सैमुअल पैटी (Samuel Paty) नामक फ्रेंच शिक्षक का सिर कलम किए हुए भले एक हफ्ते होने को है, परंतु उनकी हत्या के बाद फ्रांस में उमड़ा आक्रोश अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। फ्रांस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है, जो अब सम्पूर्ण यूरोप के लिए एक मिसाल बन सकता है। France के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी (Emmanuel Macron) भी इसके समर्थन में खुलकर सामने आए हैं।
खबरों के मुताबिक बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच Montpellier के स्थानीय निवासियों ने सैमुअल पैटी की याद में Charlie Hebdo में छपे पैगंबर मोहम्मद के बड़े-बड़े कार्टून एक स्थानीय सरकारी बिल्डिंग की दीवारों पर दिखाना शुरू कर दिया।
Charlie Hebdo cartoons, including one of Mohammed, projected onto Montpellier government building. pic.twitter.com/pnhU0EXTsc
— Chris Tomlinson (@TomlinsonCJ) October 21, 2020
Montpellier के मेयर Carole Delga ने कहा कि “ये निर्णय इसलिए लिया गया, ताकि ये संदेश स्पष्ट हो कि लोकतंत्र के दुश्मनों से लड़ते हुए किसी प्रकार की कमजोरी नहीं होनी चाहिए, खासकर उनके सामने, जो धर्म को हथियार बना हमारे राष्ट्र का सर्वनाश चाहते हैं।”
L’@Occitanie s'associe à l’hommage de la Nation à #SamuelPaty.
J'ai décidé que soient projetées demain sur les façades des hôtels de Région, à #Toulouse & #Montpellier, les caricatures des dessinateurs de Charlie Hebdo, dont certains tués lors de l'attentat terroriste du 7/01/15.— Carole Delga (@CaroleDelga) October 20, 2020
सैमुअल पैटी के स्मरण में Sorbonne की गई श्रद्धांजलि सभा में भी राष्ट्रपति मैक्रों ने स्पष्ट कहा कि फ्रांस ‘कार्टून बनाना नहीं छोड़ेगा’। मैक्रों ने कहा, “पैटी की कायरों ने हत्या की, क्योंकि उसने फ्रेंच गणराज्य के पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा की। उसे इसलिए मार दिया गया क्योंकि वह फ्रांस का प्रतिनिधि था। उसे इसलिए मारा गया क्योंकि कट्टरपंथी मुसलमान हमारा भविष्य कुचलना चाहते हैं, और वे भली भांति जानते हैं कि सैमुअल जैसे नायकों के रहते ये कदापि नहीं हो पाएगा।”
Nous continuerons, professeur.
Nous continuerons ce combat pour la liberté, ce combat pour défendre la République dont vous êtes devenu le visage. pic.twitter.com/0gRe9WIVjJ— Emmanuel Macron (@EmmanuelMacron) October 21, 2020
इसीलिए मैक्रों ने एक कदम आगे बढ़ते हुए सैमुअल की एक फोटो शेयर की, और उसके प्रति अपने विचार भी व्यक्त किए।
— Emmanuel Macron (@EmmanuelMacron) October 21, 2020
इस श्रद्धांजलि सभा में सैमुअल के परिवार सहित 400 अन्य लोग भी शामिल हुए। पैटी के पार्थिव शरीर को एक ताबूत में सम्मान के साथ लाया गया और यू2 नामक रॉक बैंड द्वारा ‘वन’ नामक गीत को भी बजाया गया। ताबूत के ऊपर फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान Légion d’honneur था, जिससे सैमुअल को मरणोपरांत सम्मानित किया गया।
इससे एक स्पष्ट संदेश पूरे यूरोप और अन्य देशों को भेजा गया। कट्टरपंथी मुसलमानों को लगता है कि वे ऐसे अपराध कर बच जायेंगे, लेकिन फ्रांस में अब और ऐसा नहीं चलेगा। धार्मिक प्रतीकों का चित्रण इस्लाम में हराम हो सकता है, परंतु फ्रांस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत इसे बढ़ावा दिया जाएगा, और किसी कट्टरपंथी को कोई अधिकार नहीं है कि इस अधिकार का हनन किया जाए।
This is how you disincentivise terrorism
• double down on what they terrorised you for
• jail fatwa givers+collaborators
• shut down & seize their institutionsWhat you do NOT do:
• give into their demands
• mollycoddle their leaders
• subsidise their institutions https://t.co/X4YZFF5oaf— Abhijit Iyer-Mitra (@Iyervval) October 21, 2020
जैसा कि TFI ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था, इमैनुएल मैक्रों धीरे-धीरे दक्षिणपंथ को अपनाने लगे हैं। 2017 के इमैनुएल मैक्रों और अब के मैक्रों में जमीन आसमान का अंतर है, जो सैमुअल पैटी हत्याकांड में उनकी प्रतिक्रिया से भी स्पष्ट होता है।
मैक्रों का कट्टरपंथी इस्लाम के प्रति घृणा यूं ही नहीं आई है। फ्रांस की जनता में इस्लाम के बढ़ते प्रभाव को लेकर काफी चिंता है, क्योंकि इस्लाम फ्रांस में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ मजहब है, और कट्टरपंथी मुसलमानों ने स्वीडन और जर्मनी की भांति यहां भी काफी आतंक मचा रखा है। प्रारंभ में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण का बुखार फ्रांस के सिर पर भी सवार था, जिसके कारण फ्रांस में बढ़ते आतंकवाद की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा था। एक के बाद एक मुस्लिम प्रवासियों का मानो सैलाब सा आने लगा था, चाहे वह मिडिल ईस्ट से हो, पाकिस्तान से या फिर उत्तरी अफ्रीका के देशों से। प्यू रिसर्च सेंटर की माने तो 2030 तक मुस्लिमों की आबादी यूरोप के कुल जनसंख्या का आठ प्रतिशत होने का अंदेशा है।
इसीलिए इमैनुएल मैक्रों ने अभी से ही फ्रांस को आने वाले किसी भी संकट से निपटने के लिए एक स्पष्ट और कठोर रणनीति अपनाई है, जिसमें वे किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसीलिए जहां एक ओर कट्टरपंथी इस्लाम के आगे कुछ देश बिना लड़े भाग खड़े हो रहे हैं, तो वहीं इमैनुएल मैक्रों एक स्पष्ट रणनीति के साथ सम्पूर्ण जगत को इस समस्या से निपटने के लिए राह भी दिखा रहे हैं।