जम्मू-कश्मीर में ज़ोजिला दर्रे को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन लेह और श्रीनगर के बीच यह सेना के लिए एक सबसे दुर्गम रास्ता भी है। जिसे देखते हुए अब मोदी सरकार ने इसमें सुरंग बनवाने का काम शुरु कर दिया है। इस फैसले को देश की रक्षा के लिए बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि ऐसे वक्त में जब देश के दो बड़े दुश्मन पाकिस्तान और चीन आए दिन एक साथ मिलकर गीदड़भभकियां देते रहते हैं तो उन दोनों ही मोर्चों पर सेना की सक्रियता महत्वपूर्ण हो जाती है जिसके लिए ज़ोजिला दर्रे की यह सुरंग बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
दरअसल, केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जोजिला दर्रे पर बनने वाली 14.15 किलोमीटर की लंबी सुरंग के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निर्माण कार्य का शुभारंभ कर दिया है। गौरतलब है कि देश की सेना और सिविल इंजीनियर्स साथ मिलकर इस महत्वपूर्ण परियोजना को संपन्न करेंगे। लेह की 11 हजार 578 फुट की ऊंचाई पर शुरु हुई इस परियोजना के बाद श्रीनगर से लेह तक, घंटों की दूरी मिनटों में बदल जाएगी जो कि भविष्य के लिए बेहद सहज साबित होगी। इससे सेना से लेकर आम नागरिकों तक को सफर में सहूलियत होगी।
आसान होगा सफर
श्रीनगर और लद्दाख के बीच ठंड के 6 महीने सभी तरह के रास्ते कट जाते हैं जिससे आम नागरिकों को तो समस्या होती ही है बल्कि राष्ट्र रक्षा की दृष्टि से भी सेना के लिए ये एक मुश्किल घड़ी बन जाती है। ऐसे में ज़ोजिला की इस सुरंग का बनना बेहद ही फायदेमंद माना जा रहा है क्योंकि इसके चलते इस क्षेत्र में बिना किसी बाधा साल भर तक सामान्य यातायात व्यवस्था होगी।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दोनों ही क्षेत्र देश के लिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि देश के दोनों ही बड़े दुश्मन देशों पाकिस्तान और चीन की सीमाएं इससे लगती हैं। ये दोनों देश साथ मिलकर भारत के खिलाफ षडयंत्र रचते ही रहते हैं। एक तरफ जहां एलओसी पर पाकिस्तानी सेना आए दिन सीजफायर का उल्लंघन करती है तो दूसरी ओर चीन के साथ पिछले 5 महीनों से लद्दाख-तिब्बत क्षेत्र में तनाव की स्थिति है। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से भारतीय सेना को दोनों तरफ से चुनौतियां मिल सकती हैं। ऐसे में भारत के पास ठंड के मौसम में दोनों मोर्चों पर लड़ने के लिए वायु मार्ग के अलावा कोई रास्ता अब तक नहीं था लेकिन अब ये स्थिति बदल जाएगी क्योंकि अब लेह से श्रीनगर तक का 4 से 5 घंटे का मुश्किल सफर 15 मिनट तय किया जाएगा। इस सुरंग मार्ग के चलते चीन और पाकिस्तान के साथ दोनों मोर्चों पर युध्द की आपात स्थिति में सेना बेहद सहजता से अपने ऑपरेशंस को अंजाम दे सकेगी।
देश के दो सबसे महत्वपूर्ण इलाकों में रक्षा की दृष्टि बनाई जा रही ये सुरंग पाकिस्तान और चीन दोनों को ही परेशान करेगी। मुमकिन है कि अटल टनल के लोकार्पण के बाद जिस तरह की प्रतिक्रिया चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने दी थी वैसी ही प्रतिक्रिया इस बार भी आएगी क्योंकि भारत द्वारा सीमा पर आधारभूत ढांचों को मजबूत करना चीन को रास नहीं आता है।