अमेरिका- दुनिया की एकमात्र सुपरपावर अब दुनिया का नेतृत्व करने में कोई रूचि नहीं रखता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प “America First” नीति के तहत दूसरे देशों की खर्चीली लड़ाई लड़ने से हाथ पीछे खींचने का ऐलान कर चुके हैं। इसी कड़ी में हाल ही में उन्होंने ऐलान किया है कि वे क्रिसमस से पहले अफ़ग़ानिस्तान से अपने सारे सैनिकों को वापस घर बुला लेंगे। ट्रम्प को दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में टांग अड़ाने की कोई दिलचस्पी नहीं है। हालांकि, उसी समय ट्रम्प Quad को पुरजोर तरीके से बढ़ावा दे रहे हैं, और साथी देशों जैसे भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर नए world order का नेतृत्व करने की नीति को आगे बढ़ा रहे हैं। स्पष्ट है कि नए world ऑर्डर में ये चार देश मिलकर दुनिया का नेतृत्व करेंगे जिसमें भारत की भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका होगी, जितनी की अमेरिका या अन्य किसी Quad सदस्य देश की होगी।
अब तक अमेरिका सभी अंतर्राष्ट्रीय गठबंधनों के केंद्र में ही रहा है। उदाहरण के लिए शुरू से ही दुनिया के सबसे बड़े defense pact NATO के केंद्र में भी सिर्फ अमेरिका ही रहा है, जिसके कारण ना सिर्फ अमेरिका को दूसरे देशों की लड़ाइयों में अपना पैसा खर्च करना पड़ा है बल्कि अपने सैनिकों को भी खोना पड़ा है। हालांकि, अब चीन के खिलाफ बन रहे Quad गठबंधन में ट्रम्प यह गलती दोहराने से बच रहे हैं और बाकी तीन सदस्य देशों को भी उतना ही महत्वपूर्ण स्थान दे रहे हैं।
हालांकि, ऐसा नहीं है कि अमेरिका अब इन देशों पर अपना प्रभुत्व कायम नहीं रखना चाहता है। Abraham Accord (UAE-इज़रायल शांति समझौता) हो या फिर सर्बिया-कोसोवो के बीच आर्थिक समझौता कराना हो, ट्रम्प प्रशासन ने इन नामुमकिन से दिखने वाले कार्यों को अंजाम तक पहुंचाकर इन देशों पर अपना प्रभाव कायम रखा है। स्पष्ट है कि ट्रम्प ज़मीन पर अपने सैनिकों को बिना उतारे ही अब वैश्विक आर्थिक और सुरक्षा नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। यही हमें हाल ही के Nagorno-Karabakh क्षेत्र में जारी अर्मेनिया-अज़रबैजान विवाद में देखने को मिला है, जहां अमेरिका ने इस विवाद में किसी प्रकार के हस्तक्षेप से दूर रहने का ही निश्चय किया है।
दूसरी तरफ नए world order को स्थापित करने में Quad देशों की सबसे अहम भूमिका रहने वाली है। उदाहरण के लिए जापान, अमेरिका, भारत और ऑस्ट्रेलिया, चारों देशों के लिए ही चीन आज सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है। Indo-Pacific क्षेत्र में चारों ही देश बड़ी अहम location पर स्थित हैं और दुनिया में लोकतन्त्र के पुरोधा माने जाते हैं। ऐसे में नए world order में चारों ही देश दुनिया को प्रभावित करने की क्षमता रखेंगे और मिलकर दुनिया का नेतृत्व करेंगे।
उदाहरण के लिए चारों देश अपने-अपने प्रभाव वाले इलाकों में काम कर रहे हैं। अमेरिका सीधे तौर पर चीन के खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़े हुए है, तो वहीं भारत दक्षिण एशिया और हिमालय क्षेत्र में चीन की चुनौतियों का मुक़ाबला कर रहा है। भारत और जापान मिलकर ASEAN देशों और रूस के Far East को चीनी प्रभाव से मुक्त करने में लगे हैं तो वहीं ऑस्ट्रेलिया पेसिफिक देशों को चीन के प्रभाव से बाहर निकालने के लिए कमर कस चुका है। जिस प्रकार NATO का नेतृत्व सिर्फ और सिर्फ अमेरिका के हाथ में था, उसके ठीक विपरीत Quad का नेतृत्व अमेरिका के नहीं, बल्कि चारों सदस्य देशों के हाथ में है।
हाल ही में जिस प्रकार भारत ने म्यांमार में 6 बिलियन डॉलर के निवेश से ऑइल रिफाइनरी लगाने का फैसला लिया है, भारत ने ही फिलीपींस के साथ Preferential Trade Agreement करने को लेकर बातचीत को आगे बढ़ाया है, ऑस्ट्रेलिया ने जैसे PNG को चीनी चंगुल से बाहर निकाला है, जापान ने जिस प्रकार ताइवान, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ नजदीकी बढ़ाने का फैसला लिया है और अमेरिका ने हाल ही में Mekong देशों के लिए आर्थिक पैकेज घोषित करने की बात कही है, उससे स्पष्ट है कि चीन के खिलाफ सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि चारों देश मिलकर कार्रवाई कर रहे हैं और Quad मिलकर एक सोची समझी नीति के तहत चीन के खिलाफ काम कर रहा है। स्पष्ट है कि अब नए world order में दुनिया की सारी राजनीतिक शक्ति सिर्फ अमेरिका के पास नहीं रहेगी बल्कि Quad देशों के पास रहेगी और यही देश मिलकर दुनिया की आर्थिक और रणनीतिक नीतियों को प्रभावित करेंगे।