करोड़ो कमाने वाले एमेजॉन पर 25,000 का जुर्माना नहीं, 7 दिन का बैन लगाओ: CAIT

आप क्या सोचते हैं?

भारत में एमेजॉन व्यापार के नाम पर किस प्रकार से मनमानी कर रहा है, ये किसी से नहीं छुपा है। परंतु केंद्र सरकार जो एक्शन ले रही है, वो कार्रवाई कम और मज़ाक ज्यादा प्रतीत हो रहा है। हाल ही में नियमों का उल्लंघन करने के लिए केंद्र सरकार ने एमेजॉन पर पेनाल्टी लगाई, जिसको लेकर CAIT ने भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है।

पर ये मुद्दा है क्या, और आखिर क्यों केंद्र सरकार द्वारा पेनाल्टी लगाए जाने के बाद भी उसे आलोचना का सामना करना पड़ रहा है? दरअसल, केंद्र सरकार ने ये अवश्यंभावी कर दिया था कि ई कॉमर्स साइट्स अपने विभिन्न उत्पादों के उत्पादन देश के बारे में जानकारी साझा करें। परंतु लाख बातचीत के बावजूद ई कॉमर्स वेबसाइट एमेजॉन ने केंद्र सरकार के इस निर्देश का पालन नहीं किया।

इसी बात पर केंद्र सरकार ने एक्शन लेते हुए एमेजॉन पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया, लेकिन ये तो ऊंट के मुंह में जीरा सिद्ध हुआ। एक विश्वप्रसिद्ध एमएनसी पर यदि आप इतना छोटा जुर्माना लगाएंगे, तो आपकी वाहवाही तो नहीं होगी, और एमेजॉन कोई इतनी बड़ी शक्ति तो है नहीं जो वह कुछ भी करे और ऐसे छोटे मोटे पेनाल्टी से बचकर निकल जाए।

केंद्र सरकार के इस निर्णय की आलोचना होनी भी चाहिए और वह हुई भी। भारत के सबसे बड़े व्यापार संगठन, Confederation of All India Traders यानि CAIT ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इस पेनाल्टी को अपर्याप्त बताया। CAIT के आधिकारिक बयान के अनुसार, “जो जुर्माना एमेजॉन जैसी कंपनी पर लगाया गया है, वो काफी नहीं है। कोई मज़ाक चल रहा है यहाँ? इसका [जुर्माने का] कोई औचित्य नहीं है, और एमेजॉन जैसी कंपनियों पर ऐसे किसी भी नियम का उल्लंघन करने के लिए कुछ नहीं तो कम से कम 7 दिन का प्रतिबंध तो लगना ही चाहिए। एक आदर्श उदाहरण स्थापित करना बहुत आवश्यक है”।

CAIT का ये विचार गलत भी नहीं है, क्योंकि अब एमेजॉन से सख्ती से पेश आने का समय आ चुका है। निस्संदेह ये आवश्यक है कि विदेशी निवेश पर कोई अनावश्यक रोक न लगे, लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं है कि विदेशी निवेश को आने देने के नाम पर कोई भी विदेशी कंपनी अपनी मनमानी करे। एमेजॉन जिस प्रकार से अपनी मनमानी कर रहा है, वो काफी चिंताजनक है, और अब स्थिति यह हो चुकी है की वह कथित तौर पर भारतीय कंपनियों के बीच हो रहे व्यापार समझौतों में भी हस्तक्षेप कर रहा है।

यदि आपको विश्वास नहीं है तो एक बार रिलायंस बनाम एमेजॉन के मुद्दे पर ध्यान दीजिए। फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के बीच का सौदा रद्द कर एमेजॉन रिलायंस को रिटेल क्षेत्र में अपना वर्चस्व जमाने से रोकना चाहता है। आज भी ऐसे कई लोग हैं, जो ऑनलाइन शॉपिंग न करके दुकानों पर जाना पसंद करते हैं। यदि रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच की डील सुनिश्चित हुई, तो एमेजॉन का भारत में वर्चस्व जमाने का सपना हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। स्वयं रिलायंस का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता हरीश सालवे ने पूछा, “एमेजॉन का फ्यूचर रिटेल में कोई निवेश नहीं है। अब रिलायंस यदि फ्यूचर ग्रुप से कुछ डील करना चाहता है, तो क्या अमेरिका में बैठे बिग ब्रदर से परमीशन लेनी पड़ेगी? एक विदेशी कंपनी को भारत के कंपनी के बिजनेस डीलिंग्स कंट्रोल करने का अधिकार किसने दिया है?”

सच कहें तो केंद्र सरकार ने आधे अधूरे मन से एमेजॉन पर कार्रवाई की है, जो बिल्कुल भी सही नहीं है। सरकार को CAIT के सुझावों पर काम करते हुए एक ऐसा उदाहरण पेश करना चाहिए जिससे एमेजॉन जैसे हठी कंपनियों को एक कड़ा सबक मिले।

 

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