भारत-तिब्बत बॉर्डर पर विवाद के दौरान भारत के खिलाफ चीन का सबसे बड़ा हथियार यानि Global Times भी अब जवाब देता जा रहा है। शुरुआती दिनों में जो Global Times भारत को गीदड़ भभकी देते नहीं थकता था, वो अब खुद पीएम मोदी और भारत की कार्रवाई को तर्कसंगत ठहरा रहा है और चीनी जनता को यह विश्वास दिला रहा है कि भारत, बॉर्डर पर जो कुछ भी कर रहा है उसके पीछे एक वाजिब कारण है और भारत के मन में चीन के खिलाफ आक्रामकता दिखाने का कोई विचार ही नहीं है। पिछले कुछ दिनों में भारत को लेकर Global Times की भाषा बेहद नर्म हुई है जो इस बात का सबूत है कि चीन अब भारतीय सेना को सफ़ेद झण्डा दिखाने की तैयारी कर चुका है।
ऐसा प्रतीत होता है कि अब Global Times अपने ही देश के नागरिकों को यह समझाने में लगा है कि भारत बॉर्डर पर जो कुछ भी कर रहा है, उसका एक वाजिब कारण है और चीन को ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। उदाहरण के लिए 1 सितंबर को Global Times ने अपने एक लेख में लिखा “पीएम मोदी लोगों का ध्यान इकॉनमी और कोरोना से हटाने के लिए ही चीन के खिलाफ आक्रामकता दिखा रहे हैं। इसके अलावा भारत चाहता है कि बातचीत की मेज़ पर भारत का पक्ष भारी हो, इसीलिए वह बॉर्डर पर किसी की नहीं सुन रहा है।”
इतना ही नहीं, भारत-अमेरिका के बीच किसी सैन्य गठबंधन के विचार से ही घबराने वाले चीन की सरकारी मीडिया अब भारत को समझदार बता रही है और यह उम्मीद जता रही है कि भारत किसी भी कीमत पर अमेरिका के साथ सैन्य गठबंधन नहीं करेगा। 10 अक्टूबर को पब्लिश किए गए एक लेख में Global Times ने लिखा “भारत पागल नहीं है कि वह अमेरिका के साथ कोई सैन्य सहयोग करेगा। कल को जब भारत की सैन्य शक्ति बढ़ेगी तो यही अमेरिका भारत के लिए भी मुश्किलें खड़ी करने लगेगा। अमेरिका के साथ गठबंधन की एक कीमत चुकानी पड़ती है। भारत बेवकूफ नहीं है कि अमेरिका-चीन की लड़ाई में वह बेवजह ही कूदना चाहेगा।”
इसके साथ ही 11 अक्टूबर के एक और लेख में Global Times ने भारत की आक्रामकता का कारण बताते हुए लिखा “भारत ने बॉर्डर पर सेना की तैनाती को बढ़ा दिया है, इसके साथ ही चीनी बॉर्डर के करीब अटल टनल का भी लोकार्पण किया है। यह सब देश में कोरोना की स्थिति से ध्यान भटकाने के लिए ही किया गया है।” Global Times के पुराने लेखों में भारत के खिलाफ सीधे तौर पर खुली धमकी देखने को मिलती थी। हालांकि, अब Global Times भारत के सख़्त रुख के सामने हाथ खड़े करने के बाद भारत के एक्शन के पीछे के कारण खोजने में अपनी ऊर्जा को बर्बाद कर रहा है।
भारत-चीन विवाद के शुरुआती दिनों में चीनी मीडिया की भाषा बेहद सख्त और उकसावे-भरी देखने को मिलती थी। उदाहरण के लिए 17 मई को छपे एक आर्टिक्ल में Global Times ने लिखा था “चीन बातचीत करना चाहता है, लेकिन ये हमारी गुड्विल है, कमज़ोरी नहीं। भारत के साथ शांति बनाए रखने के लिए क्या हम अपनी संप्रभुता के साथ खिलवाड होने दे सकते हैं? बिलकुल नहीं”। इसी प्रकार 22 मई को Global Times ने लिखा था “अगर बॉर्डर पर तैनात सैनिकों पर से भारत सरकार काबू खो देती है तो भारत और चीन के बीच एक युद्ध देखने को मिल सकता है। भारत की कमजोर, ढीली, पुराने हथियारों वाली सेना चीन की अत्याधुनिक हथियारों से लैस PLA के साथ तो मुक़ाबला कभी नहीं करना चाहेगी”।
पहले Global Times भारत के हर एक्शन पर युद्ध की धमकी देता था, अब वह खुद ही भारत के एक्शन का कारण खोजकर चीनी जनता को झूठा दिलासा दिलाने में लगा है। ज़ाहिर तौर पर इन 4 से 5 महीनों के दौरान चीनी सरकार और चीनी सेना ने यह देख लिया है कि भारत इन गीदड़भभकियों से डरकर पीछे हटने वालों में से नहीं है। ऐसी स्थिति में वह खुद ही अपने नागरिकों को शांत करने के प्रयासों में जुटा है, ताकि कहीं चीनी जनता का चीनी सेना की काबिलियत पर से विश्वास ना उठ जाये।