बॉर्डर पर चीन लगातार भारत के खिलाफ उकसावे भरे कदम उठा रहा है, लेकिन इस बार चीन द्वारा दिया गया एक बयान भारत सरकार के गले नहीं उतरा, जिसके बाद भारत ने आसान भाषा में चीन को यह समझा दिया है कि अगर चीन अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आता है तो भारत भी ताइवान और तिब्बत के मुद्दे पर बोलने से परहेज नहीं करेगा।
हाल ही में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक ऐसा बयान दिया जो भारत सरकार को चुभ गयी। चीनी प्रवक्ता Zhao Lijian ने बयान दिया “चीन ने हमेशा से ही लद्दाख के दर्जे में एकतरफा बदलाव का विरोध किया है। चीन लद्दाख और अरुणाचल को भारत का हिस्सा नहीं मानता हैं, चीन का शुरू से ही यही मानना रहा है। बस इसके बाद भारत भी कहाँ रुकने वाला था। भारत के विदेश मंत्राल्य के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन को आसान भाषा में समझाते हुए कहा “भारत के अंदस्नी मामल्रे में चीन का बोलने का कोई औचित्य ही नहीं बनता है। हम उम्मीद करते हैं कि कोई देश भारत के अंदरूनी मामलों में नहीं बोलेगा, जैसा कि खुद बाकी देश भी दूसरों से यही उम्मीद करते हैं।”
यहाँ स्पष्ट हो जाता है कि भारत ने चाइना को इस बार बेहद कड़ी चेतावनी जारी की है। भारत ने संकेत दिया है कि अगर चाइना ऐसे ही भारत के इलाकों को अपना घोषित करता रहेगा, तो वह दिन दूर नहीं जब आरत भी ताइवान और तिब्बत को लेकर चीन के खिलाफ बोलना शुरू कर देगा और इन इलाकों को चाइना का हिस्सा मानने से इंकार कर देगा।
अब तक भारत चीन के खिलाफ ऐसी कड़ी भाषा के इस्तेमाल से बचता ही रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस प्रकार चाइना ने इन संवेदनशील मुद्दों पर टिप्पणी कर बॉर्डर पर भारत के खिलाफ बढ़त बनाने की कोशिश की है, उससे स्पष्ट है कि अब भारत भीचाइना के खिलाफ तिब्बत कार्ड और ताइवान कार्ड खेलने से पीछे नहीं हटेगा। भारत-चीन विवाद के दौरान भारत ने अपने Special Frontier Force के इस्तेमाल से यह साफ जता दिया था कि वह अब चीन के खिलाफ जाकर तिब्बत का मुद्दा उठा सकता है। भारत सरकार के संकेतों से साफ समझा जा सकता है कि जल्द ही भारत चाइना की “वन चाइना पॉलिसी” को भी हमेशा-हमेशा के लिए नकार सकता है। ऐसे में चाइना को लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा उठाने से पहले भारत की जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हो जाना चाहिए।