अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव को प्रारम्भ होने में बस कुछ ही हफ्ते बचे हैं, लेकिन अब जो बाइडेन और डेमोक्रेट पार्टी के लिए स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। जिस प्रकार से बाइडेन चीन से अपनी नज़दीकियाँ बढ़ा रहे हैं, उससे अब अन्य एशियाई मूल के अमेरिकियों को खुलकर ट्रम्प के समर्थन में आने का मौका दे रहे हैं, विशेषकर वियतनाम मूल के अमेरिकियों को।
13 लाख वियतनाम मूल के अमेरिकियों के लिए चीनी साम्राज्यवाद का खतरा स्पष्ट है। चीन की गुंडई से वे बिलकुल अनभिज्ञ नहीं है, और कई लोगों ने 1979 के खतरनाक युद्ध के दुष्परिणाम भी झेले है, जिसमें चीन को हराने के बाद भी वियतनाम को निजी तौर पर काफी नुकसान झेलना पड़ा था।
इसलिए वियतनाम के निवासी, विशेषकर अमेरिका में प्रवास कर रहे वियतनाम के नागरिकों के लिए डोनाल्ड ट्रम्प किसी आशा की किरण से कम नहीं है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से साक्षात्कार के अनुसार एक वियतनामी अमेरिकन नागरिक डेविड ट्रान ने बताया, “चीन और वियतनाम के भले समान विचारधारा हो, परंतु दोनों के सम्बन्धों में छत्तीस का आंकड़ा है चीनी साम्राज्यवाद का विरोध करना हर वियतनाम के खून में है”।
इन दिनों चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर में की जा रही गुंडई से वियतनाम के लोग काफी चिढ़े हुए हैं। अब क्रोध इतना बढ़ चुका है कि जब 80 से अधिक परवासी वियतनामी नागरिकों के समूहों द्वारा एक अनाधिकारिक जनमत संग्रह कराया गया, तो 95 प्रतिशत भागीदारों ने स्पष्ट कहा – “चीन को चाहे जैसे भी, परंतु उसकी गुंडई के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों में ले जाना अत्यंत आवश्यक है”।
इसीलिए हैरान होने की कोई बात नहीं है, यदि आपको वियतनामी मूल के अमेरिकी इस समय डोनाल्ड ट्रम्प का समर्थन करते हुए दिखाई दे। परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। जिन चीनी मूल के अमेरिकियों ने हिलेरी क्लिंटन के लिए वोट किया था, अब वे भी डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थन में सामने आ रहे हैं। ‘अमेरिकन्स फॉर प्रेसिडेंट ट्रम्प’ नामक संदेशों ने पूरे वी चैट में तहलका मचा दिया है। ये लोग चीनी प्रशासन के चाटुकार नहीं है, बल्कि अपने आपको कर्मठ अमेरिकियों की संख्या में गिनाना चाहते हैं, जिसके कारण ये प्रेसिडेंट ट्रम्प का समर्थन करते नज़र आ रहे हैं।
जो एशियाई अमेरिकी ट्रम्प के अभियान का समर्थन कर रहे हैं, वही डोनाल्ड ट्रम्प के अभियान के लिए सबसे अधिक प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं। लेकिन ये समर्थन केवल चीनी मूल के कुछ अमेरिकियों और वियतनाम मूल के अमेरिकियों तक ही सीमित नहीं है, अपितु इस क्षेत्र में अब भारतीय अमेरिकियों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। आम तौर पर अधिकतर डेमोक्रेट पार्टी का समर्थन करने वाले भारतीय अब डेमोक्रेट्स की निरंतर आलोचनात्मक नीति से तंग आ चुके हैं, और वे उनके चीन प्रेम से बिलकुल भी सहमत नहीं है। इसके अलावा जिस प्रकार से कमला हैरिस ने अनुच्छेद 370 के परिप्रेक्ष्य में नकारात्मक बयान दिये हैं, वो भी भारतीय अमेरिकियों को फूटी आँख नहीं सुहाया है।
इसके अलावा चाहे फिलीपींस मूल के हो, या फिर जापानी मूल के हो, या फिर कोरियाई मूल के अमेरिकी ही क्यों न हो, हर प्रकार के एशियाई अमेरिकी ने एक सुर में ट्रम्प के लिए अपनी आवाज़ उठाई है, क्योंकि उन्हे भी पता है कि ट्रम्प के पुनः सत्ता में आने का अर्थ है चीनी साम्राज्यवाद को खत्म करने के लिए एक निर्णायक अभियान का आरंभ। जिस तरह से चीन ने अपनी गुंडई से दक्षिण चीन सागर और इंडो पैसिफिक में स्थित इन देशों की नाक में दम कर रखा है, उससे तंग आकर अब इन सब समुदायों ने उसे समर्थन देने का निर्णय किया है, जो उन्हे चीन नामक संकट से मुक्ति दिला सके, और इस समय इनके लिए डोनाल्ड ट्रम्प से बड़ा संकटमोचक और कोई नहीं दिखता।