अपने दो दिवसीय बंगाल दौरे से अमित शाह ने सियासी खेमे में हलचल मचा दी है। अब बिहार राज्य का चुनावी परिणाम चाहे जो हो, इतना स्पष्ट हो चुका है कि बंगाल चुनाव के प्रचार अभियान अनाधिकारिक रूप से आरंभ हो चुका है, और वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह बंगाल को ममता बनर्जी के चंगुल से मुक्त कराने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। इसीलिए उनका ममता बनर्जी को संदेश स्पष्ट है– जिसको हँसना है हँसे पर अब मुस्कुराने की बारी हमारी है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, “हमारा लक्ष्य है एक सशक्त बंगाल को प्रगति के पथ पर आगे ले जाना, परंतु ममता बनर्जी का लक्ष्य है अपने भतीजे को अगला मुख्यमंत्री बनाना। वे सभी पैमानों पर असफल सिद्ध हुई है, और उन्होंने कई झूठे वादे किए। जब जय श्री राम और भारत माता की जय के नारे लगे, तो ममता क्रोधित हुई!”
लेकिन अमित शाह वहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “तुष्टीकरण ने सभी सीमाएँ लांघ दी है। अब तक आपने 2018 के बाद राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो को अपने क्राइम रिकॉर्ड क्यों नहीं दिए हैं? क्या छुपा रही हैं आप?”
इसके पश्चात जब पूछा गया कि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा की क्या संभावना है, तो अमित शाह ने कहा, “इस बार विधानसभा चुनावों में हम 200 से भी ज्यादा सीटें जीतेंगे। आप में से कई मुस्कुराये थे जब पिछली बार हमने 22 सीटों तक [लोकसभा चुनाव में] जीतने का दावा किया था। अब मुस्कुराने की बारी हमारी है।”
जब अमित शाह ये दावा करे कि वे किसी राज्य में इतनी सीटें जीतने वाले हैं, तो वे निस्संदेह उसे पूरा करके ही दिखाते हैं। पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में अमित शाह ने दावा किया था कि भाजपा अप्रत्याशित प्रदर्शन करेगी और लोकसभा चुनाव में 2014 से कई गुना बेहतर प्रदर्शन करके दिखाएगी। इस बात के भय से ही ममता बनर्जी ने चुनाव के दौरान अपने गुंडों को सक्रिय कर दिया, जिन्होंने जमकर उत्पात मचाया। लेकिन इतनी हिंसा और उत्पात के बावजूद भाजपा न केवल 18 सीटों पर विजयी रही, अपितु काँग्रेस और सीपीआई [एम] को पछाड़कर उसने राज्य में प्रमुख विपक्ष का दर्जा भी प्राप्त किया।
भारत में बंगाल, आतंकियों, गुंडों, बलात्कारियों, भ्रष्टाचारियों इत्यादि के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। जो भी ममता की नीतियों का विरोध करता है, उसे बुरी तरह मौत के घाट उतारा जाता है, जैसा कि पिछले 3 वर्षों में अनेकों भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ किया गया है।
लेकिन अमित शाह भी हार मानने को तैयार नहीं है। उन्होंने ठान लिया है कि जैसे यूपी और त्रिपुरा जैसे राज्यों को ऐसे पार्टियों के चंगुल से मुक्त किया था, वैसे ही वह बंगाल को भी तृणमूल काँग्रेस के प्रकोप से मुक्त कर देंगे।
इतना ही नहीं, अमित शाह इसके लिए हरसंभव तैयारी भी कर रहे हैं। चुनाव प्रचार में अपनी बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने बांग्ला भाषा भी सीखनी शुरू कर दी है, ताकि ममता के खोखले दावों को उन्ही की भाषा में जवाब दिया जाए। अमित शाह ये भली-भांति जानते हैं कि ममता बनर्जी किस हद तक अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गिर सकती हैं, इसलिए उन्होंने संकेत भी दिए हैं कि यदि ममता बनर्जी ने उचित माहौल नहीं बनाया, तो वह चुनाव को सुचारु रूप से कराने हेतु राष्ट्रपति शासन भी लगवा सकते हैं।
सच कहें तो अपने वर्तमान बयान से अमित शाह ने बंगाल चुनाव का शंखनाद कर दिया है। उनका रुख स्पष्ट है – जब तक बंगाल में भाजपा सत्ता में नहीं आएगी, तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे। उन्होंने अपने बयान से ममता के साथ-साथ पूरे बंगाल को संदेश दिया है – बंगाल, हम आ रहे हैं।