चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच अब Quad देश भी चीन को चोट पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं, और ऐसा लगता है कि इन सब देशों ने चीन विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अब वियतनाम को अपना ठिकाना बना लिया है। जापान के नए प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने जिस प्रकार अपनी पहली विदेश यात्रा पर वियतनाम का दौरा किया, उससे स्पष्ट हो गया कि Quad देश अब वियतनाम के जरिये ही दक्षिण चीन सागर में चीन की चुनौती से निपटने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। जापान के अलावा भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी कई मौकों पर वियतनाम के साथ मिलकर “Indo-pacific” रणनीति को आगे बढ़ाने की बात कह चुके हैं।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि वियतनाम की Geopolitical location बेहद महत्वपूर्ण है। यह देश चीन के ठीक दक्षिण में है, और दक्षिण चीन सागर के ठीक पश्चिम में! ऐसे में अगर चीन के लिए किसी देश से सबसे ज़्यादा मुश्किलें खड़ी की जा सकती है, तो वह वियतनाम ही है। खुद वियतनाम और Quad के देश भी इस बात को समझते हैं। इसीलिए,वियतनाम खुद भी अब Quad देशों के साथ सहयोग कर चीन को कड़े संकेत देने की कोशिश कर रहा है। इसीलिए सुगा के दौरे के दौरान उसने जापान के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके बाद जापान इस देश को अपने हथियार बेच पाएगा।
अपने दौरे के दौरान सुगा ने वियतनाम को “Indo-pacific” रणनीति का केंद्र बताया, और कहा कि अगर हमें Indo-pacific क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करवाना है और इसे सब देशों के लिए “free and open” रखना है, तो वियतनाम के साथ साझेदारी बेहद अहम हो जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब जापान वियतनाम को Patrol Planes और Radar बेच सकता है, जो क्षेत्र में वियतनाम के डिफेंस को और मजबूत करेंगे!
जापान इससे पहले भी चीन को आर्थिक चोट पहुंचाने के लिए वियतनाम की सहायता कर चुका है। इसी वर्ष सितंबर महीने में जापान ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा था कि वह चीन छोड़ने वाली जापानी कंपनियों को सब्सिडी प्रदान करेगा, जिसका सबसे बड़ा फायदा वियतनाम को ही हुआ था।
Japan's Ministry of Economy, Trade and Industry will provide subsidies to Japanese manufacturers which shift their manufacturing from China to ASEAN countries. It will add India and Bangladesh to the list of relocation destinations: Japanese media
— ANI (@ANI) September 4, 2020
जापान के अलावा Quad के बाकी देश भी वियतनाम पर अच्छा खासा फोकस कर रहे हैं। उदाहरण के लिए वियतनाम के आग्रह के बाद अब भारत चीन को सीधे तौर पर चुनौती पेश करने के लिए दक्षिण चीन सागर में वियतनाम के Exclusive Economic Zone में drilling का काम कर सकता है। बता दें कि इसी वर्ष अगस्त में वियतनाम के राजदूत ने भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से मुलाक़ात के दौरान यह पेशकश की थी कि भारत दक्षिण चीन सागर में आकर यहाँ के खनिज पदार्थों और तेल जैसे बहुमूल्य संसाधनों की खोज कर सकता है। वियतनाम अब खुद चाहता है कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के साथ-साथ उसे और भी बड़ी ताकतों का साथ मिले, इसी कड़ी में वह भारत के साथ भी नज़दीकियाँ बढ़ा रहा है।
इसी तरह अमेरिका भी वियतनाम के साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में fishing के क्षेत्र में सहयोग कर रहा है। East Sea में चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए इसी वर्ष जुलाई में दोनों देशों ने fishing agreement पर हस्ताक्षर किए थे। दक्षिण चीन सागर में fishing आर्थिक के साथ-साथ एक बड़ा सैन्य मुद्दा भी है, क्योंकि अक्सर चीन अपनी fishing vessels के जरिये ही दक्षिण चीन सागर में अपनी गुंडागर्दी करता है। अमेरिकी विदेश मंत्री वियतनाम और अन्य ASEAN देशों की importance समझते हुए इन देशों को खुलकर चीन विरोधी कदम उठाने के लिए प्रेरित भी कर चुके हैं। इस वर्ष सितंबर में ASEAN देशों को कड़ी चेतावनी देते हुए Pompeo ने कहा था कि उन्हें अब सिर्फ बोलने से बढ़कर चीन के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाना होगा। अमेरिका के अलावा वर्ष 2019 में ऑस्ट्रेलिया भी वियतनाम के साथ मिलकर Indo-pacific को एक बेहतर और सुरक्षित स्थान बनाने की बात कर चुका है। पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री Vietnam के दौरे पर गए थे और वहाँ उन्होंने क्षेत्र में चीन की चुनौती से निपटने के लिए हनोई के साथ मिलकर काम करने का ऐलान किया था।
बता दें कि वियतनाम एक महत्वपूर्ण देश होने के साथ-साथ इस वर्ष ASEAN का अध्यक्ष भी है और अगर यह देश चीन से निपटने में सक्षम और आत्म-निर्भर हो जाता है तो यह Quad की Indo-pacific रणनीति को मजबूती प्रदान करेगा। यही कारण है कि चारों देश मिलकर वियतनाम पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।