सुप्रीम कोर्ट द्वारा श्री रामजन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण के पक्ष में निर्णय सुनाये जाने के पश्चात कल एक अहम निर्णय में सीबीआई की विशेष न्यायालय ने बाबरी मस्जिद में आरोपित 32 व्यक्तियों को ठोस साक्ष्यों के अभाव में निर्दोष सिद्ध कर दिया। जिन लोगों के विरुद्ध मीडिया के एक गुट ने 28 वर्षों तक एक सुनियोजित अभियान चलाया, जिन लोगों ने इस बात को सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी कि उक्त आरोपियों के ही कहने पर मस्जिद गिराई गयी थी, अब उनके दावे न्यायालय में आखिरकार झूठे सिद्ध हुए हैं। न्यायालय ने ये माना कि मस्जिद का विध्वंस पहले से सुनियोजित नहीं था, और ऐसे में मस्जिद को गिराने के लिए षड्यंत्र का रचा जाना अस्वाभाविक है।
अपने 2300 पृष्ठों के निर्णय में विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने बताया कि आरोपियों के विरुद्ध सीबीआई कोई ठोस साक्ष्य नहीं पेश कर पाई है। इस निर्णय में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि वीएचपी नेता अशोक सिंहल मस्जिद की रक्षा करना चाहते थे, क्योंकि श्रीरामलला की मूर्ति वहाँ विराजमान थी। जिन पर मस्जिद को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था, उनमें पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व संसद मुरली मनोहर जोशी, मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह शामिल हैं।
इन लोगों के अलावा वीएचपी नेता रहे विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा को भी निर्दोष सिद्ध किया गया है। द ट्रिब्यून के अनुसार जब विशेष जज कोर्टरूम पधारे, तो 32 में से उपस्थित 26 आरोपी अपने अधिवक्ताओं के साथ उपस्थित थे। जैसे ही न्यायाधीश ने सभी आरोपियों को निर्दोष सिद्ध किया, कुछ लोगों ने ‘जय श्री राम’ का उद्घोष लगाया।
विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने आगे यह भी कहा कि उक्त आरोपियों के विरुद्ध कोई ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं है, और सीबीआई उन लोगों के विरुद्ध ऐसा कोई सबूत नहीं जुटा पाई, जो ये सिद्ध कर सके कि उन्होंने ही इस विध्वंस को एक सुनियोजित योजना के अनुसार अंजाम दिया गया। बता दें कि 28 वर्ष पूर्व , 6 दिसंबर 1992 को श्रीरामजन्मभूमि परिसर पे स्थित विवादित ढांचे को कुछ अतिउत्साहित कारसेवकों ने ध्वस्त किया था।
अब जब अयोध्या में श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण प्रारम्भ हो चुका है, तो ऐसे में विशेष सीबीआई न्यायालय द्वारा दिया गया यह निर्णय उन लोगों के लिए बेहद राहत भरी खबर है, जिन्होंने अयोध्या में श्री राम मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए अपना सर्वस्व अर्पण किया था, परंतु कुछ लोगों की कुंठा के कारण उनके साथ 28 वर्षों तक अपराधियों जैसा बर्ताव किया गया।