महिलाओं के नाम पर राजनीति का दावा करने वाली कांग्रेस के नेता असल में महिलाओं की कितनी ज्यादा इज्ज़त करते हैं ये जगजाहिर है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ का बीजेपी नेत्री इमरती देवी को आइटम कहना इसकी परणीति भी है। उनके बयान ने बता दिया है कि असल में कांग्रेस महिलाओं के नाम पर बस राजनीति करती है हकीकत में तो उनका अपमान ही कांग्रेस की परंपरा है। दिग्विजय सिंह तो इससे पहले ही अपनी पार्टी की एक महिला नेता को ‘टंच माल’ बता चुके हैं जो दिखाता है कि किस तरह से कांग्रेस में महिलाओं का अपमान होता है और इन नेताओं पर कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है।
दरअसल, एक रैली के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गईं नेत्री इमरती देवी के लिए ‘आइटम’ शब्द का प्रयोग किया। वहीं, कांग्रेस नेता अजय सिंह ने उन्हें ‘जलेबी’ कह दिया है। इस बात पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उनकी आलोचना की तो कमलनाथ ने माफी मांगने से भी साफ इंकार कर दिया है।
कमलनाथ के इस बयान को बीजेपी ने लपक लिया है और लगातार कमलनाथ पर महिला विरोधी होने का आरोप लगा रही है। शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले के बाद मौन व्रत धारण कर लिया जिसे विरोध का एक बेहतरीन तरीका माना जा रहा है। शिवराज ने सोनिया गांधी से कमलनाथ की शिकायत भी की है। शिवराज ने सोनिया से कहा, ‘मुझे लगा था कि स्वयं एक महिला होने के नाते आप इस खबर पर संज्ञान लेंगी तथा संवैधानिक पद पर आसीन एक दलित महिला के अपमान का प्रतिकार करते हुए अपनी पार्टी के नेता की टिप्पणी की निंदा करते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगी। लेकिन आपने अब तक ऐसा नहीं किया।’
शिवराज के आरोपों पर कमलनाथ ने कहा, “शिवराज जी आप कह रहे हैं कमलनाथ ने आइटम कहा। हां, मैंने आइटम कहा है, क्योंकि यह कोई अपमानजनक शब्द नहीं है। मैं भी आइटम हूं आप भी आइटम है और इस अर्थ में हम सभी आइटम है. लोक सभा और विधान सभा में कार्यसूची को आइटम नंबर लिखा जाता है, क्या यह असम्मानजनक है? सामने आइए और मुकाबला कीजिए। सहानुभूति और दया बटोरने की कोशिश वही लोग करते हैं, जिन्होंने जनता को धोखा दिया हो।“
बीजेपी को लेकर कमलनाथ आरोप लगा रहे है कि इस बयान के जरिए बीजेपी राजनीति कर रही है। परन्तु यहाँ बात राजनीति की नहीं, मर्यादा की है, किसी भी नेता को किसी महिला के लिए अपमानजनक शब्द का प्रयोग किया जाना उचित नहीं है, ये केवल उस व्यक्ति की महिलाओं को लेकर मानसिकता को दर्शाता है। ये बेहद ही आश्चर्यजनक बात है कि जिस पार्टी की अध्यक्षा ही महिला हो और जो पार्टी महिलाओं की आवाज उठाने का दावा करती हो, उसके ही नेता महिलाओं को लेकर इतनी अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। ये कांग्रेस की पितृसत्तात्मक सोच को दर्शाता है।
ये कोई पहली बार नहीं है कि कांग्रेस के किसी नेता ने महिलाओं को लेकर कोई शर्मनाक बयान दिया हो। इससे पहले भी की ऐसे मामले सामने आए हैं जब कांग्रेस के किसी नेता ने किसी महिला नेता को लेकर अपमानजनक बात कही हो।
हद तो तब हो गयी जब तारा यादव नामक एक कांग्रेसी कार्यकर्त्ता को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के नेशनल सेक्रेटरी सचिन नायक के सामने बुरी तरह पीटा था, क्योंकि तारा ने उनके सामने देवरिया के मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को पार्टी द्वारा चुनाव टिकट दिए जान पर आपत्ति जताई थी।
Congress' Tara Yadav manhandled by party workers at an event in Deoria.(10.10)
She says,“I was thrashed by party workers when I questioned party's decision to give a ticket to a rapist, Mukund Bhaskar for upcoming by-polls. Now, I'm waiting for Priyanka Gandhi ji to take action” pic.twitter.com/MYYp8k1GLX
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 11, 2020
दिग्विजय सिंह का वो बयान सभी को याद है कि जब कांग्रेस की ही नेता को उन्होंने भरी जनसभा में टंच माल कहा था। मध्य प्रदेश की एक रैली में दिग्विजय सिंह ने अपनी ही पार्टी की महिला सांसद मीनाक्षी नटराजन पर कहा था, ‘मैं राजनीति का पुराना जौहरी हूं। मीनाक्षी जी का काम देख कर मैं यह कह सकता हूं कि वह 100 टका टंच माल हैं। ’ इस मामले में खूब बवाल भी मचा था। इन सब के बावजूद इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।
एक तरफ कांग्रेस हाथरस कांड के बहाने राजनीति कर रही है। बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लगातार योगी सरकार पर हमलावर हैं। ऐसे में उन्हीं की पार्टी के नेता इस तरह के महिला विरोधी बयान दे रहें हैं जिससे साबित हो रहा है कि कांग्रेस केवल दिखावे की राजनीति करती है और असल में उसकी सोच महिला विरोधी है। इस मुद्दे पर भी अभी तक राहुल गांधी से लेकर प्रियंका तक किसी का कोई बयान नहीं आया है जो शर्मनाक है।
कांग्रेस नेताओं की ये महिला विरोधी नीति अब सबके सामने आ गई है कि किस तरह ये लोग न केवल महिलाओं का अपमान करते हैं बल्कि उस पर बखेड़ा खड़ा होने पर भी माफ़ी मांगने के बजाए उसे सही साबित करने के लिए कुतर्कों का सहारा लेते हैं।