BJP ने नीतीश से लिए रोजगार और विकास से जुड़े मंत्रालय, बिहार के अहम मुद्दे भाजपा के जिम्मे

जानिए, अबकी बार किसके-किसके हिस्से है बिहार के विकास की जिम्मेदारी

बीजेपी

बिहार में विधानसभा चुनाव की समाप्ति के बाद अब सरकार का गठन हो चुका है। गठबंधन की पार्टियों के बीच मंत्रियों का भी बंटवारा भी किया जा चुका है। मंत्रियों के विभागों ने भी बता दिया है कि मुख्य मुद्दों पर बीजेपी कितनी संवेदनशील है और इसलिए ऐसे अनेको विभाग बीजेपी के कोटे के मंत्रियों के पास हैं जिनमें वित्त, उद्योग जैसे विभाग शामिल हैं। बीजेपी बिहार के विकास में इन विभागों के जरिए महत्वपूर्ण परिवर्तन की तैयारी में है, जिससे जनहित के मुद्दों पर काम किया जा सके।

बिहार में मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही ये तय हो गया है कि कौन सा विभाग किस के पास होगा। गृह मंत्रालय जैसा अहम विभाग तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पास रखा है, लेकिन बीजेपी के खाते के मंत्रियो के पास ज्यादा अहम विभाग हैं। बीजेपी के कोटे में मंत्री इस बार पहले ही जेडीयू से ज्यादा हैं और इसके साथ ही उनके पास सबसे अहम विभाग हैं। जिनमें वित्त, उद्योग, कृषि, स्वास्थ्य, पीडबल्यूडी, पिछड़ा विकास मंत्रालय शामिल हैं जो कि बिहार के लिहाज से काफी अहम है।

बीजेपी के कोटे से आने वाले उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के पास वित्त विभाग, वाणिज्य, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, सूचना प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन के अलावा नगर विकास एवं आवास विभाग हैं। वहीं दूसरी डिप्टी सीएम रेणु देवी के हिस्से में बिहार के पंचायती राज, पिछड़ा वर्ग एवं अतिपिछड़ा कल्याण के साथ-साथ उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारियां आई हैं। ये सभी विभाग बिहार के विकास के लिए सबसे अहम माने जाते हैं।

इसके अलावा बीजेपी के मंत्रियों के कोटे में अमरेंद्र प्रताप सिंह को कृषि, सहकारिता और गन्ना उद्योग दिया गया है।  बीजेपी के ही रामप्रीत पासवान को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्रालय और जिवेश मिश्रा को श्रम संसाधन, पर्यटन के साथ-साथ खान एवं भूतत्व मंत्रालय दिया गया है। बीजेपी के एक और कैबिनेट मंत्री राम सूरत कुमार को राजस्व एवं भूमि सुधार और कानून मंत्रालय भी दिया गया है।

बिहार चुनाव इस बार कोरोनावायरस के मुद्दे पर भी केन्द्रित रहा है। कोरोनावायरस के लिए विपक्षी पार्टियों ने सरकार के खिलाफ खूब हमलावर रुख अख्तियार किया। बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था से लेकर  चिकित्सा प्रणाली पर सवाल खड़े किए गए। इन सब आरोपों के इतर बिहार ने कोरोनावायरस से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बिहार में कोरोनावायरस से मृत्युदर सबसे कम रही है, जिसके चलते यहां कोरोनावायरस का ग्राफ संयमित रहा है। चिकित्सा विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय के काम काज को देखते हुए ही बीजेपी के कोटे से मंगल पांडे को स्वास्थ्य का जिम्मा एक बार फिर दिया गया है। यहीं नहीं राज्य के विकास कार्यों में महत्वपूर्ण लोक निर्माण और पथ निर्माण विभाग भी बीजेपी नेता मंगल पांडे के पोर्टफोलियो में जोड़े गए हैं।

बीजेपी अच्छे से जानती है कि बिहार में इस बार नीतीश कुमारी को खारिज करते हुए जनता ने उसे जिताया है। ऐसे में जनहित के मुद्दों को सुलझाने की उसकी जिम्मेदारी जेडीयू से ज्यादा ही होगी। बीजेपी का मुख्यमंत्री भले ही न हो लेकिन वो गठबंधन की बड़ी पार्टी है इसलिए नीतीश भी उसके फैसले मानने को मजबूर होंगे। इसलिए बीजेपी ने अधिकतर अहम विभागों पर अपनी पकड़ रखी है, जिससे जनता के मुद्दों को हल किया जा सके।

बिहार में राजस्व को लेकर सबसे ज्यादा उथल-पुथल की स्थिति देखने को मिलती है। भ्रष्टाचार से लेकर राजस्व के सही इस्तेमाल में वित्त मंत्रालय सबसे अहम माना जाता है। बीजेपी की केंद्रीय योजनाओं को भी बिहार में लागू करने के लिए वित्त विभाग की भूमिका सबसे अहम होगी। इसी कारण ये मंत्रालय बीजेपी के पास है।

इसके अलावा इस बार बिहार चुनावों में बेरोजगारी एक सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। लोगों के पास रोजगार न होने की समस्या बीजेपी के लिए भी एक चुनौती थी। विपक्षी नेता ने तो 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का ऐलान भी किया था। जवाब में बीजेपी भी 19 लाख रोजगार देने का वादा कर चुकी है। ऐसे में अपने कोर एजेंडे को पूरा करने और जनता के विश्वास पर खरा उतरना बीजेपी के लिए जरुरी है जिसके चलते उद्योग समेत नगर विकास और अधारभूत ढांचे से जुड़े मंत्रालय बीजेपी ने अपने पास रखे हैं।

बीजेपी ने बिहार कैबिनेट में अपने लिए सबसे महत्वपूर्ण विभाग चुने हैं जिससे वो अपने कोर एजेंडे के आधार पर काम कर सके। वहीं गृह विभाग के जरिए अपराध नियंत्रण करना तो सीएम नीतीश की अहम जिम्मेदारी होगी ही, जिसका उन्हें सही तरीके से निर्वहन करना ही होगा।

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