कैसे मलेशिया के राज्य चुनावों के परिणाम डोनाल्ड ट्रम्प की वापसी सुनिश्चित करा सकते हैं

अमेरिका

मलेशियाई प्रधानमंत्री मुहियुद्दीन यासीन के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन ने हाल ही में मलेशिया के सबाह राज्य चुनावों में एक अहम विजय प्राप्त की है। परंतु ये विजय केवल मलेशिया के लिए नहीं, अपितु चीन विरोधी राजनीति के लिए भी बहुत अहम विजय मानी जा रही है। अमेरिका से हजारों मील दूर इस विजय में अमेरिका और मलेशिया दोनों के लिए एक अहम संदेश छुपा है।

लगभग एक महीने बाद अमेरिका में आम चुनाव होने वाले हैं, जहां चीन विरोधी भावनाएँ चुनावी अभियान का एक अहम हिस्सा है। जिस प्रकार से अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चीन के धुर विरोधी हैं, उसी प्रकार से मुहियुद्दीन यासीन भी चीन की हेकड़ी का कदम कदम पर विरोध करते आए हैं। ऐसे में मलेशिया के सबाह राज्य के चुनाव के परिणाम काफी अहम माने जा रहे हैं, जो संयोग से दक्षिण चीन सागर के समीप स्थित है।

इस परिणाम ने मलेशिया में चीन विरोधी विचारधारा की नींव और अधिक मजबूत कर दी है, और अब मुहियुद्दीन यासीन के नेतृत्व में चीन विरोधी विचारधारा को मलेशियाई राजनीति में एक नया आयाम दिया जाएगा। कितनी अजीब बात है कि मलेशिया के राजनीतिक इतिहास में अनेकों बार चीन की जी हुज़ूरी करने वाले राजनेताओं को सत्ता से धक्के मारकर बाहर निकाला गया है, लेकिन इन गलतियों से कभी कोई सीख नहीं ली गई। पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से पहले नजीब रज़ाक मलेशिया की बागडोर संभाल रहे थे, और वे चीन के तलवे चाटने का कोई मौका हाथ से जाने देते थे।

ऐसे में महातिर मोहम्मद ने नजीब की इसी नीति का विरोध करते हुए सत्ता ग्रहण की। परंतु सत्ता हाथ लगते ही महातिर ने अपने सुर बदल लिए, और भारत विरोधी होने के साथ-साथ वे अमेरिका विरोधी भी हो गए, और चीन के साथ सम्बन्धों को जमकर बढ़ावा देने का प्रयास किया। इसके साथ ही उन्होंने Huawei को भी मलेशिया में जगह देने का प्रयास किया। लेकिन इन सबसे कोई फ़ायदा नहीं हुआ, उल्टे मलेशिया की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा, और अंत में महातिर को मलेशिया की सत्ता से हाथ धोना पड़ा। लेकिन जब से मुहियुद्दीन यासीन ने सत्ता संभाली है, मलेशिया की छवि चीन के चाटुकार से अब चीन विरोधी में परिवर्तित हो चुकी है।

कुछ ऐसे ही समीकरण इस समय अमेरिका में भी देखने को मिल रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प ने हर मोर्चे पर चीन की असलियत ज़ाहिर करने से पीछे नहीं हटे हैं, और वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अमेरिका में काम करने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगवा सकते हैं। उन्होने वुहान वायरस को स्पष्ट रूप से दुनिया भर में फैलाने के लिए चीन को आड़े हाथों लिया है, और समय समय पर COVID 19 को वुहान वायरस अथवा चीनी वायरस के नाम से संबोधित किया है।

Pew रिसर्च सेंटर द्वारा आयोजित सर्वे के अनुसार 73 प्रतिशत अमेरिकी कम्युनिस्ट चीन के प्रति नकारात्मक सोच रखते हैं, और 78 प्रतिशत अमेरिकी वुहान वायरस के महामारी में फैलने के लिए चीन को ही जिम्मेदार मानते हैं।

लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प की विजय में अगर कुछ आड़े आ रहा है, तो वह है वामपंथी गुट द्वारा थोपी जा रही विचारधारा, जिसके अनुसार किसी भी प्रकार का राष्ट्रवाद बुरा है। ऐसे में डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिका समर्थक और चीन विरोधी विचारधारा उनकी आँखों में बुरी तरह चुभती है। लेकिन उनके लाख चाहने के बावजूद न चीन के प्रपंच किसी काम आए, और न ही असामाजिक तत्वों से भरी ANTIFA गिरोह का आतंक जनता के ट्रम्प प्रशासन के विश्वास को डिगा पाया है। ऐसे में डोनाल्ड ट्रम्प का सत्ता में वापिस काबिज होना लगभग तय है।

ऐसे में मलेशियाई प्रधानमंत्री मुहियुद्दीन यासीन के गठबंधन को सबाह राज्य के चुनाव में मिली विजय इस बात का परिचायक है कि डोनाल्ड ट्रम्प चीन विरोधी भावनाओं के बल पर एक बार फिर सत्ता में वापसी करने के लिए तैयार है, और इसके लिए केवल और केवल चीन की नीतियाँ ही जिम्मेदार होगी।

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