जब 2016 में रिलायंस कॉर्पोरेशन ने जिओ टेलिकॉम लॉन्च किया था, तब कई लोगों ने इसकी सफलता और इसकी बिजनेस नीति पर संदेह जताया था। इसके अलावा जब जिओ ने अपने डेटा प्लान स्कीम को पेश किया, तो कई लोगों ने जिओ द्वारा मार्केट में एकाधिकार की नीति अपनाने का भी आरोप लगाया था। लेकिन आज स्थिति यह है कि रिलायंस के मुकाबले दूर-दूर तक कोई नहीं खड़ा है, और अब लगता है कि यही नीति रिलायंस के ई कॉमर्स उद्यम यानि जिओ मार्ट में भी उपयोग में लाई जाएगी।
ऐसा हमारा कहना नहीं है, बल्कि जिओ मार्ट की दिवाली को लेकर प्राइसिंग नीति इसकी ओर इशारा करती है. बिजनेस स्टैन्डर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, “जब भारत में शॉपिंग दीपावली के अवसर पर जब अपने चरमोत्कर्ष पे होगी, तो उस समय जिओ मार्ट अपनी अनोखी प्राइसिंग नीति से एमेजॉन और वालमार्ट के स्थानीय यूनिट फ्लिपकार्ट के सेल्स वर्चस्व पर सेंध लगाएगी।”
पर ये संभव कैसे होगा? दरअसल, जिओ मार्ट ने अपने साइट पर उपलब्ध वस्तुओं पे भारी भरकम डिस्काउंट देने शुरू कर दिए हैं, चाहे वह कनफेक्शनरी हो, या फिर नमकीन, बिरयानी मसाला इत्यादि। उदाहरण के लिए यदि कोई बिस्किट का गिफ्ट पैक 300 रुपये में मिलता है, तो जिओ मार्ट पर वह आपको 150 रुपये से भी कम दाम पर उपलब्ध होगा। इसी भांति रिलायंस डिजिटल स्टोर्स में उपलब्ध स्मार्टफोन और अन्य टेक्निकल उत्पाद करीब 40 प्रतिशत छूट के साथ उपलब्ध होंगे।
दरअसल, इसके पीछे रिलायंस उद्योग को मिल रही भारी भरकम निवेश शामिल है। बिजनेस स्टैन्डर्ड की ही रिपोर्ट में आगे बताया गया था, “अपने तकनीकी कंपनी के लिए पूरे 20 बिलियन डॉलर का निवेश अर्जित करने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज ने लोगों को अपने रिटेल विंग में निवेश करने के लिए आकर्षित किया, जिसके चलते उसे KKR एण्ड कंपनी और सिल्वर लेक से पूरे 6 बिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ है। अंबानी के ऑनलाइन सपनों के कारण अब उनकी भिड़ंत सीधा अमेरिकी खिलाड़ियों [एमेजॉन और वालमार्ट] से होगी, जिन्होंने भारत में काफी निवेश किया है।”
विश्व के सबसे बड़े कंज्यूमर मार्केट्स में शामिल भारत में इस समय निवेश के लिए असीमित विकल्प उपलब्ध है। प्रसिद्ध निवेश कंपनी मॉर्गन स्टेनली की माने तो 2026 तक आते आते भारत 200 बिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त करने में सफल रहेगा। जिस प्रकार से रिलायंस जिओ ने कुछ ही वर्षों ने अपने आप को इस मुहाने पर खड़ा कर लिया, कि अब उसे 5 जी तकनीक में एक मजबूत विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है, इसलिए ई कॉमर्स में वर्चस्व जमाए अमेरिकी कंपनियों के लिए आगे की राह बिल्कुल भी सरल नहीं होने वाली।
इसके अलावा रिटेल के क्षेत्र में इस समय रिलायंस क्या, हर भारतीय कंपनी के पौ बारह है – सरकारी नीतियाँ हर तरह से स्थानीय विक्रेताओं को बढ़ावा दे रही है, जिसमें से रिलायंस सबसे बड़ी है। 2018 के अंत से ही भारत के विदेशी निवेश अधिनियमों ने एमेजॉन और वालमार्ट जैसी कंपनियों के लिए ई कॉमर्स में एकाधिकार जमाना लगभग असंभव कर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को किसी भी सुपरमार्केट चेन में 51 प्रतिशत से ज्यादा स्वामित्व रखने का अधिकार नहीं है।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जिओ मार्ट ने अपने आक्रामक प्राइसिंग की नीति से ई कॉमर्स में भी एक धमाकेदार एंट्री की है। जिस प्रकार से वे अपने प्रॉडक्ट्स पर भारी भरकम डिस्काउंट दे रहे हैं, वह इस बात का परिचायक है, कि आने वाला समय भारतीय कंपनियों का है, और रिलायंस उनमें सबसे अग्रणी रहेगा, चाहे कैसी भी चुनौती हो।