पहले तनिष्क और अब Eros Now! दोनों ही हालिया दिनों में अपने हिन्दू विरोधी विज्ञापनों को लेकर चर्चा में रहे। तनिष्क के विज्ञापन से जहां लव जिहाद का विवाद भड़क गया, तो वहीं Eros Now ने तो सारी हदें पार करते हुए हिंदुओं के नवरात्रि पर्व का ही भद्दा मज़ाक बना डाला। सामान्य बुद्धि का कोई भी व्यक्ति इन विज्ञापनों को देखकर यह दावा कर सकता है कि हिंदुओं की भावनाओं को भड़काकर इन सब ब्राण्ड्स को बड़ा आर्थिक नुकसान होना तय है। भारत, ऐसा देश है जहां करीब 80 प्रतिशत आबादी हिन्दू धर्म को मानती है, वहां आखिर कोई ब्रांड हिन्दू विरोध करने की हिम्मत भी कैसे कर सकता है? वो भी तनिष्क जैसा एक jewellery ब्रांड जिसके तकरीबन 100 प्रतिशत ग्राहक हिन्दू ही हों!
आज विज्ञापनों का दौर है, जो जितना बढ़िया और आकर्षक विज्ञापन बनाएगा, उसी का ब्रांड सबसे ज़्यादा प्रभावशाली माना जाएगा! जिस प्रकार TRP की दौड़ में आज TV चैनलों की गुणवत्ता का स्तर धूल चाट रहा है, उसी प्रकार “आकर्षक विज्ञापनों” की दौड़ में कई बार जानबूझकर और कई बार अनजाने में ऐसी Ads बना दी जाती हैं, जिसके कारण ब्रांड खबरों में तो आता है, लेकिन गलत कारणों से! बड़े-बड़े ब्राण्ड्स अपने विज्ञापन को सबसे बेहतर दिखाने के लिए करोड़ों-अरबों रुपया बहाते हैं, PR एजेंसी हायर करते हैं, अपने advertising डिपार्टमेन्ट में पेशेवर लोगों की फौज खड़ी करते हैं। यहीं से इस सारे विवाद की जड़ शुरू होती है।
कई बार अंग्रेज़ी में यह सुनने को मिलता है कि Bad Publicity is also Good Publicity! यानि चाहे गलत कारणों से ही खबरों में क्यों ना आयें, लेकिन लोग तो हमारे बारे में जान ही जाते हैं। इसी सिद्धान्त के आधार पर विज्ञापनों में कई बार जानबूझकर विवादित चीज़ें शामिल कर दी जाती हैं। लेकिन इस बात का खतरा और ज़्यादा तब बढ़ जाता है, जब किसी कंपनी द्वारा हायर की गयी PR एजेंसी अपनी बनाई Ads के माध्यम से ही अपने कुत्सित एजेंडे को आगे बढ़ाना शुरू कर दे। मान लीजिये कि किसी कंपनी ने अपने विज्ञापनों का जिम्मा ऐसी PR एजेंसी या फिर ऐसे पेशेवर व्यक्ति को सौंप दिया जिसके मन में किसी खास धर्म के लोगों के खिलाफ ज़हर भरा हो, या जिसकी विचारधारा समाज के अधिकतर लोगों से ना मिलती हो, या जिसके विचार देश में आग भड़काने योग्य हों, तो क्या होगा?
इसका उत्तर है- हमें फिर तनिष्क और Eros Now के विवादित विज्ञापनों जैसे Ads देखने को मिलेंगे! विज्ञापन कोई छोटी-मोटी चीज़ नहीं होती, ये ब्राण्ड्स का चेहरा होते हैं, बढ़िया विज्ञापन ब्राण्ड्स को आसमान पर पहुंचा देते हैं और घटिया, विवादित विज्ञापन ब्राण्ड्स को ज़मीन पर लाकर पटक देते हैं, ये हमने पहले भी भली-भांति देखा है। अगर किसी एक शख्स की विचारधारा ही एक ब्रांड के स्वरूप को बदलकर उसे राख कर दे, तो इन बड़े-बड़े corporates के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ हो नहीं सकता। सालों में बनी एक ब्रांड की ब्रांड वैल्यू किसी PR एजेंसी के विषैले एजेंडे की भेंट नहीं चढ़नी चाहिए! और इसीलिए अब भी देश के बड़े-बड़े corporates के पास मौका है कि वे PR एजेंसी और अपने advert डिपार्टमेन्ट के लोगों को हायर करते वक्त उनकी विचारधारा का अच्छे से मूल्यांकन कर लें, कहीं ऐसा ना हो कि उनके विषैले एजेंडे की आग में इन Corporates की goodwill हमेशा-हमेशा के लिए झोंक दी जाये!
तनिष्क और Eros Now, इन्हें भारत में बिजनेस करना है, तो बेशक देश की बड़ी आबादी के दिल में इन्हें जगह बनानी ही होगी। इसको सुनिश्चित करने के लिए इन्हें अपने Advert डिपार्टमेन्ट और PR एजेंसियों पर खासा ध्यान देना होगा, क्योंकि अगर दोबारा किसी ब्रांड के साथ ऐसी घटना घटती है, तो उस PR एजेंसी का कुछ जाएगा नहीं, उस brand का कुछ बचेगा नहीं!