कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी इन दिनों गोवा के दौरे पर हैं, लेकिन किसी चुनावी उद्देश्य से नहीं, बल्कि एक निजी कारण से। डॉक्टर ने सोनिया गांधी को सलाह दी थी कि उनके वर्तमान स्थिति में दिल्ली की आबोहवा उनके लिए ठीक नहीं है, और उन्हें कहीं और कुछ दिनों के लिए जाना चाहिए। जहां एक ओर पार्टी में बिहार की हार के पश्चात आत्मवलोकन की मांगें उठ रही है, तो वहीं माँ बेटे की जोड़ी गोवा का लुत्फ उठा रही है।
यदि इतनी ही तत्परता से दोनों पराली जलाने के मुद्दे पर काम करते, तो शायद ही उन्हें दिल्ली से इस समय भागना पड़ता। जिस प्रकार से काँग्रेस हाईकमान ने इस विषय पर चुप्पी साध रखी है, ये जानते हुए भी कि पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुछ भी नहीं किया है, उससे स्पष्ट होता है कि काँग्रेस इस विषय पर कितनी गंभीर है। सोनिया गांधी का एक गंभीर बयान भी अमरिंदर सिंह को लाइन पर ले आता, और यदि पराली जलाने की समस्या को खत्म नहीं कर सकते, तो कम से कम नियंत्रण में अवश्य रखा जा सकता था।
सच कहें तो काँग्रेस को रत्ती भर भी फरक नहीं पड़ता कि पराली के जलने से उत्तर भारत, विशेषकर दिल्ली को कितना नुकसान हो रहा है। जहां एक ओर भाजपा प्रशासित सरकारों ने इस समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण पाया है, तो वहीं काँग्रेस ने उल्टा पराली जलाने को ही बढ़ावा दिया है, इतना कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में करीब 240 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, “1 से 23 अक्टूबर के बीच तीन राज्यों में ऐसे 14326 केस सामने आए हैं, जिसमें सर्वाधिक 11796 केस पंजाब के और बाकी हरियाणा और उत्तर प्रदेश से संबंधित है”। अगर पिछले वर्ष से तुलना करे तो हरियाणा के 2806 मामलों में से 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है, वहीं उत्तर प्रदेश में मामले 879 से 586 हो चुके हैं, पर पंजाब में ये मामले 4889 से 11796 तक बढ़ चुके हैं”।
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जब विकल्प का प्रश्न उठा, तो काँग्रेस सरकार वहाँ भी फिसड्डी निकली। 23 अक्टूबर तक 27000 मशीन वितरित करने की बात तो छोड़िए, काँग्रेस सरकार पंजाब में मुश्किल से 14000 मशीन ही वितरित कर पाई है, जो हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुकाबले बहुत कम है। आखिर सोनिया गांधी ने ये क्यों नही सुनिश्चित किया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बतौर पंजाब मुख्यमंत्री पराली जलाने के मामलों को कम कराए, ताकि दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई क्षेत्रीय जानलेवा वायु प्रदूषण के प्रकोप से मुक्त रहे? अब यही कारण है कि सोनिया गांधी को दिल्ली छोड़कर फिलहाल के लिए गोवा में शरण लेनी पड़ी है, और यदि वह अब भी नहीं चेती, तो आने वाला समय पंजाब काँग्रेस और काँग्रेस हाइकमान दोनों के लिए हानिकारक होगा।