चीन और उसका मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने में हर बार अपने विवेक को किनारे कर लेते हैं। ऐसे ही एक नए एजेंडे के साथ ग्लोबल टाइम्स ने भारत को डराने की नीति अपनाई है कि जिस तरह से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस इंडो पैसेफिक में दस्तक दे रहे हैं, उससे भारत की मुसीबतें बढ़ेंगी। जबकि सच ये है कि इंडो पैसेफिक में दस्तक देने वाले सभी देश चीन के खिलाफ उतरे हैं और चीन इससे डरा हुआ है। इसलिए वो भारत का नाम केवल इस मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कर रहा है।
दरअसल, चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने फूडन विश्व विद्यालय के दक्षिण एशियाई कूटनीति के प्रोफेसर Lin Minwang के विश्लेषण के हवाले से भारत को चेताने की कोशिश की है कि जिस तरह से इंडो पैसेफिक क्षेत्र में अमेरिका ने दस्तक दी है वो भारत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ग्लोबल का टाइम्स का कहना है कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने हाल ही में इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अधिक सैन्य तैनाती की बात कही है और अब मालदीव के में एक दूतावास भी खोलेगा। मालदीव के भारत के साथ रिश्ते काफी समय से ज्यादा खास नहीं रहे हैं। इसीलिए अमेरिका ने इसे अपने सैन्य बेस के रूप में इस्तेमाल करने क रणनीति बनाई है।
इसके साथ ही चीन ने ऑस्ट्रेलिया के साथ भी भारत के रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए है, ग्लोबल टाइम्स का लेख कहता है कि ऑस्ट्रेलिया भारत-चीन सीमा विवाद पर भारत के साथ खड़ा है, और उसके भी सैन्य बेड़े इडो-पैसेफिक क्षेत्र में आ रहे हैं। इसके साथ ही चीन ये शक भी जता रहा है कि ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ नहीं है। चीन का मानना है कि भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे हैं।
ग्लोबल टाइम्स हाल के विदेश मंत्री ने Marise Payne के बयान का हवाला देकर बता रहा है कि चीन के ऑस्ट्रेलिया के साथ रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं। दरअसल, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री ने अपने उस बयान में कहा था कि वो चीन के साथ अपने रिश्तों को महत्व देते हैं और उनकी इन रिश्तों को खराब करने की कोई मंशा नहीं है।
इस मामले में चीन का कहना है कि भारतीय समुद्र क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया की भी महत्वकाक्षाएं हैं। ऐसी स्थिति में ऑस्ट्रेलिया भारत के सामने एक मुश्किल चुनौती पेश करेगा, जिससे भारत को घाटा होगा। चीन ने अपने पूरे विश्लेषण के जरिए बताया है कि इस पूरे खेल में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत का प्रयोग केवल चीन के खिलाफत के लिए कर रहा है, और ये अमेरिका की एक शातिर चाल है।
अपने लेखों के जरिए ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि इन सभी देशों का इंडो पैसिफिक क्षेत्र में आना भारत के लिए ननुकसान दायक होगा। असल में चीन का ये प्रोपेगेंडा हमेशा की तरह ही झूठ से भरा है। दरअसल, ये सभी देश चीन के खिलाफ हैं। भारत के सीमा विवाद के मुद्दे पर सभी भारत के साथ खड़े हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले भारत दौरे पर आ अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भी भारत के पक्ष में ही बयान दिया था।
ऑस्ट्रेलियाई सरकार भी चीन के खिलाफ हमला बोल चुकी है कि वहां उइगर मुस्लिमों के साथ ही हांग-कांग के नागरिकों के साथ अत्याचार कर रही है। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया चीन के साथ अपने रिश्तों को आर्थिक हितों से इतर महत्व दे रहा है। ऑस्ट्रेलिया चीन के साथ अपने रिश्तों को आर्थिक रिश्तों से इतर महत्व दे रहा है। उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ रहा कि उस पर चीन प्रतिबंध लगा रहा है क्योंकि क्वाड के तीनों देश भारत, जापान अमेरिका चीन के लिए मुसीबत बने हैं।
चीन इस वक्त क्वाड के इन देशों के अलावा जर्मनी के इंडो पैसेफिक में आने से डरा हुआ है और वो इसीलिए भारत के खिलाफ ऐसे लेख लिखकर बयानबाजी कर रहा है जिससे अपने ऊपर टिकी वैश्विक नजरों को चीन की तरफ मोड़ा जाए।