चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया जाए तो वह तुरंत बिदक जाता है। इसका एक नया उदाहरण देखने को मिला जब वह जापान से बिदक गया। जैसे चीन के नेता अन्य देशों से मिलकर सॉफ्ट डिप्लोमेसी दिखाते हैं और उनकी PLA आक्रामक नीति अपनाती रहती है, ठीक उसी तरह इस बार जापान चीन के साथ कर रहा है। एक तरफ जापान के प्रधानमंत्री चीन के राष्ट्रपति से फोन पर बातचीत कर रहे हैं, शांति की बात कर रहे हैं, तो वहीं, दूसरी ओर जापानी सेना चीन के नाक के नीचे युद्धाभ्यास कर रही है। यानि यह किसी Good Cop-Bad Cop की कूटनीति से चीन को सबक सीखा रहा है जिससे चीन बिदका हुआ है।
दरअसल, जापानी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, जापान की समुद्री Self-defense Force ने 9 अक्टूबर को दक्षिण चीन सागर में anti-submarine अभ्यास किया। जापानी रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस अभ्यास में एक हेलिकॉप्टर एयरक्राफ्ट कैरियर और एक पनडुब्बी सहित तीन जहाजों की तैनाती की गयी थी। मंत्रालय ने एक बयान में अभ्यास के भौगोलिक स्थिति पर अधिक विवरण दिए बिना बताया कि युद्धाभ्यास का उद्देश्य “अपनी सामरिक क्षमता को बढ़ावा देना” था। बयान में कहा गया है कि सप्ताहांत में आपूर्ति के लिए तीन जहाज वियतनाम के Cam Ranh Bay में रुकेंगे।
चीन के नाक के नीचे इस तरह से जापान का आक्रामक युद्धाभ्यास करना दिखाता है कि वह किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी ऊर्जा-समृद्ध जल क्षेत्रों पर चीन अपना दावा करता है। यही नहीं कई क्षेत्र में तो इसने कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य चौकी स्थापित की है वहीं, ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम के भी कई क्षेत्रों पर दावे करता फिरता है।
जापान के इस युद्धाभ्यास से चीनी मीडिया में खौफ की लहर दौड़ पड़ी, और अपने अदातानुसार उल्टे जापान को धमकी देने लगी। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि जापानी युद्धपोतों ने हाल ही में दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों को अंजाम दिया था, जिसमें 5 सितंबर को एक हेलिकॉप्टर एयरक्राफ्ट कैरियर था।
चीन के नाक के नीचे इस तरह का युद्धाभ्यास उसे भड़काने के लिए काफी था, परंतु जपान ने Bad Cop की तरह कई ऐसे एक्शन लिए हैं जिससे चीन बिदका हुआ है। इससे पहले जापान भारत के साथ सहयोग को नई ऊंचाई देने की बात कर चुका है जो चीन के लिए किसी भी स्थिति में बुरी खबर कही जाएगी। सुगा ने प्रधानमंत्री बनने के बाद करीब 25 मिनट तक भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात की और रिश्तों को अधिक मजबूत बनाने के रोड मैप पर विचार विमर्श किया था। इस बातचीत में दोनों ने विदेश नीति से लेकर वैश्विक साझेदारियों पर आगे बढ़ने पर विशेष बातचीत की थी। सुगा ने पूर्णतः Open and Free इंडो-पैसेफिक बनाने के भारतीय एजेंडों को भी आगे बढ़ाने की बात कही। साथ ही Quad में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जापानी पीएम ने सहयोग में वृद्धि पर भी जोर दिया था।
इससे पहले नए जापानी प्रधानमंत्री योशिहीदे सुगा के नेतृत्व में जापान इस बार का सबसे बड़ा रक्षा बजट तैयार कर रहा है, जिसका मूल्य सरकारी सूत्रों के अनुसार लगभग 52 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानि 5.4 ट्रिलियन जापानी येन होगा। जापान ने ये निर्णय निस्संदेह चीन की बढ़ती गुंडई को ध्यान में रखते हुए किया, और ऐसे में जापान आक्रामक रक्षा नीति अपनाने से पीछे नहीं हटेगा।
Good Cop की भूमिका में देखा जाए तो जापानी प्रधानमंत्री सुगा ने शी जिनपिंग से फोन पर वार्ता की और शांति की बात पर ज़ोर दिया। सुगा ने अपने फोन पर बातचीत के दौरान कहा था कि जापान-चीन संबंधों की स्थिरता न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। वहीं, चीन के विदेश मंत्री Wang Yi भी जापान का दौरा करने वाले हैं। वहीं QUAD में भी सीधे तौर पर चीन का नाम नहीं लिया।
वास्तविकता देखा जाए तो जापान चीन के साथ चीन की ही नीति अपना रहा है। एक तरफ अपने नेताओं को चीन के नेताओं से बातचीत करने और किसी भी मामले को सुलझाने की बात कर रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ उसी के जल क्षेत्र में युद्धाभ्यास कर चीन को यह भी संदेश दे रहा है कि वह किसी दबाव में नहीं है और किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। यानि जापान बोलता तो मीठा-मीठा है, लेकिन एक्शन सभी कड़वे होते हैं।
कूटनीतिक रूप से जापान Good Cop बना हुआ है, तो वहीं रणनीतिक और सैन्य रूप से Bad Cop की भूमिका में है। यही कारण है दक्षिण चीन सागर में जापान के युद्धाभ्यास करने के बाद चीनी मीडिया बेचैन हो चुकी है। CCP की मुखपत्र मानी जाने वाली ग्लोबल टाइम्स अख़बार ने नवीनतम जापानी अभ्यासों का उल्लेख करते हुए शनिवार को कहा कि दक्षिण चीन सागर में सैन्य गतिविधियों का लगातार संचालन क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए अनुकूल नहीं है, और चीन द्वारा इसका कड़ा विरोध किया जाता है। इस मीडिया हाउस ने लिखा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी हमेशा चीन की राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों का बचाव करते हुए सावधान रही है और इस बार भी है। हालांकि, चीन की बड़बोली मीडिया को सभी जानते हैं। अब देखना यह है कि जापान चीन को सबक सिखाने के लिए आगे कौन-कौन से कदम उठाता है जिससे पूरा चीन भड़क उठे।