अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अब कुछ ही हफ्ते बचे हैं, लेकिन जो बाइडन की टोली को चुनाव से पहले ही डोनाल्ड ट्रम्प के हाथों करारी हार का डर सताने लगा है। इसीलिए अपने आप को बचाने हेतु डेमोक्रेट्स ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की सेवाएँ लेने का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है की चुनाव प्रचार के अंतिम चरण के लिए बराक ओबामा संयुक्त रूप से जो बाइडन और कमला हैरिस के साथ प्रचार करते हुए नज़र आएंगे।
बराक ओबामा उन “drive-in” रैलियों में उपस्थित होंगे, जिन्हें वुहान वायरस के चलते बाइडन ने लोकप्रिय बनाया है, जिसमें वोटर अपनी गाड़ियों में रहकर रैली में शिरकत कर सकते हैं। ओबामा का ध्यान उन राज्यों पर विशेष रूप से होगा जहां पहले वोटिंग होगी, ताकि डेमोक्रेट्स को प्रारम्भ में ही लाभ मिलने लगे।
लेकिन बराक ओबामा चाहे जितने करिश्माई हो या फिर बाइडन के लिए उनका समर्थन चाहे जितना मुखर हो, सच्चाई तो कुछ और ही बताती है। अगर आप वास्तविकता ढूँढे, तो आपको समझ में आएगा कि दोनों के बीच के संबंध उतने बढ़िया नहीं है और न ही ओबामा को बाइडन के जीत या हार में कोई विशेष रुचि है।
जो बाइडन ने अधिकतर ओबामा की नीतियों का समर्थन किया है, परंतु ओबामा बाइडन की नीतियों के लिए उतने उत्सुक नहीं रहे है। पीआर अभियान चाहे हमें जो छवि दिखाना चाहे, परंतु ओबामा प्रशासन में बाइडन की उपराष्ट्रपति होने के बावजूद कोई पूछ नहीं थी। अपनी आत्मकथा में ओबामा के डेप्युटी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेन रोड्स बताते हैं, “रणनीति रूम में बाइडन की स्थिति बिना दिशा के मिसाइल जैसी होती थी।” पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार एक डेमोक्रेट कार्यकर्ता से बातचीत के दौरान ओबामा ने स्वीकारा कि ‘बाइडन द्वारा रायता फैलाने की क्षमता को हल्के में नहीं लेना चाहिए।”
दिलचस्प बात तो यह है कि शुरुआती चरणों में ओबामा ने किसी डेमोक्रेट उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया है, और अब जाकर उन्होने बाइडन का समर्थन किया है। ओबामा ने इस बात को कभी भी छुपाने का प्रयास नहीं किया है कि उन्हें बाइडन द्वारा जनता से संपर्क के अभाव की चिंता है, जिसे उन्होंने एक अन्य डेमोक्रेट उम्मीदवार के समक्ष स्वीकार भी किया था।
ओबामा और बाइडन के बीच दरार तभी से पड़ने लगी थी, जब ओबामा ने 2016 के चुनाव के लिए हिलेरी क्लिंटन का नाम सुझाया था। ओबामा भली-भांति जानते थे, कि जो बाइडन राष्ट्रपति के पद के लिए शायद आयोग्य है, और इसीलिए उन्होंने बाइडन को 2016 का चुनाव लड़ने से रोका भी था, और अब भी खुले दिल से उनके चुनावी प्रचार में ओबामा हाथ नहीं बँटाना चाहते हैं।
बर्नी सैंडर्स और हिलेरी क्लिंटन की तुलना में जो बाइडन के उतने समर्थक भी नहीं है, क्योंकि वोटर्स में उनकी लोकप्रियता लगभग न के समान है। इसके अलावा इस 77 वर्षीय नेता को अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी हैं, जिसके कारण उन्होंने कई बार प्रचार के दौरान ही अपने साथ अपनी पार्टी की भी फजीहत कराई है।
जैसे कि टीएफ़आई ने रिपोर्ट किया था, बाइडन ने डेमोक्रेट पार्टी से राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारी जीतने के बाद बर्नी सैंडर्स को अपने चुनाव प्रचार में हस्तक्षेप करने दिया था, और चुनाव प्रचार में बाइडन ने अपने एजेंडे के उलट सैंडर्स को एजेंडा चलाने दिया, जिसके कारण जो बाइडन की बहुत खिल्ली उड़ी थी।
इसके अलावा न्यूयॉर्क पोस्ट की वह सनसनीखेज रिपोर्ट, जिसमें बाइडन पर अपने बेटे के लिए यूक्रेन की सरकार से एक डील के लिए समझौता करने और भ्रष्टाचार में कथित तौर पर लिप्त रहने का आरोप लगा था, बाइडन के लिए और भी मुसीबत खड़ी कर सकता है। ये बात राष्ट्रपति ट्रम्प बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, और इसीलिए इस रिपोर्ट का पहले से ही फायदा उठाना शुरू कर दिया है और वे जल्द ही अपने अभियान को इस रिपोर्ट के जरिये और अधिक आक्रामक बना सकते हैं।
जिस प्रकार से जो बाइडन ने अपने पूरे चुनावी अभियान की कमान सैंडर्स और कमला हैरिस जैसे नेताओं के हाथ में दे दी, और खुद कुछ नहीं कर रहे हैं, उसी कारण से ओबामा चाहकर भी उनकी कोई विशेष मदद नहीं कर पाएंगे। जिस प्रकार से डेमोक्रेट्स अभी लड़ रहे हैं, यह कहना गलत नहीं होगा कि वे राष्ट्रपति का पद डोनाल्ड ट्रम्प को सोने की थाली में सजाकर परोसेंगे।