महाराष्ट्र सरकार को अर्नब के बाद कंगना मामले में लगा एक और झटका

अब महाराष्ट्र सरकार की अदालती फजीहत शुरु हो गई है...

महाराष्ट्र

बदले की आग में आलोचकों और प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठाने वालों के खिलाफ पुलिस के जरिए दबाव बनाने वाली कार्रवाई हमेशा ही सरकारों की प्रतिष्ठा के लिए खतरनाक साबित हुईं हैं। महाराष्ट्र सरकार के साथ भी अब कुछ ऐसा ही हो रहा है जो अपनी पुलिस के साथ देश के लोकप्रिय पत्रकार और रिपब्लिक नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ राजद्रोह का चार्ज लगाने पर अदालतों की फटकार झेल रही है। अदालत ने दोनों की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है। इस पूरे मामले में आम जनता के बीच पहले ही महाराष्ट्र सरकार की काफी भद्द पिट चुकी है और अब जब ये मामला अदालतों में सुना जा रहा है तो वहां भी मुश्किलें महाराष्ट्र सरकार की ही बढ़ रहीं हैं।

विधानसभा सचिव की पेशी

हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी महाराष्ट्र विधानसभा सचिव द्वारा धमकी भरे लेटर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुके हैं l अब देश की सर्वोच्च अदालत की, जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन कमेटी ने इस लेटर को न्यायायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने वाला बताया है l इस लेटर में महाराष्ट्र विधानसभा सचिव ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट में अपील न करने की धमकी दी थी। साथ ही अब अदालत ने विधानसभा सचिव को दो हफ्ते बाद होने वाली सुनवाई में पेश होने का आदेश दे दिया है जो महाराष्ट्र सरकार के लिए किसी झटके की तरह ही है।

पुलिस को फटकार                                    

महाराष्ट्र सरकार और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत का विवाद किसी से नहीं छिपा है। सभी जानते हैं कि कंगना के सरकार के खिलाफ बोलने पर ही उनके बंगले को 24 घंटे के नोटिस के अंदर तोड़ा गया। वहीं कंगना पर केसों की बौछार कर दी गई है जिसमें एक धारा राजद्रोह की भी है। भले ही हाईकोर्ट ने कंगना और उनकी बहन को पुलिस के समन पर 8 जनवरी को पुलिस के सामने पेश होने को कहा हो, लेकिन हाईकोर्ट ने पुलिस की जमकर क्लास लगा दी है। हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस द्वारा कंगना पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने पर आश्चर्य जताया है।

कोर्ट ने विरोध करने पर राजद्रोह लगाने की बात पर सवाल उठाने के लहजे में कहा, जो भी सरकार के मुताबिक नहीं चलेगा, क्या उस पर राजद्रोह की धारा लगा दी जाएगी?” कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा, आप नागरिकों के साथ ऐसे पेश आते हैं? हम दूसरे सेक्शंस को समझ सकते हैं। लेकिन, 124A क्यों? अगर केस इतना सीरियस था तो आपको एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। लेकिन, एफआईआर मजिस्ट्रेट के 156(3) के अंतर्गत दिए गए आदेश के बाद फाइल की गई।

अब होगी बेइज्जती

महाराष्ट्र सरकार की फजीहत अब शुरू हो चुकी है। सभी जानते हैं कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार क्यों कार्रवाई कर रही है। हम भी आपको अपनी पिछली रिपोर्ट्स में बता चुके हैं कि अर्नब लगातार महाराष्ट्र सरकार के पालघर हिंसा के रवैए पर सवाल उठाए थे। अर्नब ने बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के केस में मुंबई पुलिस की ढुलमुल कार्रवाई पर भी पुलिस और महाराष्ट्र सरकार को निशाने पर लिया है और सीधा सीएम उद्धव ठाकरे को सवाल-जवाब की चुनौती दी, जिसके बाद लगातार अर्नब के खिलाफ पुराने केस खंगालकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

इसी तरह कंगना रनौत के महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ बोलने पर पहले तो उनके बंगले को शार्ट नोटिस पर बदले की कार्रवाई के तहत तोड़ा गया और फिर लगातार कंगना पर केस दायर किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार की आम जनता में भद्द पिट ही चुकी है। उसी के साथ अब अदालतों ने भी महाविकास आघाड़ी की उद्धव सरकार और मुंबई पुलिस को फटकार लगाना शुरू कर दिया हैl अब इस सरकार की मौखिक बेइज्जती के बाद कोर्ट के जरिए लिखित लानत-मलामत होना भी शुरू हो गया गई है जो कि महाराष्ट्र के इतिहास में भी शर्मनाक घटनाक्रमों के रूप में दर्ज होगी।

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