चीन के लिए दक्षिण एशिया से लेकर और आसियान तक से बुरी खबरें ही आ रही हैं। सीमा विवाद के चलते भारत चीन के लिए आक्रामक रवैया अपनाए हुए हैं। इसी बीच अब भारत ने म्यांमार के साथ रक्षा सौदे को आगे बढ़ाते हुए उसे सबमरीन देने की घोषणा कर दी है जिसे चीन के खिलाफ भारत की एक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी ओर जपान म्यांमार के साथ पहले ही अपने नए सौदे का ऐलान कर चुका है। इन आसियान देशों को रक्षा के क्षेत्र में मजबूत कर असल में क्वाड चीन के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर रहा है और ये क्वाड की एक सकारात्मक रणनीति मानी जा रही है।
दरअसल, भारत ने हाल में चीन से विवाद को लेकर अब अपनी रणनीति को बदल दिया है और उसे चौतरफा घेरने की एक योजना बनाई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने अपने 1980 में रूस से खरीदी गई 3000 टन की सबमरीन को म्यांमार को देने का ऐलान कर दिया है। गौरतलब है कि ये भारत की पहली आईएएनएस सिंधुवीर सबमरीन है जो कि डीजल औऱ इलेक्ट्रिक दोनों पर काम करती है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इस घोषणा के साथ ये साफ कर दिया है कि भारत अपने इस फैसले से असल में चीन को काउंटर करने की योजना बना रहा है।
गौरतलब है कि चीन बांग्लादेश को दो सबमरीन देना चाहता है दूसरी ओर पाकिस्तान तो उसके कब्जे में पहले से ही है। ऐसी स्थिति में चीन लगातार इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने की फिराक में है जिसके चलते भारत के लिए मुश्किले खड़ी हो सकती हैं। यही नहीं वो अपनी आर्थिक शक्ति के दम पर इन देशों को अपने कब्जे में करने की जुगत में रहता है। इस स्थिति को काउंटर करने के लिए औऱ चीन को इस क्षेत्र में कमजोर करने के लिए ही भारत ने म्यांमार को सबमरीन देने का ये बड़ा फैसला लिया है।
भारत के अलावा क्वाड का एक बेहद महत्वपूर्ण देश जापान, हाल ही में ये ऐलान कर चुका है कि वो वियतनाम को अपनी 3,000 टन की सबमरीन देगा। जिससे इस क्षेत्र में वियतनाम की ताकत बढ़ेगी। जापान के नए प्रधानमंत्री य़ोशिहिदे सुगा हाल ही में वियतनाम जाने वाले हैं जहां वो इस सौदे को अंतिम रूप देंगे। सुगा के इस फैसले को भी चीन के खिलाफ नीति के रूप में ही देखा जा रहा है क्योंकि चीन विरोधी वियतनाम को जापान काफी समय से अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा थआ जिससे चीन की चुनौतियों का नीतिगत जवाब दिया जा सके।
दरअसल, कोरोनावायरस जैसी वैश्विक आपदा के जन्मदाता चीन को क्वाड देशों के समूह से सबसे ज्यादा मुश्किलें हो रही हैं क्योंकि इन देशों में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। चीन को लेकर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का विरोध किसी से भी छिपा नहीं है। हाल ही में मालदीव के साथ अमेरिका ने रक्षा सौदा किया था। वहीं अब जापान और भारत, वियतनाम और म्यांमार को रक्षा के क्षेत्र में मजबूत कर रहे हैं। जिससे एक तरफ तो ये स्पष्ट हो रहा है कि चीन के खिलाफ क्वाड देशों की कथनी और करनी में तनिक भी अंतर नहीं है और ये भी साबित हो रहा है कि क्वाड अब खुद को मजबूत बनाने के साथ ही आसियान देशों की ताकत में इजाफा कर रहा है।
क्वाड का एक्शन और आसियान की मजबूती दोनों ही चीन के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकती है क्योंकि दक्षिण एशिया से लेकर दक्षिण चीन सागर तक अब चीन दुश्मनों से घिर गया है जहां उसे हर पल खुद पर हमले का डर सताता रहता है।