यदि जगन NDA में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें पहले हिन्दू विरोधी कार्यों को रोकना होगा

जगन

PC: Moneycontrol

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और ऐसी खबर आ रही है कि यह बैठक YSRCP के NDA से जुडने की कवायद है। परंतु एक बात स्पष्ट रहनी चाहिए कि अगर YSRCP NDA से जुड़ना चाहते हैं तो उन्हें आंध्र प्रदेश में हिन्दू विरोधी कार्यों को रोकना होगा। हालांकि, यह फैसला पीएम मोदी और भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों का है, परंतु हिन्दू वोट बेस को देखते हुए इससे इंकार करना अपने ही पाँव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।

दरअसल, पिछले दो हफ्तों में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की यह दूसरी दिल्ली यात्रा थी। इससे पहले 22 सितंबर को जगन ने दिल्ली का दो दिवसीय दौरा किया था और केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार उस बैठक में राज्य से संबंधित मुद्दों के अलावा, NDA में शामिल होने वाले पर प्रारंभिक विचार-विमर्श किया गया था। हालाँकि, वो तब पीएम से नहीं मिल सके थे।

रिपोर्ट के अनुसार चुनावी सर्वेक्षणों में शामिल एक डेटा-एनालिटिक्स फर्म VDP एसोसिएट्स ने सोमवार को बताया कि, “BJP ने कथित तौर पर YSRCP को 2 कैबिनेट और 1 राज्य मंत्री (स्वतंत्र) की पेशकश की है। जगन को पीएम मोदी के साथ विशेष वार्ता के लिए दिल्ली पहुंचने के लिए कहा गया है।“

हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार YSRCP के नेता ने बताया कि पीएम मोदी सरकार में एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का पद पार्टी को दे सकते हैं। 22 एमपी सीटों के साथ, YSRCP चौथी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी है। राज्यसभा में इसके छह सांसद भी हैं।

मई 2019 में आंध्र प्रदेश की सत्ता में आने के बाद से ही, जगन एनडीए सरकार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए हुए हैं। YSRCP लोकसभा और राज्यसभा दोनों में मोदी सरकार के हर फैसले का समर्थन करता रहा है। अब ऐसा लगता है कि NDA के साथ जुडने की कवायद शुरू हो चुकी है।

परंतु भाजपा नेताओं और पीएम मोदी को YSRCP से गठबंधन करने से पहले यह नहीं भूलना चाहिए कि जगन मोहन के कार्यकाल में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ा है। जगह-जगह मंदिरों पर हमले किए जा रहे हैं और धर्म परिवर्तन को बढ़ावा मिल रहा है। आंध्र प्रदेश में अब तक मंदिरों में मूर्तियों के तोड़फोड़ और उपद्रव की कम से कम पांच घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिसकी शुरुआत इस महीने की शुरुआत में पूर्वी गोदावरी जिले के अंटारी में प्रसिद्ध श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर के पास 62 साल पुराने रथ के रहस्यमय तरीके से जलने के साथ हुई थी। इसके बाद कृष्णा जिले के निदामनुरु गांव में साईं बाबा मंदिर में एक मूर्ति को तोड़ दिया गया था। उसके बाद विजयवाड़ा के कनक दुर्गा मंदिर में चोरी हुई थी, जहां “राधा के तीन चांदी के शेर” रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे। ईसाई धर्म को बढ़ावा देने के लिए जगन मोहन रेड्डी ने कई कदम उठाए हैं और उन्हें संरक्षण दे रहे हैं, पर हिंदु मंदिरों पर हो रहे हमले पर चुप्पी साधे हुए हैं।

बता दें कि देश में गैर-कानूनी तरीके से धर्मांतरण कराने वाले एक NGO “India Rural Evangelical Fellowship” के IREF भारत के प्रमुख के साथ राज्य की सत्तासीन पार्टी YSRCP के करीबी संबंध हैं, और IREF के प्रमुख ने हाल ही के चुनावों में YSRCP के लिए राजनीतिक मुहिम भी चलाई थी।

इन सभी मामलों को देखते हुए अगर BJP बिना किसी आश्वासन के YSR को NDA शामिल कर लेती है तो देश भर के हिंदुओं के लिए झटका होगा और यह भाजपा के लिए भी आत्मघाती फैसला हो सकता है। एक तो हिन्दू वोट BJP के इस एक्शन से चिढ़ जाएगा और दूसरी ओर आंध्र प्रदेश में पार्टी का वोट नील बट्टा सनट्टा यानि शून्य भी हो सकता है। पीएम मोदी इस बात को अवश्य समझते होंगे। इस कारण से अगर YSRCP को NDA में शामिल होना है तो सबसे पहले अपने हिन्दू विरोधी कार्यों को बंद करना होगा।

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