दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उदय के साथ बीजेपी की सफलता से उसके अनेकों दुश्मन बन गए हैं। ऐसे में ये दुश्मन अच्छे से जानते हैं कि वो बीजेपी से अकेले तो लड़ ही नहीं सकते इसलिए गठबंधन करना मजबूरी है। कुछ ऐसी ही स्थिति तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की भी बन गई है, जो कि बीजेपी के राज्य में बढ़ते प्रभुत्व से सहम गए हैं। इसी के चलते वो अब वो बीजेपी के खिलाफ गैर-कांग्रेसी महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
अब बनेगा महागठबंधन
बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद देश की राजनीति में इतना ज्यादा बड़ा हो चुका है कि कोई भी नेता उनके सामने अब टिक नहीं पा रहा है। इस स्थिति को देखते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने भाजपा के खिलाफ एक राष्ट्रीय महागठबंधन बनाने की तैयारी की है। इसको लेकर उन्होंने कहा, “मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से लेकर बीजू जनता दल के नेता और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक समेत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल के लेफ्ट मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से महागठबंधन को लेकर बात भी कर ली है।”
केसीआर ने अपने हालिया बयान में बीजेपी को “किसान और जनहित विरोधी पार्टी” बताया है। इसके साथ ही उन्होंने दिसंबर के दूसरे हफ्ते के दौरान हैदराबाद में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन की पहली प्रस्तावित बैठक का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान छेड़ेगी।” उनके ऐलान के मुताबिक उन्होंने उत्तर प्रदेश की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के अखिलेश यादव और मायावती सहित डीएमके नेता स्टालिन से भी महागठबंधन में शामिल होने को लेकर बात-चीत कर ली है।
बर्बाद है कांग्रेस
सभी क्षेत्रीय पार्टियों को उम्मीद रहती है कि बीजेपी के खिलाफ बोलने पर कांग्रेस का साथ तो उन्हें मिल ही जाएगा, लेकिन यहां स्थिति उल्टी ही है, क्योंकि केसीआर ने कांग्रेस को ही आड़े हाथों ले लिया है। उन्होंने कांग्रेस को विपक्ष की विफलता का पर्याय बताया है। उन्होंने कहा, “देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस से उम्मीद थी कि वो बीजेपी के खिलाफ मजबूती से खड़ी होगी, लेकिन वो खुद ही रसातल में जा गिरी है। ऐसे में हम अपना अलग गठबंधन बनाएंगे। बीजेपी और कांग्रेस ने अब देश को कोई सही दिशा नहीं दिखाई है। ये दोनों पार्टियां ही छोटे भाई और बड़े भाई की तरह हो गईं हैं।”
खिसक गई जमीन
कोई भी अचानक अगर केसीआर के इन बयानों को सुने तो असमंजस में पड़ जाएगा कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि ये इतना बौखला गए। असल में केसीआर की राजनीतिक जमीन अब तेलंगाना में खिसक रही है। दुबका विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों के दौरान केसीआर ने सभी तरह के षड्यंत्र रचे, इसके बावजूद बीजेपी उम्मीदवार ने भारी मतों से अपना कब्जा जमा लिया। इस एक उपचुनाव ने ही केसीआर की नींद उड़ा दी है। बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल करने के साथ ही धीरे-धीरे राज्य में अपने राजनीतिक जनाधार को मजबूत करना शुरू कर दिया है और ये केसीआर के पैरों से जमीन के खिसकाने के लिए काफी है।
हैदराबाद में अब जल्द ही महानगरपालिका के चुनाव होने वाले हैं वहीं, 2022 मेॆ विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इन कारकों को देखते हुए बीजेपी ज़मीनी स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए एक-एक बूथ पर कार्यकर्ताओं के साथ अभियान चला रही है। बीजेपी की इस सक्रियता के चलते अब केसीआर परेशान है। इसीलिए उनके दिमाग में अचानक महागठबंधन का प्लान उपजा है। गौरतलब है कि 2019 लोक-सभा चुनाव से पहले भी केसीआर इसी तरह का महागठबंधन बनाकर सामने आए थे और एनडीए सरकार के जाने का दावा ठोंक रहे थे, लेकिन नतीजे आने के साथ ही केसीआर के सारे दावे फुस्स हो गए थे।
केसीआर का अचानक राष्ट्रीय स्तर पर पीएम मोदी और एनडीए के खिलाफ महागठबंधन बनाने का ऐलान उनकी बौखलाहट का संकेत है क्योंकि 2022 में विधानसभा चुनाव और उससे पहले हैदराबाद नगरपालिका के चुनावों में उन्हें बीजेपी के बढ़ते जनाधार से खतरा दिख रहा है और इसीलिए वो एक नए एजेंडे के साथ सामने आए हैं।