लगभग छह महीनों से पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन में तनातनी व्याप्त है। लेकिन भारत केवल रक्षात्मक मोर्चे पर ही चीन की नाक में दम नहीं कर रहा, बल्कि उसने आर्थिक मोर्चे पर भी चीन के रातों की नींद हराम दी है, और चीनी एप्स पर प्रतिबंध के रूप में उसे एक ऐसा ब्रह्मास्त्र मिल है, जिससे वो चीन को काफी समय तक परेशान कर सकता है, वो भी बिना कोई गोली चलाए।
जब से गलवान घाटी के हमले के परिप्रेक्ष्य में 29 जून को 59 चीनी एप्स पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया था, तब से अब तक चीन के 267 मोबाइल आधारित एप प्रतिबंधित किए जा चुके हैं, जिनमें प्रमुख तौर पर टिक टॉक, शेयर इट, UC ब्राउजर, अली एक्सप्रेस जैसे चर्चित एप भी शामिल हैं।
इसके पीछे केंद्र सरकार का एक सधा हुआ खेल है। अपने आईटी अधिनियमों का बेहतरीन सदुपयोग करते हुए केंद्र सरकार कागजी ड्रैगन को उसकी औकात बता रही है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार चीनी एप्स की ऐसी कोई सूची नहीं है जिसे एक ही झटके में समाप्त किया जा सके। इसीलिए सरकार उन एप्स पर निशाना साध रही है, जो चर्चित भी हैं, और जिन्हें सबसे ज्यादा डाउनलोड भी किया जाता हो।
जैसे ही इन एप्स को चिन्हित किया जाता है, उनकी पहले कड़ी निगरानी की जाती है। तद्पश्चात उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाती है। ये निगरानी की प्रक्रिया निरंतर और निर्बाध होनी चाहिए, क्योंकि प्रतिबंधित एप कई रास्तों के जरिए मार्केट में दोबारा प्रवेश करने की ताक में लगे रहते हैं।
ऐसे में इकट्ठे सभी चीनी एप्स पर प्रतिबंध न लगाकर भारत ने निरंतर आर्थिक मोर्चे पर चीन के लिए स्थिति बद से बदतर कर दिया है। चाहे सर्च इंजन बाईडु हो, या फिर प्रसिद्ध खेल पबजी का मोबाइल वर्जन, भारत ने किसी भी चीनी एप को कहीं का नहीं छोड़ा है। एक-एक करके एप्स पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया इसलिए भी अहम है क्योंकि जब तक चीन इसके विरोध में कोई काम करेगा, तब तक प्रतिबंध काफी हद तक अपना प्रभाव जमा लेगा। इसके अलावा आईटी एक्ट की धारा 69 ए सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किसी एप के विरुद्ध कार्रवाई करने की पूरी स्वतंत्रता देता है।
इसके अलावा एप पर प्रतिबंध लगाने की दृष्टि से किसी विशेष परमीशन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती, और एप पर प्रतिबंध के अधिनियम ऐसे हैं कि एप निर्माताओं को अंतरिम राहत भी नहीं मिल सकती। ज्यादा से ज्यादा वे सरकार के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं, जिसपर वो जांच पड़ताल बिठाती है, परंतु जब तक राहत मिलेगी, तब तक या तो केस बंद हो जाता है, या फिर एप ही समाप्त हो जाता है।
अब तक एप्स को चार फेज में प्रतिबंधित किया जा चुका है, और अभी पहले दौर में प्रतिबंधित एप्स को ही कोई राहत नहीं मिली है। चूंकि, अभी भारत और चीन के बीच सीमा तनाव में कमी होने की कोई आशंका नहीं है, इसलिए चीनी एप्स पर प्रतिबंध के जरिए ही चीनी प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है, और जिस प्रकार से इन प्रतिबंधों ने चीन को बेचैन करके रखा है, उससे भारत को निस्संदेह काफी लाभ मिल रहा है।