योगी सरकार ने नोएडा में एक और फिल्म सिटी खोलने की घोषणा क्या की, मानो देश भर में भूचाल सा आ गया। योगी आदित्यनाथ ने जिस प्रकार से नोएडा में भारतीय ‘फिल्म उद्योग’ को एक नई दिशा देने के लिहाज से फिल्म सिटी के निर्माण की पेशकश की, उसपर अब जाकर उद्धव ने अपना मुंह खोला है। लेकिन उनकी प्रतिक्रिया देखके तो ऐसा लगता है मानो उन्होंने ये बात कहने में बहुत देर कर दी है।
एक वेबिनार में महाराष्ट्र के मनोरंजन उद्योग के बारे में बातचीत के दौरान उद्धव ठाकरे के बयान के अनुसार, “ऐसा कहा जा रहा है कि मुंबई के फिल्म उद्योग को उत्तर प्रदेश में स्थानांतरित किया जाएगा। हम भी देखते हैं, उनमें कितना दम है। हम गुणवत्ता और आधुनिक प्रोडक्शन सुविधाओं से कोई समझौता नहीं करेंगे।” इसी वेबिनार के दौरान उद्धव ठाकरे ने फिल्म उद्योग से संबंधित लोगों से गुजारिश की, कि वे फिल्म इन्फ्रस्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करे, ताकि वुहान वायरस से उभरने के बाद महाराष्ट्र के फिल्म उद्योग को कम से कम नुकसान हो।
पर योगी आदित्यनाथ ने फिल्म सिटी पर ऐसा क्या कहा, जिसके कारण उद्धव ठाकरे इतनी बुरी तरह बौखलाए हुए हैं? दरअसल सितंबर माह के अंत में दरअसल उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऐलान किया कि यूपी में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे के क्षेत्र के आस-पास एक बड़ी फिल्म सिटी बनने की संभावना है क्योंकि ये जगह उसके लिए उपयुक्त है। वर्तमान परिस्थितियों में देश को एक अच्छी फिल्म सिटी की आवश्यकता है। योगी ने कहा, “प्रदेश यह जिम्मेदारी को लेने के लिए तैयार है। हम एक उम्दा फिल्म सिटी तैयार करेंगे। फिल्म सिटी के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे का क्षेत्र बेहतर होगा। यह फिल्म सिटी फिल्म निमार्ताओं को एक बेहतर विकल्प उपलब्ध कराएगी। इसके साथ ही, रोजगार सृजन की दृष्टि से भी ये अत्यंत सकारात्मक प्रयास होगा।”
इसी को कहते हैं, अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत। उद्धव ठाकरे अपने घमंड में ये भूल रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ ने फिल्म सिटी की पेशकश भारतीय फिल्म उद्योग को एक नया मंच प्रदान करने के उद्देश्य से दी थी, मुंबई के फिल्म उद्योग को ध्वस्त करने के उद्देश्य से नहीं। लेकिन जब आपके विरोधी आपकी योजना से तब डरें, जब वे आपके निशाने पर ही न हो, तो आप समझ जाइए कि आप सही दिशा में जा रहे हैं।
दरअसल, उत्तर प्रदेश 2000 के प्रारंभ से ही फिल्म शूटिंग के लिए एक लुभावने डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है, लेकिन 2015 के बाद से यहाँ कई फिल्म निर्माता फिल्में बनाने के लिए बेहद इच्छुक हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने इस दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने जब फिल्म सिटी बनाने की योजना साझा की, तो उनका उद्देश्य स्पष्ट था – भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक बेहतरीन विकल्प प्रदान करना, जहां किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
लेकिन उद्धव ठाकरे ने इसे अपने स्वाभिमान पर लेते हुए योगी सरकार को निशाना बनाने का प्रयास किया, जो कि न केवल हास्यास्पद है, बल्कि बेतुकी प्रतिक्रिया है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ से इस विषय पर भिड़ने में उद्धव ठाकरे ने बहुत देर कर दी है।