चीन एक ऐसा देश है जो दिखावा कर या प्रोपोगेंडा कर अपना काम निकालने में रहता है, जबकि वास्तविकता एकदम भिन्न होती है। यही हाल लद्दाख क्षेत्र में LAC पर तैनात किए गए चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की है। चीन अपनी सेना को लेकर झूठी शान बघारते रहता है, जबकि सच्चाई यह है कि उसके सैनिक लद्दाख में ठंड से मरने के कगार पर हैं। यानि यह कहें कि CCP अपनी आक्रामकता दिखाने के लिए LAC पर PLA को ठंड से मार देना चाहती है तो यह गलत नहीं होगा।
कुछ दिनों पहले तक तो चीन ने अपनी सेना को दिये जा रहे खाने और कपड़े को लेकर कई प्रोपोगेंडा वाले वीडियो पोस्ट की, लेकिन वास्तविकता यह है कि चीनी सैनिकों के पास 11 हजार फुट पर ठंड को सहने वाले गरम कपड़े भी नहीं है।
जब मई 2020 में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में तनाव शुरू हुआ था तब चीन को लगा था कि भारत आसानी से पीछे हट जाएगा और उसे भारत की जमीन को हड़पने का मौका मिलेगा। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं और भारतीय सेना चीन को मुंहतोड़ जवाब देते हुए सिर्फ डटें हुए नहीं रहे बल्कि चढ़ाई भी शुरू कर दी, जिससे वे रणनीतिक रूप से बढ़त की स्थिति में आ गए।
भारतीय सेना की कार्रवाई, खास कर गालवान में और पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे एक्शन ने वहाँ तैनात PLA को बैकफुट पर धकेल दिया, जिससे चीनी सैनिकों को उस दुर्गम इलाके में ठंड का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
भारतीय सेना विश्व की एक मात्र ऐसी सेना है, जिसे किसी भी मौसम में डटें रहने की ट्रेनिंग रहती है लेकिन चीनी सेना के ढुलमुल नन्हें राजकुमारों को न तो तिब्बती पठार के ठंड का अनुभव है और न ही उन्हें उस प्रकार के कपड़े मिल रहे हैं।
कई रिपोर्ट के अनुसार PLA सैनिकों को खराब गुणवत्ता वाले कपड़ों और आवास के साथ शून्य से नीचे के तापमान में जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। PLA कमांडरों को न तो 11000 फुट की ऊंचाई में तैनाती में कोई पूर्व अनुभव है और न ही सर्दियों के मौसम में इस ऊंचाई पर पड़ने वाली ठंड का। उन्होंने शुरुआत में ही स्थानीय कपड़े निर्माताओं को लद्दाख क्षेत्र में तैनात अपने सैनिकों के लिए सर्दियों के कपड़े बनाने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन जब उनके सर्दियों के किट आए तो वह सिर्फ सामान्य ऊंचाई 9000 फुट के लिए बने थे, जबकि भारत के साथ तनाव के कारण अभी उन्हें 11000 फुट पर रहना पड़ रहा है। पूरे पीएलए में युद्ध के अनुभव की इतनी कमी है कि उनके कमांडरों और उनके राजनीतिक आकाओं को 12,000 फीट से अधिक ऊंचाइयों का एहसास नहीं हुआ जो 9,000 फीट तक की सामान्य ऊंचाई पर किसी भी ऑपरेशन करने से बिल्कुल अलग होता है।
चीनी कम्युनिस्ट प्रोपोगेंडे के हिस्से के रूप में, ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सैनिकों को प्रदान किए जा रहे नए विकसित सर्दियों के कपड़ों को प्रदर्शित करते हुए कई वीडियो जारी किए। यह सब सिर्फ अपनी छवि सुधारने के लिए ही था, न कि सैनिकों की सुरक्षा के लिए। चीन अपनी आक्रामकता दिखाने के लिए और विश्व को एक मजबूत देश के रूप में पेश करने के लिए अपने सैनिकों की बलि भी चढ़ाने से पीछे नहीं हट रहा है।
जैसे ही लद्दाख क्षेत्र में तापमान शून्य से 20 डिग्री नीचे आया, वैसे ही चीनी सेना में आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए लगी लाइन को भी देखा गया है। रिपोर्टों से पता चलता है कि हेलीकॉप्टर और स्ट्रेचर के माध्यम से पीएलए सैनिकों को दैनिक आधार पर वापस ले जाते हुए देखा गया है।
जिस तरह से नेपोलियन ने अपनी सेना को रूस को जीतने के लिए सर्दी में ही आगे बढ्ने के लिए विवश कर दिया था, आज उसी मानसिकता के साथ आज CCP अपने सैनिकों को लद्दाख की ठड़ और ऊंचाई पर तैनात कर उन्हें मारने का प्रबंध कर चुकी है, जिसका उन्हें जरा भी अनुभव नहीं है।