चीन के खिलाफ QUAD देश आखिरकार एक्शन में आ चुके हैं। एक तरफ भारत फिलीपींस को चीन से दूर कर अपने पाले में कर रहा है तो वहीं अब जापान वियतनाम और इंडोनेशिया को अपने पाले में करने की योजना बना चुका है।
रिपोर्ट के अनुसार जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा इस महीने की शुरुआत में अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए वियतनाम और इंडोनेशिया की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। अगर यात्रा आगे बढ़ती है, तो सुगा से वियतनामी प्रधानमंत्री Nguyen Xuan Phuc और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति Joko “Jokowi” Widodo के साथ बातचीत कर उनसे व्यापार, सुरक्षा और अन्य मुद्दों के बीच दक्षिण चीन सागर में बढ़ते तनाव पर समर्थन पाने की कोशिश करेंगे। जापान Quad देशों का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है और यह कई बार कहा जा चुका है कि चीन से निपटना है तो Quad देशों को साथ आना होगा। जापान में सत्ता परिवर्तन के बाद नए प्रधानमंत्री की यह पहली विदेश यात्रा होगी। आज वैश्विक स्तर पर खासकर दक्षिण चीन सागर में जिस तरह की जियो पॉलिटिकल स्थिति है उसे देखकर उनकी वियतनाम और इंडोनेशिया की यात्रा के उद्देश्य आसानी से समझा जा सकता है।
बीजिंग आसियान के सदस्यों के बीच अपना दबदबा बढ़ाने का लक्ष्य बना रहा है, लेकिन कुछ देश दक्षिण चीन सागर में अधिकार क्षेत्र को लेकर चीन के खिलाफ पहले से ही साथ आ चुके हैं जिसमें वियतनाम सबसे ऊपर है। वहीं, बाकी देशों ने भी चीन के ताइवान के प्रति रवैये को देखा है जिससे चीन का प्रभाव काफी कम हुआ है। ऐसे में Suga की इन देशों की यात्रा सोने पर सुहागा होगा और वे सभी देशों को एक साथ चीन के खिलाफ अपने समर्थन में करने में कामयाब रहेंगे।
जापान अपने पड़ोसियों के साथ एक स्थिर संबंध बनाकर, एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक की दृष्टि को बढ़ावा देना चाहता है, जिसमें कानून के शासन का रखरखाव, नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान शामिल है। बता दें कि दिसंबर 2012 में दूसरी बार पद संभालने के बाद जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के लिए वियतनाम और इंडोनेशियापहला विदेशी दौरा था।
इससे पहले Quad का बेहद महत्वपूर्ण देश भारत, फिलीपींस को अपने पाले में करने की योजना पर काम कर रहा है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रूप से एक ऐसी ट्रेड डील होने वाली है जिसमें फिलीपींस ने क्षेत्र में भारत को वरीयता देने के नाम पर सहमति जाहिर कर दी है। भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को लेकर एक पीटीए डील करने को लेकर बातचीत चल रही है जिसके तहत दोनों देश आपसी ट्रेड बढ़ाने के साथ ही उत्पाद शुल्कों में कटौती करने के फैसले लेंगे। दोनों देश द्विपक्षीय रिश्तों को अधिकतम मजबूत करने के मुद्दे पर सहमत हुए हैं। फिलीपींस के व्यापारिक और उद्योग के सचिव सेफरिनो एस रोडेल्फो ने पीटीए के दृष्टिकोण को व्यवहारिक बताया है। उन्होंने कहा, “फिलीपींस भारत के साथ उतपाद शुल्क से लेकर व्यापारिक संबंधों को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए अधिक उत्साहित है।”इसके साथ ही उन्होंने देशों के अधिकारियों से पीटीए के तहत वार्ता को सुरक्षित और मजबूत रखने का आह्वान किया है।
फिलीपींस के बदलते रवैए और भारत के साथ ट्रेड डील अगर पक्की हो जाती है तो चीन को दोहरी मार पड़ेगी। एक तो भारत की स्थिति क्षेत्र में अधिक मजबूत हो रही है। जबकि चीन के प्रति अपना एंटी चाइना रुख दिखाकर फिलीपींस ने दुश्मनों से घिरे चीन को वैश्विक स्तर पर और कमजोर कर दिया है।
भारत और जापान दोनों दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को अपने पाले में करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं जिससे चीन को दक्षिण चीन सागर में ही घेरा जा सके। देखा जाए तो इस तरह से इन दोनों Quad देशों का उद्देश्य पूरा होता भी दिखाई दे रहा है। Indo-Pacific क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव को रोकने के लिए जापान भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ QUAD को एक नया रूप देने की कोशिश कर रहा है जिसमें सैन्य सहयोग भी शामिल है। अभी तक Quad एक संवाद का मंच बना हुआ था लेकिन ऑस्ट्रेलिया के मालाबार युद्धाभ्यासमें शामिल होने से इसके स्वरूप में बदलाव के स्पष्ट संकेत मिले थे। इन चारों देशों की भगौलिक स्थिति इस प्रकार से है कि चीन का बचना नामुमकिन हो जाएगा। ये चारों देश अब मिलकर कूटनीतिक, रणनीतिक और भगौलिक रूप से चीन को घेर चुके हैं, ऐसे में चीन का बचना मुश्किल ही नहीं असंभव दिख रहा है।