वैकल्पिक ऊर्जा के जरिए ऊर्जा उत्पादन में भारत नए आयाम छू रहा है। भारत का वातावरण सौर और वायु ऊर्जा से पर्याप्त बिजली उत्पन्न करने के लिए अनुकूल है, और इसीलिए अब भारत धीरे-धीरे कोयले आधारित बिजली से अलग हट सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली के उत्पादन में लिप्त है।
भारत में सोलर पावर टैरिफ़ इस बार अपने सबसे निचले स्तर पर है। हाल ही में Solar energy corporation of India (SECI) द्वारा कराई गई नीलामी में सोलर पावर टैरिफ 2 रुपये प्रति यूनिट के सबसे निचले स्तर पर आ चुकी थी। इतने कम कीमत का प्रस्ताव सऊदी स्थित अल जोमैया एनर्जी एवं सिंगापुर में बसे वाटर कंपनी एवं सेम्बकॉर्प की subsidiary ग्रीन इंफ्रा विंड एनर्जी लिमिटेड ने किया, जबकि भारत में बसी एनटीपीसी ने 2.01 रुपये प्रति यूनिट का कीमत कोट किया।
जिस प्रकार से स्थिति स्पष्ट हो रही है, जल्द ही कोयला आधारित पावर प्लांट अब इतिहास हो जाएंगे। लेकिन इतनी कम कीमत के पीछे का मुख्य कारण क्या है? दुनिया भर के देशों में ब्याज दर कम होने के कारण उपलब्ध अतिरिक्त पूंजी के कारण एक तो दाम कम हुए हैं, तो वहीं इसके कारण सौर ऊर्जा के दामों में काफी गिरावट भी आई है। प्रसिद्ध ऊर्जा अनुसंधान कंपनी मेकॉन इंडिया के अनुसार, “महामारी के कारण दुनिया भर के उद्योगों कम ब्याज दरों की आशा रखते हैं। इसीलिए वे कम ब्याज दरों और सस्ते दामों की ओर अपनी नजर गड़ाए हुए हैं।”
कोयला, सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा की उपलब्धता के कारण भारत में बिजली उत्पादन की लागत विश्व भर में सबसे कम मानी जाती है। उदाहरण के लिए इंग्लैंड में स्थित वुड मैंकेंज़ी फर्म के अनुसार बिजली उत्पादन में भारत की लागत मात्र 3 रुपये 5 पैसे है, जबकि चीन के लिए यही दर 3 रुपये 35 पैसे और ऑस्ट्रेलिया के लिए 3 रुपये 49 पैसे है। सौर ऊर्जा से तो ये दर और कम होती है, क्योंकि भारत 2 रुपये प्रति यूनिट की लागत से सौर ऊर्जा उत्पन्न करेगा, तो ऑस्ट्रेलिया और चीन के मुकाबले काफी कम होगा, और यही तथ्य वायु ऊर्जा के लिए भी लागू होता है।
परंतु दुर्भाग्य यह है कि अकर्मण्य राज्य सरकारों की निष्क्रियता के कारण ये लाभ प्रत्यक्ष तौर पर जनता को नहीं पहुँच पाता। वितरण कंपनियां 3 रुपये प्रति यूनिट के दाम से खरीदती हैं, और 10 रुपये प्रति यूनिट के दाम पर बेचती भी है।
इसीलिए बेहद सस्ते सौर ऊर्जा दरों के कारण अब कोयला आधारित पावर प्लांट का कोई औचित्य नहीं बचता और वे जल्द ही बंद भी हो सकते हैँ। एनटीपीसी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि अब वह कोई नया थर्मल पावर प्लांट नहीं बनाएगा, और वह अपने आप को वैकल्पिक ऊर्जा प्रदान करने वाली कंपनी में परिवर्तित भी करेगा।
इसी दिशा में NTPC ने 1 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश अगले 5 साल के लिए निर्धारित करने का निर्णय लिया है। गुजरात और छत्तीसगढ़ पहले ही वैकल्पिक ऊर्जा के स्त्रोत ढूँढने में जुट गए हैं, और जिस प्रकार से भारत सस्ते दामों पर बिजली उत्पन्न कर रहा है, वह विकसित देशों से पहले ही पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट के गोल प्राप्त कर लेगा।