‘वह नास्तिकता का ढोंग करता है, ‘दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में इस्लामिस्ट उमर खालीद को लताड़ा

दिल्ली

कुछ लोग मौकापरस्ती के अनुसार इतनी जल्दी खुद को बदलने में माहिर होते हैं कि उनकी शातिर हरकतें गिरगिट को भी शर्म आ जाये। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की चार्जशीट के अनुसार दिल्ली दंगों का मास्टर माइंड और जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने वाले पूर्व छात्र उमर खालिद केवल नास्तिक होने का ढोंग करता है, परंतु वह कट्टर मुस्लिम है। गौर करें तो उमर खालीद की हरकतें भी कुछ ऐसी ही हैं जो वामपंथियों की संगत में तो खुद को बहुत बड़ा नास्तिक और प्रगतिवादी बताता है लेकिन दंगों के दौरान इस्लामिक कट्टरता का चोला ओढ़ लेता है। ये बात किसी काल्पनिकता के आधार पर नहीं गढ़ी गई है, बल्कि इसके सबूत उसके खिलाफ दायर दिल्ली दंगों की चार्जशीट में ही मिलते हैं।

मास्टरमाइंड दंगाई

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जेएनयू के पूर्व छात्र और वामपंथी उमर खालिद को दिल्ली के जाफराबाद और जामिया नगर में हुए दंगों का मास्टरमाइंड बताया है। पुलिस की चार्जशीट कहती है, साल 2016 में देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू में देश विरोधी नारे लागाने वाला उमर खालिद 2020 आते-आते इतना ज्यादा आगे निकल गया, कि एक आतंकी की तरह दंगे जैसी साजिशों को अंजाम देने लगा है।” चार्जशीट में बदले हुए उमर खालिद के नए नारे ‘तेरा मेरा रिश्ता क्या है ला इलाहा इलल्लाह’ का भी जिक्र है, जो कि उसकी कट्टरता की हद को प्रदर्शित करता है।

दिल्ली दंगों की चार्जशीट में कहा गया है कि देश के टुकड़े-टुकड़े करने की बात करने वाला उमर खालिद 2020 में ‘उम्मा’ की जमीन तैयार करने लगा था। उसने दिल्ली के जाफराबाद और जामिया नगर में सीएए कानून के विरोध की आड़ में दंगे भड़काने की पूरी प्लानिंग की थी। सीलमपुर में दंगाइयों के साथ बैठकों की तस्वीरों को प्रदर्शित करते हुए चार्जशीट में उमर खालिद को रिमोट कंट्रोल के जरिए दंगा मॉनिटर करने का आरोपी बताया गया है। चार्जशीट में ये भी बताया गया है कि अपनी प्लानिंग के तहत खुद को बचाने के लिए खालिद एक दिन पहले ही 23 फरवरी को बिहार के समस्तीपुर चला गया था, और वहीं से वाट्सएप ग्रुप के जरिए पूरे दंगे की मॉनिटरिंग कर रहा था।

केस चलाने के पर्याप्त दस्तावेज

दिल्ली दंगों के इस मास्टरमाइंड के खिलाफ ज़ारी हुई चार्जशीट को लेकर दिल्ली की कड़कड़डुमा अदालत ने कहा, चार्जशीट के अनुसार जो आरोप खालिद और उसके साथी शरजील इमाम पर लगाए गए हैं, उनके दस्तावेज इन दोनों के खिलाफ केस चलाने के लिए पर्याप्त है। गौरतलब है कि कोर्ट की ये ऑब्जर्वेशंन दिखाती हैं कि खालिद पर लगे आरोप कितने ज्यादा संगीन हैं।

इस्लाम के नाम पर भड़काया   

चार्जशीट में उमर खालिद की कट्टरता का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया कि उमर खालिद ने अपने राजनीतिक कौशल का बखूबी इस्तेमाल किया है और खालिद ये जानता था कि “भारतीय मुसलमान इस्लाम की विकृत परिभाषा को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।” चार्जशीट में खालिद द्वारा दंगों के लिए उपयोग किए गए रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को लेकर कहा गया, रोहिंग्या और बांग्लादेशी आप्रवासी मुस्लिमों को देश की राजधानी में बसाकर उनकी आर्थिक स्थिति का फायदा उठाते हुए दंगों में खालिद द्वारा उनका इस्तेमाल किया गया।

दोगलेपन की पराकाष्ठा

पुलिस की स्पेशल सेल की चार्जशीट में कहा गया, खालिद ने पैन इस्लामिक अभियान के तहत लोगों को उकसाया और झूठी खबरों को प्रचारित किया जिससे लोगों का सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़े और उसी के चलते सरकार विरोधी हिंसक दंगे हुए।” पुलिस ने उमर खालिद की दोगलेपन की विचारधारा को लेकर कहा कि वो दोनों विरासत को लेकर चल रहा है। पुलिस ने कहा, खालिद अपने पिता की विरासत के तौर पर इस्लामिक विचारधारा लेकर चल रहा है तो दूसरी ओर खुद को राजनीतिक रुप से आगे बढ़ाने और वामपंथी दिखाने की दिशा में भी लगा हुआ है जो कि योगेंद्र यादव की नीतियों से मिलता जुलता है।”

जेएनयू का ये वामपंथी छात्र वैसे तो खुद को एक नास्तिक बताते हुए प्रगतिशील विचारधारा वाला वामपंथी होने का ढोंग करता है, लेकिन दंगों के वक्त इसकी विचारधारा किसी कट्टर इस्लामिक विचारधारा वाले शख्स से भी आगे निकल जाती है और दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में उसके खिलाफ दायर किए गए आरोप इस बात का लिखित प्रमाण भी है, जिसे कोर्ट ने भी संगीन मानते हुए केस चलाने की बात कह दी है।

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