजनिक रहा है। पाकिस्तान से खराब रिश्तों को लेकर अमन की आशा वाली नौटंकी फैलाने में फारूक अब्दुल्ला हमेशा ही आगे रहे हैं। उन्होंने हमेशा ही कहा है कि भारत को अपने मसले सुलझाने के लिए चीन की तरह ही पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। हालांकि उनकी इन बातों पर किसी ने खास गौर नहीं किया, लेकिन उनका पाक प्रेम सभी के सामने आता रहा है। फारूक अब्दुल्ला ने 2019 में ही बयान दिया था, “जम्मू-कश्मीर में दोबारा अनुच्छेद 370 को लागू करना हमारा मुख्य मकसद है और हम इस विभाजन को भी खत्म करते हुए पहले जैसी स्थिति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” मुख्य बात यह भी है कि पाकिस्तान के ही मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने उनके इस बयान की सरहाना की थी।
फारूक अब्दुल्ला वही नेता हैं जिन्होंने सीधी धमकी देते हुए मोदी सरकार से कहा था कि यदि अनुच्छेद 370 हटा तो कश्मीर में दंगे भड़क जाएंगे। उनका साफ़ कहना था कि कश्मीर से इस अनुच्छेद को कोई हटा ही नहीं सकता है। इन सभी गीदड़-भभकियों के बावजूद जब अनुच्छेद 370 को निरस्त कर भारत सरकार ने उसे केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया तो फारूक अब्दुल्ला के होश उड़ गए और अब उनका पाक प्रेम तो दिखता ही है लेकिन वो अच्छी तरह जानते हैं कि पाकिस्तान की इतनी हिम्मत नहीं जो भारत का कुछ बिगाड़ सके।
पाकिस्तान की इसी स्थिति को देखते हुए अब फारूक अब्दुल्ला चीन की ओर आस भरी निगाहों से देख रहे हैं और हाल ही में चीन के संबंध में दिया उनका बयान दिखाता है कि अनुच्छेद 370 को कश्मीर में फिर से बहाल करने को लेकर उन्हें चीन से कितनी ज्यादा उम्मीदें हैं। दरअसल, यह बेहद घातक बयान है कि चीन को अनुच्छेद 370 को बहाल करने में मदद करनी चाहिए। ये बयान चीन के लिए एक निमंत्रण की तरह ही है कि आइए और हम पर कब्ज़ा कर लीजिए। वास्तव में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर मोदी सरकार ने अब्दुल्ला को कहीं का नहीं छोड़ा है इसीलिए वो ऐसे बेतुके बयान देते रहते हैं।
बेहद चिंताजनक बात यह भी है कि कांग्रेस इस अलगाववादी पार्टी के साथ अभी भी गठबंधन में है जो दिखाता है कि कांग्रेस राजनीति के लिए किसी के साथ भी गठबंधन कर सकती है। साथ ही चीन के प्रति फारूक अब्दुल्ला के इस रूख से ऐसा प्रतीत होता है कि अब पाकिस्तान का तोता बने रहने की नौकरी छोड़ वो चीन की चाटुकारिता के सहारे कश्मीर में अपनी अलगाववाद की दुकान चलाने को तैयार हैं।