White House में बाइडन के प्रवेश की खबर आने के साथ ही अब हर किसी के मन में यही सवाल खड़ा हो रहा है कि Quad को लेकर बाइडन प्रशासन के रुख में क्या बदलाव आ सकता है? Quad सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि जापान, ऑस्ट्रेलिया और खुद अमेरिका की वैश्विक राजनीति के केंद्र में है। ट्रम्प प्रशासन के समय अमेरिका ने Quad के माध्यम से ही विश्व की राजनीति पर अपना दबदबा कायम रखने की रणनीति बनाई थी। हालांकि, अब बाइडन के सत्ता में आने के बाद चीज़ें बदलती दिखाई दे रही हैं। जापान और भारत, दोनों यह संदेश दे चुके हैं कि अगर अमेरिका की ओर से चीन के खिलाफ आक्रामकता दिखाने में कोई आनाकानी की जाती है, तो ये दोनों देश Quad में मुख्य भूमिका निभाने से परहेज़ नहीं करेंगे।
ASEAN और पूर्वी एशियाई देशों में अब जापान और भारत ने अपनी कूटनीति को और तीव्र कर दिया है। जापान जहां एक तरफ उत्तर और दक्षिण कोरिया के साथ रिश्ते सामान्य करने पर ध्यान दे रहा है, तो हाल ही में फिलीपींस के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर भारत भी ASEAN पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश करता दिखाई दे रहा है। उदाहरण के लिए बीते मंगलवार को जापानी प्रधानमंत्री सुगा ने दक्षिण कोरिया के एक उच्चाधिकारी से बात कर आपसी मतभेद सुलझाने का आह्वान किया।
दरअसल, हाल ही में कोरिया की अदालत ने World War 2 में जापान द्वारा कोरिया के मजदूरों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले में जापानी सरकार को मुआवज़ा देने का फैसला सुनाया है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव देखने को मिला है। हालांकि, सुगा ने अब समझौते की बात कर यह जता दिया है कि वे अपनी कूटनीति और सुरक्षा नीति का सारा ध्यान सिर्फ चीन पर ही केन्द्रित करना चाहते हैं और वे जल्द से जल्द अपने बाकी पड़ोसियों के साथ संबंध बेहतर करना चाहते हैं! जून महीने में जापान के विदेश मंत्री ने Mongolia का भी दौरा किया था, जो दिखाता है कि चीन के उत्तरी और पूर्वी मोर्चे पर जापान चीन की मुश्किलें बढ़ाने के लिए पुरजोर मेहनत कर रहा है।
यह बात गौर करने वाली है कि पिछले महीने ही जापान के नए PM सुगा ने अपना पहला आधिकारिक विदेशी दौरा ASEAN देशों में ही किया था, जहां उन्होंने वियतनाम और इंडोनेशिया के नेताओं के साथ मिलकर क्षेत्र की सुरक्षा को मज़बूत करने से जुड़े कई कदम उठाने का ऐलान किया था। जापान पिछले कुछ समय से अपनी कूटनीति का सारा ध्यान ASEAN और कोरियन प्रायद्वीप पर लगा रहा है, जिसपर बाइडन के आगमन का कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
अब भारत की बात करते हैं। बीते शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और फिलीपींस के विदेश मंत्री ने एक बैठक के बाद आपसी सम्बन्धों को एक नया आयाम देने का संकल्प लिया। दोनों देशों ने सुरक्षा, मिलिट्री ट्रेनिंग, शिक्षा और हथियारों की खरीद के मामले में सहयोग को बढ़ाने की बात कही। साफ है कि भारत फिलीपींस के साथ नजदीकी बढ़ाकर क्षेत्र में चीन के लिए मुश्किलें पैदा करना चाहता है। फिलीपींस ने हाल ही में दक्षिण चीन सागर में अपनी ओर से “drilling” करने पर पाबंदी हटाने का भी फैसला लिया है, जिसके बाद इस बात की संभावना भी बढ़ गयी हैं कि भारत और फिलीपींस भविष्य में साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में Joint Exploration कर सकते हैं।
जापान और भारत, अमेरिका के बाद Quad के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य हैं। बाइडन के नेतृत्व में अमेरिका चाहे दक्षिण चीन सागर और Quad के मामलों में दिलचस्पी लेना कम कर दे, लेकिन जापान और भारत अपने चीन विरोधी एजेंडे पर कायम रहेंगे! भारत और जापान की सक्रिय भागीदारी के कारण बाइडन के लिए भी Quad से अपने हाथ पीछे खींचना इतना आसान नहीं रहने वाला। अगर बाइडन Quad को डंप करने का सोचते भी हैं तो इसके कारण अमेरिका-भारत और अमेरिका-जापान के रिश्तों में तनाव देखने को मिल सकता है, जो किसी भी सूरत में अमेरिका के हित में नहीं है। ऐसे में बाइडन के आने के बाद अब QUAD की ड्राइविंग सीट पर भारत और जापान बैठ सकते हैं और ऐसी स्थिति में बाइडन के पास भी इन देशों का साथ देने के अलावा कोई और चारा नहीं होगा!